Raksha bandhan 2022: क्या है भद्रा काल जिसकी वजह से राखी के मुहूर्त पर छाये काले बादल, जानें शुभ समय

हिमानी दीवान | Updated:Aug 10, 2022, 01:10 PM IST

what is bhadra kaal

Rakhi Muhurt 2022: रक्षाबंधन की तिथि और शुभ मुहूर्त को लेकर इस बार संशय बना हुआ है. इसमें अहम वजह है भद्रा काल. पंडित और ज्योतिष के जानकारों से जानते हैं कि आखिर ये भद्रा काल होता क्या है और इस रक्षाबंधन इसका क्या महत्व है-

डीएनए हिंदी: हिंदू धर्म में मुहूर्त का खास महत्व होता है. कोई भी काम करना हो सबसे पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है. इस बार रक्षाबंधन के मामले में भी यह शुभ मुहूर्त ही बहस का विषय बन गया है. कुछ लोग 11 अगस्त को रक्षाबंधन मनाने की बात कर रहे हैं और कुछ लोग मानते हैं कि इसका सबसे शुभ मुहूर्त 12 अगस्त को ही है. इस बहस की वजह है भद्रा काल. 11 अगस्त को रक्षाबंधन की तिथि सुबह 10 बजकर 38 मिनट से शुरू हो रही है, लेकिन इस दिन भद्रा काल होने की वजह से इसे शुभ नहीं माना जा रहा है. अब आखिर ये भद्रा काल है क्या जिसकी वजह से तिथि होते हुए भी रक्षाबंधन का त्योहार मनाने को लेकर कंफ्यूजन बना हुआ है.

कौन है भद्रा 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भद्रा छाया से उत्पन्न हुई हैं. यह भगवान सूर्य की बेटी और शनिदेव की बहन हैं. इनका प्रभाव जितना अशुभ बताया जाता है इनका रूप भी उतना ही विकराल बताया गया है. पौराणिक कथाओं में जो जिक्र मिलता है उसके अनुसार भद्रा के लंबे-लंबे दांत हैं. रंग काला है. बाल बेहद लंबे और उलझे हुए हैं. ऐसे रूप की कल्पना करना ही जहां भय पैदा कर देता है वहीं किसी तिथि विशेष में भद्रा काल का होना भी लोगों के मन में अशुभ होने का संदेह पैदा कर देता है. इसके पीछे भी एक कहानी बताई जाती है.

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क्या है भद्रा काल के अशुभ होने की कहानी
पौराणिक कथाएं बताती हैं कि जब भद्रा का जन्म हुआ तो वह पूरे संसार को खाने के लिए दौड़ीं और हर काम में बाधाएं पहुंचाने लगीं. भद्रा के इस आचरण के चलते किसी से भी उनका विवाह नहीं हो पा रहा था. इससे उनके पिता सूर्य देव बहुत परेशान हुए. उन्होंने ब्रह्मा जी से प्रार्थना की कि वह कुछ करें. ब्रह्मा जी ने भद्रा को शांत करने के लिए उनसे कहा कि अब से वह 11 करणों में से 7वें करण में स्थित रहोगी. जो व्यक्ति तुम्हारे समय में शुभ कार्य करेगा तुम उसके काम में बाधा डालना. इस पर भद्रा शांत हुईं और इसी के बाद से भद्रा काल को लेकर ज्योतिष में काफी सतर्कता मानी जाने लगी. 

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क्या कहते हैं पंडित और जानकार
पंडित सुबोध बताते हैं कि शुक्ल पक्ष में अष्टमी और पूर्णिमा तिथि के पूर्वार्ध, चतुर्थी एवं एकादशी तिथि के उत्तरार्ध में भद्रा का वास रहता है. जबकि कृष्ण पक्ष में तृतीया एवं दशमी तिथि के उत्तरार्ध और सप्तमी एवं चतुर्दशी तिथि के पूर्वार्ध में भद्रा की उपस्थिति रहती है. ऐसे में रक्षाबंधन के दिन हमेशा ही भद्रा काल रहता है, हालांकि यह देखना होता है कि भद्रा काल का वास कहां है.

इस रक्षाबंधन भद्रा का वास पाताल लोक पर है. ज्योतिष  सुबोध कहते हैं, 'जब भद्रा का वास स्वर्ग और पाताल लोक पर होता है तब यह पृथ्वीवासियों के लिए शुभफलदायी होती है. जबकि जब इनका वास पृथ्वीलोक पर रहता है तब इसे अशुभ माना जाता है. इस रक्षाबंधन पर इसका पृथ्वी लोक पर असर नहीं है. ऐसे में 11 अगस्त को सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे का शुभ मुहूर्त है. इसमें राखी बांधी जा सकती है. लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उदयातिथि को ही शुभ माना जाता है ऐसे में 12 अगस्त को सुबह 7 बजे तक जब पूर्णिमा तिथि है तब भी राखी बांधी जा सकती है.

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