डीएनए हिंदीः मथुरावासियों के लिए बड़ी खुशखबरी है. बांकेबिहारी मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को अब भारी भीड़ के कारण परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तरह मथुरा के बांकेबिहारी मंदिर में भी कॉरिडोर बनाया जाएगा. राज्य सरकार जल्द इसका काम शुरू कराएगी. बता दें कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मंदिर में भारी भीड़ के कारण दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी जबकि गई घायल हुए थे.
50 हजार श्रद्धालुओं के बैठने की होगी जगह
यूपी सरकार के गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में एक कॉरिडोर बनाया जाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार यमुना नदी के किनारे से मथुरा के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर तक श्रद्धालुओं की सुगम आवाजाही के लिए जल्द ही एक कॉरिडोर बनाने वाली है. कॉरिडोर में एक बार में 50,000 से अधिक श्रद्धालु बैठ सकते हैं.
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यमुना से सीधा मंदिर जाने का होगा रास्ता
बांके बिहारी मंदिर का कॉरिडोर भी काशी के तर्ज पर ही होगा. श्रद्धालु पवित्र यमुना में डुबकी लगाने के बाद सीधे गलियारे से मंदिर जा सकेंगे. लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया कि मंदिर का वास्तविक स्वरूप वैसी ही रहेगा सिर्फ उसके खुले स्थान को और बढ़ाया जाएगा. इससे दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को राहत मिलेगी. फिलहाल मंदिर में सिर्फ 800 लोगों के बैठने की जगह है. इसे बढ़ाकर 50 हजार कर दिया जाएगा.
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जमीन देने वालों को मिलेगा उचित मुआवजा
श्री बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर के साथ इसके संचालन के लिए श्राइन बोर्ड के गठन की भी तैयारी की जा रही है. इसके लिए जनपद स्तर पर योजना बना ली गई है, जिसे जल्द शासन को भेजा जाना है. इसमें मंदिर के आसपास क्षेत्र के विस्तार के साथ वीआईपी मार्ग और गली नंबर चार को चौड़ा किया जाना है. कॉरिडोर पर आने वाला खर्च की राशि बिहारी जी के खजाने से ली जाएगी. वर्तमान में मंदिर का क्षेत्रफल 680 वर्ग मीटर है. फिलहाल इसमें निर्माणाधीन हॉल के आसपास 665 वर्ग मीटर क्षेत्र का अधिग्रहण करते हुए विस्तार का प्रस्ताव दिया गया है. इसके अलावा विद्यापीठ से मंदिर पहुंचने वाले प्रमुख मार्ग गली नंबर चार और परिक्रमा मार्ग से मंदिर पहुंचने वाले वीआईपी मार्ग को चौड़ा किया जाएगा. कॉरिडोर पर खर्च के लिए श्री बांकेबिहारी मंदिर के खजाने में मौजूद 248 करोड़ रुपये के उपयोग करने का सुझाव है. कॉरिडोर के लिए अपनी जमीन देने वालों को पर्याप्त मुआवजा भी दिया जाएगा.
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