डीएनए हिंदी: महात्मा गांधी को याद करते हुए एक तरफ उनके विचार सामने आते हैं तो दूसरी तरफ कुछ चीजें. गांधी जी का चश्मा, उनका चरखा, उनकी धोती और उनकी लाठी. ये कुछ ऐसी अहम चीजें हैं जिनके बिना गांधी जी को याद करना मुश्किल ही होगा. मगर क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर गांधी जी लाठी लेकर क्यों चलते थे? कहां से आई थी ये लाठी? आज गांधी जयंती के मौके पर जान लीजिए गांधी जी की लाठी से जुड़ी दिलचस्प कहानी-
महात्मा गांधी की दांडी यात्रा
साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक चली 400 किमी लंबी पैदल दांडी यात्रा के बारे में आपने पढ़ा ही होगा. इसी यात्रा से जुड़ी है महात्मा गांधी की लाठी वाली कहानी. सामान्य रूप से भी गांधी जी हर रोज 10-12 किमी पैदल चला करते थे. बताया जाता है कि उन्हें पैदल चलने का शौक था. मगर जिस वक्त गांधी जी अपनी दांडी यात्रा की तैयारी कर रहे थे तब मशहूर लेखक और स्वतंत्रता सेनानी काका कालेलकर उनसे मिलने आए. काका कालेलकर गांधी जी की इस इतनी लंबी पैदल यात्रा को लेकर चिंता में थे. इसी कारण उन्होंने गांधी जी को एक लाठी लेकर चलने की सलाह दी, जिससे यात्रा में उन्हें कुछ राहत मिले.
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काका कालेलकर ने ही दी गांधी जी को लाठी
बताया जाता है कि काका कालेलकर ने गांधी जी को सिर्फ लाठी लेकर चलने की सलाह ही नहीं दी, वह उनके लिए लाठी लेकर भी आए थे. इसी लाठी से गांधी जी ने दांडी यात्रा पूरी की. इसी लाठी के सहारे उन्होंने नदियां, गांव और जंगल पार किए.यह बात भी जानने वाली है कि उनकी लाठी एक खास तरह की लकड़ी से बनी थी. ये लकड़ी जिस बांस से बनी थी वो कर्नाटक के समुद्री तट पर मलनाद इलाके में ही पाया जाता है.
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