डीएनए हिंदीः 31 अक्टूबर 1984 की सुबह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के आवास यानी 1 सफदरजंग रोड पर सबकुछ आम दिनों की तरह ही था. इंदिरा गांधी एक दिन पहले ही ओडिशा के भुवनेश्वर में अपना यादगार भाषण देकर लौटी थीं. इंदिरा गांधी दिल्ली लौटी और देर रात तक काम में व्यस्त रही. सोनिया गांधी की तबियत कुछ ठीक नहीं थी. वह दवाई लेने के लिए कमरे में आई तो इंदिरा गांधी जगी हुई थीं. इंदिरा ने सोनिया से कहा कि अगर उन्हें किसी भी चीज की जरूरत हो तो वह उन्हें बता दें. किसी तरह इंदिरा गांधी ने वह रात काटी. अगले दिन का उनका शेड्यूल काफी बिजी रहने वाला था. 31 अक्टूबर को उनके कई कार्यक्रम निर्धारित थे.
भुवनेश्वर में दिया था यादगार भाषण
इंदिरा गांधी ने 30 अक्टूबर को ओडिशा के भुवनेश्वर में यादगार भाषण दिया था. इस भाषण की देशभर में चर्चा थी. उन्होंने तय भाषण से इतर कहा कि ‘मैं आज यहां हूं. कल शायद यहां न रहूं. मुझे चिंता नहीं मैं रहूं या न रहूं. मेरा लंबा जीवन रहा है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन अपने लोगों की सेवा में बिताया है. मैं अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करती रहूंगी और जब मैं मरूंगी तो मेरे खून का एक-एक कतरा भारत को मजबूत करने में लगेगा.’
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इंटरव्यू देने के लिए पहनी थी केसरिया साड़ी
इंदिरा गांधी को एक डॉक्यूमेंट्री के लिए इंटरव्यू देना था. दोपहर में उनकी पूर्व ब्रिटिश PM जेम्स कैलाहन के साथ मीटिंग तय थी. वहीं राजकुमारी ऐनी के साथ डिनर का प्रोग्राम था. इसके लिए राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह को भी निमंत्रण भेजा गया था. इंटरव्यू के लिए इंदिरा गांधी सुबह तैयार हो गई थीं. ब्यूटीशियन ने उनका मेकअप किया. उन्होंने इंटरव्यू के लिए खास केसरिया रंग की साड़ी पहनी थी. इंदिरा गांधी को लगातार मिल रही धमकियों के बाद उन्हें बुलेटप्रूफ जैकेट पहनने की सलाह दी थी लेकिन इंटरव्यू के लिए उन्होंने जैकेट पहनने से इनकार कर दिया. वह सुबह करीब 9 बजे कमरे से लॉन के लिए निकलीं. यहां से उन्हें बगल में स्थित 1 अकबर रोड जाना था जहां इंदिरा गांधी के साथ पीटर उस्तीनोव उनका इंतजार कर रहे थे. इंदिरा के साथ उनके निजी सचिव आरके धवन, सिपाही नारायण सिंह और रामेश्वर दयाल मौजूद थे.
सुरक्षाकर्मियों ने ही गोलियों से भूना
पंजाब में आतंकवाद चरम पर था. जरनैल सिंह भिंडरांवाले के नेतृत्व में आंदोलन चलाया जा रहा था. सभी आतंकियों ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में ठिकाना बना लिया था. 5 जून 1984 को उस वक्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सिख आतंकवाद को खत्म करने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू करने का आदेश देती हैं. इस ऑपरेशन में भिंडरावाला सहित कई की मौत हो गई. हालांकि ऑपरेशन को दौरान स्वर्ण मंदिर के कुछ हिस्सों को क्षति पहुंची. इसी बात को लेकर समुदाय का एक तबका इंदिरा से नाराज था. लगातार धमकियां दी जा रही थीं. खुफिया अलर्ट के बाद इंदिया की सुरक्षा में तैनात सिख सुरक्षाकर्मियों को हटाने को भी कहा गया था लेकिन उन्होंने इससे खुद इनकार कर दिया. 31 अक्टूबर की सुबह जैसे ही इंदिया गांधी इंटरव्यू के लिए आवास के गेट पर पहुंचीं, सुरक्षा में तैनात दिल्ली पुलिस के जवान बेअंत सिंह ने इंदिरा गांधी के ऊपर दो गोलियां चला दी. इनमें से एक गोली इंदिरा से सीने में लगी और वह जमीन पर गिर गईं. इतने में दूसरे सुरक्षाकर्मी सतवंत सिंह ने अपनी कार्बाइन निकाली और इंदिरा गांधी पर पूरी मैगजीन खाली कर दी. इसमें करीब 28 गोलियां बताई जाती हैं.
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गाउन में ही सोनिया लेकर पहुंचीं एम्स
गोली लगने के बाद इंदिरा जमीन पर पड़ी थी. एकाएक हुए हमले में कोई कुछ समझ नहीं पाया. रामेश्वर दयाल ने जैसे ही गोली ही आवाज सुनी तो वह इंदिरा गांधी की तरफ दौड़ा लेकिन सतवंत सिंह ने उस पर भी गोली चला दी. गोली की आवाज सुनकर सोनिया गांधी नंगे पैर ही गाउन में बाहर की तरफ दौड़ पड़ीं. उन्होंने बाहर आकर देखा तो इंदिरा गांधी खून से लथपथ पड़ी थीं. हादसे के वक्त एबुंलेंस का ड्राइवर भी वहां मौजूद नहीं था. आरके धवन ने इंदिरा को एंबेसडर कार की पिछली सीट पर लिटा दिया. सोनिया गांधी भी कार में सवार हुईं और पूरे रास्ते इंदिरा गांधी को जगाने की कोशिश करती रहीं. बार-बार वह इंदिरा गांधी से यही कहती रहीं कि मम्मी उठो... हिम्मत रखो... बस अस्पताल आने वाला है.
गोलियों से शरीर हो गया था छलनी
एंबेसडर कार करीब 9.30 बजे एम्स पहुंचती है. यहां किसी को जानकारी ही नहीं थी प्रधानमंत्री को इस हालत में जाला जाएगा. जब उन्हें जूनियर डॉक्टर को बताया गया कि प्रधानमंत्री के गोली लगी है तो हड़कंप मच गया. डॉ. गुलेरिया, डॉ. एमएस कपूर और डॉ. एस बालाराम तुरंत वहां पहुंचे. हालांकि इतनी गोलियां लगने से लगातार खून वह रहा था. आननफानन में ओ नेगेटिव खून चढ़ाना शुरू किया गया. बताया जाता है कि इंदिरा गांधी के 80 बोतल से अधिक खून चढ़ाया गया था. इसके बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका. डॉक्टरों के मुताबिक इंदिरा गांधी की बड़ी आंत में 12 छेद हो गए थे. उनके लिवर का हिस्सा भी छलनी था. फेफड़े में भी गोलियां लगी थीं.
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