Presidential Election 2022: राष्ट्रपति भवन किसने बनाया, कितना आया खर्च और क्या हैं खासियत, जानें सबकुछ

Written By कुलदीप सिंह | Updated: Jul 19, 2022, 01:16 PM IST

President Election 2022: राष्ट्रपति भवन का निर्माण 1911 में शुरू हुआ था. इसे बनाने के लिए 5 साल का समय निर्धारित किया गया था लेकिन इसे बनाने में 17 साल का समय लगा.

डीएनए हिंदीः देश का अगला राष्ट्रपति (President) कौन होगा ये दो दिन बाद साफ हो जाएगा. राष्ट्रपति पद के लिए सोमवार को मतदान समाप्त हो गया है. 21 जुलाई को मतगणना होगी. इस बार एनडीए की ओर द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) और विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा (Yashvant Sinha) उम्मीदवार हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है. देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद को मिलने वाला सरकारी आवास भी उतना भी भव्य और विशाल है. इसे बनाने में 17 साल का वक्त लगा. बता दें कि राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) आजादी से पहले ब्रिटिश वायसराय का सरकारी आवास था. 1911 में जब कोलकाता से देश की राजधानी को नई दिल्ली में शिफ्ट किया जा रहा था तो राष्ट्रपति भवन का काम शुरु किया गया. 

किसने कराया था निर्माण
राष्ट्रपति
भवन के निर्माण से एक रोचक किस्सा भी जुड़ा है. दरअसल अंग्रेज दिल्ली में एक ऐसी इमारत बनाना चाहते थे जो आने वाले कई दशकों पर देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन सके. इसके लिए रायसीन हिल को सबसे उपयुक्त जगह माना गया. राष्ट्रपति भवन का नक्शा मशहूर ब्रिटिश वास्तुकार एडविन लैंडसीयर लुटियंस (Edwin Lutyens) ने तैयार किया था. लुटियंस ने यह नक्शा हर्बट बेकर (Herbert Baker) को सौंपाज जिनकी देखरेख में राष्ट्रपति भवन का निर्माण शुरू हुआ. पहले इसे सिर्फ पांच साल में तैयार किया जाना था लेकिन इसे बनाने में 17 साल लग गए. इसके निर्माण के लिए रायसीना हिल और मालचा गावों के 300 लोगों की करीब 4000 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया था. राष्ट्रपति भवन के साथ ही संसद भवन और उसके आस-पास सभी सरकारी इमारतों को निर्माण भी इन्होंने ही कराया था. करीब 2 लाख वर्ग फीट के कारपेट एरिया वाले राष्ट्रपति भवन को बनाने में 45 लाख ईंटों का इस्तेमाल किया गया था. इसमें आवास के साथ ही राष्ट्रपति का कार्यालय और अन्य कर्मचारियों का आवास भी बने हैं. कहा जाता है कि राष्ट्रति भवन के निर्माण में 70 करोड़ से अधिक ईंटें और 30 लाख पत्थरों का इस्तेमाल हुआ था. इसके निर्माण पर उस दौर में 1 करोड़ 40 लाख रुपये का खर्च आया था. 

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क्या है खासियत 
राष्ट्रपति भवन देश की वास्तुकला का अभूतपूर्व नमूना है. राष्ट्रपति भवन चार मंजिला है और इसमें 340 कमरे हैं. राष्ट्रपति भवन की सबसे बड़ी पहचान सेंट्रल डोम है. ये डोम लोगों को एतिहासिक सांची स्तूप की याद दिलाता है. राष्ट्रपति भवन में खंभों में घंटियों का डिजाइन बना हुआ है. राष्ट्रपति भवन के मार्बल हॉल में किंग जॉर्ज पंचम और महारानी मेरी की प्रतिमाएं हैं. महारानी का इस्तेमाल किया गया चांदी का सिंहासन भी है.  


 
क्या है येलो और ग्रे ड्राइंग रूम?
राष्ट्रपति भवन के अंदर दो ड्राइंग रूम मौजूद हैं. इनमें से एक दो येलो और दूसरे को ग्रे ड्राइंग रूम के नाम से जाना जाता है. इनमें से येलो ड्राइंस रूम का इस्तेमाल छोटे कार्यक्रम के लिए किया जाता है. अगर किसी अकेले मंत्री का शपथ ग्रहण होना है तो इस हॉल में किया जाता है. इसके अलावा मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य छोटे राजकीय कामों के लिए इस हॉल का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं ग्रे ड्राइंग रूम का इस्तेमाल अतिथियों के स्वागत के लिए किया जाता है.

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नक्काशी ही नहीं वास्तुकला का नायाब उदाहरण है दरबार हॉल?
राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल की भव्यता की दुनियाभर में चर्चा है. इस हॉल में 2 टन से अधिक वजनी झाड़फानूस लटका हुआ है. अंग्रेजों के समय इस कक्ष को सिंहासन कक्ष के नाम से जाना जाता था. इसमें तब वायसराय और वायसरीन के लिए दो सिंहासन लगाए जाते हैं. हालांकि आजादी के बाद सिर्फ एक ही कुर्सी लगाए जाने लगी है. इस हॉल का इस्तेमाल राजकीय समारोह और पुरस्कार वितरण के लिए किया जाता है. इस हॉल में गौतमबुद्ध की मूर्ति लगी हुई है. इस हॉल की एक खासियत है. यहां लगी राष्ट्रपति की कुर्सी से अगर एक सीधी लकीर खींची जाए तो वह राजपथ से होती हुई सीधे इंडिया गेट के बीचोबीच जाकर मिलेगी.  

बैंक्विट हॉल  
राष्ट्रपति भवन में मौजूद बैंक्विट हॉल काफी भव्य है. इस हॉल में 104 लोगों के बैठने की जगह है. पहले इस हॉल को स्टेट डायनिंग हॉल के नाम से जाना जाता था. बाद में इसे बैंक्विट हॉल का नाम दिया गया. इस हॉल में सभी पूर्व राष्ट्रपतियों के चित्र दीवारों पर लगे हुए हैं. दीवारों पर सुंदर नक्काशी भी देखने को मिलती है. 

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मुगल गार्डन है आकर्षण का मुख्य केंद्र
15 एकड़ में फैले राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन में जम्मू और कश्मीर के मुगल गार्डन, ताजमहल के आसपास के बगीचों और यहां तक कि भारत और फारस के लघु चित्रों से प्रेरणा ली गई है. राष्ट्रपति भवन की मुख्य इमारत से सटे विशाल आयताकार गार्डन के इस बेहद खूबसूरत हिस्से में सजावटी पेड़-पौधे और फव्वारों के अलावा फूलों के कार्पेट भी मन मोहते हैं. यहां पेड़ लगाने का काम 1928 में शुरू हुआ जो करीब एक साल तक चला. बेहद खूबसूरत नजारे वाले इस गार्डन के बीचों बीच ट्यूलिप के फूलों से सजा पानी का सुंदर तालाब है. चारों ओर फैली महक बिखेरती बेलें और फूलों पर खूब सारी तितलियां आती हैं इसलिए इसे तितली गार्डन भी कहा जाता है. 


 
आधुनिक किचन में काम करते हैं दर्जनभर से अधिक शेफ 
राष्ट्रपति भवन की हर चीज को बड़ी भव्य और विशालता के साथ बनाया गया है. इसकी किचन भी स्टेट ऑफ द आर्ट सुविधाओं से लैस है. राष्ट्रपति भवन का किचन फुली एयर कंडीशन्ड है और यहां खाना पकाने के लिए जरूरी सभी आधुनिक मशीनें मौजूद हैं. किचन में एग्जीक्यूटिव शेफ के अलावा दर्जनों शेफ, हलवाई और कुक काम करते हैं. इसमें साफ सफाई का खास ध्यान रखा जाता है. राष्ट्रपति और यहां आने वाले मेहमानों को खाना परोसने से पहले सुरक्षा एजेंसियां उसकी जांच करती हैं. राष्ट्रपति और यहां आने वाले सभी आयोजनों के लिए खाना इसी किचन में बनाया जाता है.  

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