President of India Power: राष्ट्रपति ही ले सकते हैं इन मामलों में फैसला, जानें क्या होते हैं महामहिम के विशेषाधिकार

कुलदीप सिंह | Updated:Jul 27, 2022, 09:17 AM IST

President of India Power: राष्ट्रपति तीनों सेनाओं का सेनापति होता है. वह प्रधानमंत्री और पूरी कैबिनेट को भी भंग करने की शक्ति रखता है.

डीएनए हिंदीः द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) देश की 15वीं राष्ट्रपति बन चुकी हैं. सीजेआई एनवी रमन्ना ने उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई. राष्ट्रपति बनते ही वह देश की प्रथम नागरिक भी हो गईं हैं. इसके साथ ही उन्हें कई ऐसी शक्तियां भी मिल चुकी हैं जो सिर्फ उनके पास ही होंगी. राष्ट्रपति को कई ऐसे विशेषाधिकार मिलते हैं तो उन्हें अन्य सभी पदों से अलग बनाती है. आइये जानते हैं राष्ट्रपति की शक्तियां, उनके कार्य और अधिकारों के बारे में. 

आपातकाल की घोषणा
देश में आपातकाल की घोषणा का अधिकारी सिर्फ राष्ट्रपति के पास ही होता है. इसमें 3 तरह की इमरजेंसी होती है. राष्ट्रपति युद्ध और सशस्त्र विद्रोह, संवैधानिक तंत्र फेल होने और वित्तीय आपातकाल शामिल है. देश में 1962 में भारत-चीन युद्ध, 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध और 1975 में इंटरनल एग्रेशन के दौरान इमरजेंसी लगाई जा चुकी है.  

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सर्वोच्च सेनापति होते हैं राष्ट्रपति 
राष्ट्रपति नौसेना (Indian Navy), थल सेना (Indian Army) और वायु सेना (Indian Air Force) के सर्वोच्च सेनापति होते हैं. 

लोकसभा और राज्यसभा में सदस्यों में नियुक्ति
राष्ट्रपति लोकसभा में ​एंग्लो इंडियन समुदाय के दो व्यक्तियों को मनोनीत कर सकते हैं. इसके अलावा राज्यसभा में कला, साहित्य, पत्रकारिता, विज्ञान, आदि में पर्याप्त अनुभव रखने वाले 12 सदस्यों को भी वे मनोनीत कर सकते हैं. 

प्रधानमंत्री और लोकसभा को बर्खास्त करने का अधिकार
राष्ट्रपति संविधान के अनुसार संसद को यानी लोकसभा को कभी भी भंग कर सकता है और नये निर्वाचन के लिए कह सकता है. राष्ट्रपति का प्रधानमंत्री नियुक्त करने अथवा उस को बर्खास्त करने का अधिकार है. इसके अलावा पूरी कैबिनेट को भी भंग कर सकते हैं. अगर प्रधानमंत्री की आकस्मिक मृत्यु हो जाती है और सत्ताधारी पार्टी किसी व्यक्ति को अपना न्य नेता नहीं चुनती है तो राष्ट्रपति अपने विवेक का प्रयोग कर सत्ताधारी पार्टी के किसी भी सदस्य को प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकता है.

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दूसरे देशों से समझौते पर हस्ताक्षर
अगर दूसरे देशों का साथ कोई भी समझौता या हस्ताक्षर किया जा रहा है कि जो वह तभी पूरा माना जाएगा जब उस पर राष्ट्रपति हस्ताक्षर कर दें. 
 
फांसी में माफी की शक्ति
राष्ट्रपति किसी भी व्यक्ति को क्षमा कर उसे पूर्ण दंड से बचा सकते हैं या फिर उसकी सजा कम करवा सकते हैं. हालांकि एक बार यदि उन्होंने क्षमा याचिका रद्द कर दी तो फिर दुबारा याचिका दायर नहीं की जा सकती. फांसी की सजा पाने वाले कई अपराधियों की क्षमा याचिका राष्ट्रपति तक पहुंचती है. हालांकि इस पर फैसला लेना उनका अधिकार है.

अध्यादेश जारी करने की शक्ति
जब संसद ना चल रही हो तो राष्ट्रपति नया अध्यादेश जारी कर सकते हैं. हालांकि संसद सत्र के शुरू होने के 6 हफ्ते तक इसका प्रभाव रहता है. इसके बाद इसे संसद के दोनों सदनों से पास कराना जरूरी होता है.  

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कानून बनाने की शक्ति
संसद के दोनों सदनों के पास कोई बिल तभी कानून बन सकता है जब राष्ट्रपति उसे अपनी मंजूरी दे दें. धन विधेयक और किसी नए राज्य का निर्माण, सीमांकन या भूमि अधिग्रहण के संबंध में कोई विधेयक, राष्ट्रपति की सिफारिश के बगैर संसद में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता. 

कोर्ट में नहीं चल सकता मुकदमा
राष्ट्रपति के खिलाफ देश की किसी भी अदालत में मुकदमा नहीं चल सकता है. इनके द्वारा किए गए कार्यों को भी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी. इनके कार्यकाल के दौरान इनके खिलाफ किसी भी न्यायालय द्वारा इनकी गिरफ़्तारी या कारावास का कोई आदेश जारी नहीं किया जा सकता.  

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सिर्फ राष्ट्रपति ही कर सकता है इनकी नियुक्ति

- भारत के प्रधानमंत्री और उनके सलाहकार (Prime Minister and his Advisors)
- सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस (Chief Justice of india and High Courts)
- राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति (Governors of States)
- सभी चुनाव आयुक्त (Election Commissioner)
- भारत के नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (Control and Auditor General of India)
- विदेशों में भारतीय राजदूतों की नियुक्ति (Indian Ambassadors)

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