डीएनए हिंदी: हमारे देश में 7 हजार से ज्यादा रेलवे स्टेशन हैं. इन रेलवे स्टेशनों में एक बड़ी संख्या ऐसे रेलवे स्टेशनों की भी है जिनके नाम स्वतंत्रता संग्राम के मतवालों और उनके कारनामों की याद दिलाते हैं. इन्हीं रेलवे स्टेशनों में से एक है हरदोई और लखनऊ के बीच स्थित काकोरी रेलवे स्टेशन. काकोरी रेलवे स्टेशन इतिहास के पन्नों में दर्ज काकोरी ट्रेन एक्शन (काकोरी कांड) की याद दिलाता है. पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खां सहित कुल 10 स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा 9 अगस्त 1925 को अंजाम दी गई इस घटना ने अंग्रेज सरकार को हिला दिया था. अंग्रेजों की यह समझ आ गया था कि अहिंसा की बात करने वाले भारतीय आजादी के लिए किसी भी तरीके का इस्तेमाल कर सकते हैं.
काकोरी ट्रेन एक्शन को अंजाम देने वाले ज्यादातर क्रांतिकारी 'हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन' से जुड़े थे. ये लोगों ने 9 अगस्त 1925 को काकोरी रेलवे स्टेशन से चली एक ट्रेन सवार हुए. ट्रेन लखनऊ से करीब 8 मील दूर थी कि ट्रेन में बैठे 3 युवाओं ने ट्रेन रोक दी और उनके बाकी साथियों ने ट्रेन में रखा हुआ खजाना लूट लिया. घटना के बाद अंग्रेज सरकार ने मामले की जांच बैठा थी. कुछ दिनों में ही काकोरी ट्रेन एक्शन को लेकर गिरफ्तारियां की जाने लगीं. काकोरी ट्रेन एक्शन से नाराज अंग्रेजी हुकूमत ने 1927 में राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा दे दी.
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आइए आपको बताते हैं काकोरी ट्रेन एक्शन से जुड़ी 5 बड़ी बातें
- काकोरी ट्रेन एक्शन को क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता संग्राम में आने वाले धन की जरूरत को पूरा करने के लिए अंजाम दिया गया था.
- काकोरी ट्रेन एक्शन को अंजाम देकर भारतीय क्रांतिकारियों ने अंग्रेज सरकार के खजाने से तब के समय में करीब 8 हजार रुपये की लूट की थी.
- इस घटना के दौरान दोनों तरफ से गोलीबारी हुई. इसमें एक पैसेंजर की मौत हो गई थी. क्रांतिकारियों द्वारा काकोरी ट्रेन एक्शन को अंजाम देने के लिए जर्मनी मेड पिस्टल का इस्तेमाल किया गया था.
- अंग्रेज सरकार ने काकोरी ट्रेन एक्शन के लिए हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन के 40 सदस्यों पर मामला दर्ज किया था. इन क्रांतिकारियों को बचाने के लिए मदन मोहन मालवीय ने काफी प्रयास किया था.
- अंग्रेज सरकार ने भले ही कई क्रांतिकारियों को फांसी चढ़ा दिया हो लेकिन इसने भारत में आजादी की ज्वाला भड़का दी और इसके बाद अंग्रेजों के लिए हालात और ज्यादा खराब होते चले गए.
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