आपके घर की हवा में घुल रहा है जहर, जानें कौन है ये सेहत का दुश्मन, शोध में सामने आए हैरान करने वाले फैक्ट्स

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 20, 2022, 06:07 PM IST

Plastic Pollution at home

प्रदूषण और खराब हवा की समस्या से हम सभी अक्सर परेशान रहते हैं. इसके चलते कई तरह की बीमारियों और समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. अगर इसकी वजह घर में ही मौजूद हो तो बात और भी हैरान करती है. पढ़ें पूजा मक्कड़ की ये रिपोर्ट

डीएनए हिंदी: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक विश्व के 99% लोग साफ हवा में सांस लेने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. जब हम खराब या जहरीली हवा की बात करते हैं तो हमें सबसे पहले गाड़ियों और फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं नज़र आता है. आज हम आपको आपके घर की ऐसी चीज के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपके आस-पास की हवा को प्रदूषित कर रही है. ये चीज़ आपके घर के हर कोने में मौजूद है. आपकी रसोई से लेकर बाथरूम तक मौजूद उस चीज का नाम है- प्लास्टिक. 

गुजरात के दो शहरों पर हुई स्टडी
गुजरात के दो शहरों गांधीनगर और अहमदाबाद में हुई एक स्टडी में घर में मौजूद प्रदूषण के कारणों की विस्तार से पड़ताल की गई. इस स्टडी में सामने आया कि घर में ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो सुरक्षित दिखती तो हैं लेकिन दरअसल सुरक्षित नहीं हैं. आईआईटी गांधीनगर ने अमेरिका की दो यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर ये स्टडी की है. इस स्टडी में घर में ऐसे 69 कंपाउंड मिले जो प्रदूषण फैलाते हैं और आपके घर की साफ हवा में ज़हर घोलने का काम करते हैं.

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क्या कहते हैं शोधकर्ता
अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी के रिसर्चर और आईआईटी गांधीनगर के रिसर्चर की ये स्टडी भारत के शहरी घरों में प्रदूषण के स्त्रोत तलाशने पर की गई. स्टडी में पाया गया कि भारतीय घरों में ऐसे 69 केमिकल कंपाउंड पाए जाते हैं,  जिन्हें Volatile Organic Compound या VOC भी कहा जाता है. ये केमिकल्स हवा को जहरीला बनाकर आपको थकान का अनुभव करवा सकते हैं. सिरदर्द और घबराहट जैसी परेशानियां दे सकते हैं और ज्यादा मात्रा में पाए जाने पर ये केमिकल्स कैंसर की वजह भी बन सकते हैं.

क्या पाया गया रिसर्च में
गांधीनगर और अहमदाबाद के 26 घरों में इस स्टडी को सीज़न के हिसाब से गर्मियों और सर्दियों में बांटकर किया गया. स्टडी में सामने आया कि सर्दियों में VOC की मात्रा गर्मियों की तुलना में ज्यादा है. इसकी वजह सर्दियों में घरों का ज्यादातर बंद रहना भी हो सकता है. यानी कम वेंटिलेशन होने पर ये केमिकल्स घर में ही ट्रैप हो जाते हैं. सर्दियों में केमिकल्स की मात्रा 327 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर तक मिली, जबकि गर्मियों में ये केमिकल्स 150 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक थे. स्टडी में पाया गया कि घर के अंदर तापमान ज्यादा हो तो केमिकल्स भी ज्यादा रिलीज़ होते हैं और अगर घर में वेंटिलेशन ठीक ना हो जैसा कि सर्दियों में घरों के बंद रहने पर होता है तो धुएं और केमिकल्स से होने वाला प्रदूषण बढ़ जाता है. 

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इस स्टडी को लेकर हमने गुजरात के गांधीनगर में मौजूद विशेषज्ञों से बात की. हमारी टीम ने अमेरिका के ड्यूक यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों से भी संपर्क किया - आज आपको उन एक्सपर्ट्स की राय ज़रूर जाननी चाहिए जिन्होंने ये पूरी रिसर्च की है-


मई के महीने में प्लास्टिक में मौजूद केमिकल्स सामान से पैदा होने वाला प्रदूषण 42 प्रतिशत था जबकि जनवरी के महीने में केवल 4 प्रतिशत. गर्मियों में तापमान ज्यादा होने पर प्लास्टिक भी गर्म होकर पिघलने लगता है. घर में बनने वाले खाने से जलने वाला तेल हो या धुआं - ये प्रदूषण जनवरी में  29 प्रतिशत था जबकि मई के महीने में 16%. इसी तरह क़ॉस्मेटिक, डिस्इंफिक्टेंट्स जैसे कन्जयूमर सामान से जनवरी में  10 प्रतिशत प्रदूषण हो रहा था जबकि मई में 4%.

माइकल बरगन 
रिसर्चर, ड्यूक यूनिवर्सिटी 
कैलिफोर्निया


इन सामानों से होने वाले प्रदूषण से शुरुआत में ज्यादा परेशानी नहीं होती. इसे आप धीमे ज़हर की तरह समझ सकते हैं. गले में खराश से शुरुआत होती है लेकिन जैसे जैसे तापमान बढ़ रहा है वैसे वैसे ये परेशानी बढ़कर कैंसर तक पहुंच सकती है.
प्रोफेसर चिन्मय घोरोई
केमिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी गांधीनगर

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