भारत का अनोखा रेस्टोरेंट जहां पैसे नहीं प्लास्टिक के बदले मिलता है खाना, जानें इस Plastic Restaurant की पूरी कहानी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 03, 2022, 11:20 AM IST

Plastic Cafe

Plastic Cafe in Junagadh: प्लास्टिक पर देश भर में प्रतिबंध लग चुका है तो आप अपने घर में रखी हुई प्लास्टिक का क्या कर रहे हैं? अगर कुछ नहीं सूझ रहा है तो उसे इस प्लास्टिक कैफे में ले जाइए य़हां इसके बदले आपको मनपसंद का खाना भी मिलेगा.

डीएनए हिंदी: देश भर में 1 जुलाई से प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके बाद से प्लास्टिक स्टिक वाले ईयर बड्स, प्लास्टिक के फ्लैग, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, प्लास्टिक प्लेट्स, प्लास्टिक कप, प्लास्टिक पैकिंग का सामान इत्यादि सब कुछ बैन है. इसके पीछे अहम वजह भी है. वजह ये है कि इस तरह की सिंगल यूज प्लास्टिक को आसानी से नष्ट नहीं किया जा सकता. इससे प्रदूषण बढ़ता है. इससे पर्यावरण में जहरीले रसायन शामिल होते हैं जो इंसान और पशु दोनों के लिए हानिकारक साबित होते हैं.

ये तो हुई प्लास्टिक पर प्रतिबंध की बात. अब बात करते हैं एक ऐसी जगह की जहां आप जी भरके प्लास्टिक लेकर जा सकते हैं और इसके बदले में आपको मिलता है मनपसंद का खाना. जानते हैं क्या है ये जगह, कहां है और ऐसा क्यों किया जा रहा है.

जूनागढ़ का प्लास्टिक कैफे
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार गुजरात के जूनागढ़ में बना है एक अनोखा प्लास्टिक कैफे. इसका नाम रखा गया है प्राकृतिक प्लास्टिक कैफे. यहां देश भर की प्लास्टिक से जुड़ी समस्या का हल खोज निकाला गया है. यहां आपको प्लास्टिक देकर खाना मिलता है. मतलब आपको जो भी ऑर्डर करना है उसके बदले पैसे नहीं देने बल्कि एक तय मात्रा में प्लास्टिक देनी है. 30 जून को इस कैफे की शुरुआत की गई थी. 

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कैसे काम करता है ये कैफे
इस कैफे में ग्राहक अपने घर से प्लास्टिक वेस्ट लेकर आते हैं. प्लास्टिक के वजन के अनुसार यहां खाना सर्व किया जाता है. उदाहरण के तौर पर हां एक गिलास नींबू पानी के लिए आपको 500 ग्राम प्लास्टिक देनी होगी. वहीं अगर एक प्लेट ढोकला या एक प्लेट पोहा लेना है तो 1 किलो प्लास्टिक लानी होगी. सीधी सी बात ये है कि जितनी ज्यादा प्लास्टिक उतना ज्यादा खाना. कैफे में सिर्फ ऑर्गेनिक फल-सब्जियों का इस्तेमाल होता है. साथ ही सस्टेनेबल बर्तनों में ही खाना पकाया और सर्व किया जाता है. 

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सखी मंडल की महिलाएं चला रही हैं कैफे
इस कैफ़े को सर्वोदय सखी मंडल की महिलाएं चलारही हैं. यह संस्था किसानों से सीधे ऑर्गेनिक फल सब्जियां लेती है. इसके अलावा प्रशासन की तरफ से भी कैफे के इंफ्रास्ट्रक्चर में पूरी मदद की गई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली के नज़फ़गढ़ और छत्तीसगढ़ में भी ऐसे कैफे़ हैं जहां प्लास्टिक कचरा देकर खाना खरीदा जा सकता है. 


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