आज आजादी के 75 तो PIN के 50 साल हुए पूरे, जानें ये कैसे करता है काम और किसने दिया था आइडिया

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 15, 2022, 03:02 PM IST

History of PIN code

50 Years of Pin Code: आज तो इंटरनेट के जरिए कुछ सेकेंड में संदेश यहां से वहां पहुंच जाते हैं. मगर एक समय तक जब ऐसा सोचना भी संभव नहीं था. तब मदद करते थे पिन कोड. इनकी जरूरत आज भी खत्म नहीं हुई है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

डीएनए हिंदी: आज देश में आजादी के 75 साल पूरे होने की खुशी मनाई जा रही है. हर तरफ आजादी के अमृत महोत्सव का जश्न है. इस बीच एक और बात है जिसका जश्न मनाया जाना चाहिए. एक और उपलब्धि है जिसके 50 साल पूरे हुए हैं.देश के इतिहास से जुड़ी एक और खास चीज है जिसके बारे में जानना चाहिए. यह है Postal Identification Number यानी PIN code की शुरुआत. आज से 50 साल पहले ही 15 अगस्त 1972 के दिन 6 अंकों की पिन कोड व्यवस्था को शुरू किया गया था. 

क्यों पड़ी थी PIN कोड की जरूरत?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि डाक विभाग के अनुसार आजादी के समय देश के शहरी क्षेत्रों में लगभग 23,344 पोस्ट ऑफिस थे. मगर उस वक्त देश तेजी से आगे बढ़ रहा था और हमें पोस्टल नेटवर्क को और आगे बढ़ाने की जरूरत थी. पिन कोड दूरस्थ क्षेत्रों तक चिट्ठी और जरूरी संदेश पहुंचाने का अहम माध्यम बने. इससे पहले तक डाकघरों में चिट्ठियों को डिवीजन में बांटा जाता था. इसमें समय भी लगता था और मुश्किल भी होती थी. कई बार गलत जगह चिट्ठियां पहुंच जाती थीं. ऐसे में पिन कोड व्यवस्था ने काफी मदद की.

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किसने दिया PIN कोड का आइडिया?
इसका आइडिया दिया श्रीराम भीकाजी वेलंकर (shriram bhikaji velankar) ने. वह पोस्ट एंड टेलीग्राफ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य थे.इसके अलावा वह एक संस्कृत कवि भी थे और उनके नाम साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में योगदान की कई उपलब्धियां दर्ज हैं. 

कैसे काम करता है PIN Code?
अब कहीं भी कोई भी संदेश पहुंचाना जितना सरल है इसकी अब से 50 साल पहले शायद ही किसी ने कल्पना की होगी. तब जरूरी मैसेज एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में मदद करने के लिए पिन कोड ही सबसे अहम हुआ करते थे.हर क्षेत्र का अपना अलग पिन कोड होता है.यह छह अक्षर का होता है. पहला नंबर पोस्टल क्षेत्र को दर्शाता है. मसलन- पूर्व,पश्चिम, उत्तर ,दक्षिण. दूसरा नंबर सब रीजन को और तीसरा नंबर जिले से संबंधित होता है. इसके बाद के अंक संबंधित पोस्ट ऑफिस औऱ भौगोलिक क्षेत्र से जुड़े होते हैं. बताया जाता है कि पिन कोड की शुरुआत करते हुए देश को 8 पोस्टल जोन में बांटा गया था और 9 नंबर को आर्मी पोस्टल सर्विस के लिए रिजर्व रखा गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक आज देश में कुल 19101 पिन हैं.

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क्या आज भी है पिन कोड की जरूरत? 
आपको लगेगा कि अब तो सब कुछ इंटरनेट के जरिए होता है तो अब पिन कोड की क्या जरूरत? अगर ये सवाल आपके मन में आए तो एक बार कोई भी पार्सल मंगाने से पहले या कहीं भी कुछ ऑनलाइन डिलिवरी करने से पहले देखिएगा कि आज भी पोस्टल कोड कितना जरूरी है.

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