Teacher Jobs: बिना शिक्षक कैसे हो अच्छी पढ़ाई? यूपी-बिहार में सबसे ज्यादा पद खाली

ओरिन बासु | Updated:Oct 14, 2022, 12:54 PM IST

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भारत के सरकारी स्कूलों में टीचर्स की कमी कोई नई बात नहीं है. यूपी, बिहार जैसे राज्यों का इस मामले में बुरा हाल है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

डीएनए हिंदी: गुरुवार को राजस्थान के कई जिलों में छात्रों और अभिभावकों ने छिटपुट विरोध प्रदर्शन किया. राज्य के कई हिस्सों से अधिकारियों के घेराव और स्कूलों के गेट लॉक किए जाने की खबरें सामने आईं. जिन जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुआ उनमें बाड़मेर, जालौर, करौली और कई अन्य स्थान शामिल हैं. इन लोगों के विरोध की बड़ी वजह राज्य में टीचर्स का बड़े पैमाने पर ट्रांसफर और खाली पड़े टीचर्स के पदों को भरने में सरकार द्वारा खास रुचि न दिखाना है. इन प्रदर्शनकारियों को अपना विरोध खत्म करने के लिए समझाने में अधिकारियों के पसीने छूट गए.

भारत के स्कूलों में खाली पड़े टीचर्स के पद आजादी के समय से ही एक बड़ी समस्या है. यह ग्रामीण इलाकों और पिछड़े जिलों में और भी ज्यादा प्रचंड हो जाती है. अलग-अलग पार्टियों की सरकारें भी इस समस्या का कोई खास इलाज नहीं निकाल पाई हैं. भारत इस समय प्राथमिक, माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक स्तरों पर 11,09,486 शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की भारी कमी का सामना कर रहा है. इनमें प्राथमिक शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों के लिए 837,592 रिक्तियां, माध्यमिक स्तर के शिक्षकों के लिए 131,655, वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षकों के लिए 99,401, माध्यमिक स्तर के प्रधानाध्यापकों के लिए 28,645 और वरिष्ठ माध्यमिक प्रधानाध्यापकों के लिए 12,193 पद शामिल हैं.

प्राइमरी स्तर पर रिक्तियां
प्राथमिक विद्यालय में शिक्षण को बच्चे के विकास का सबसे महत्वपूर्ण पहलू माना जाता है. यही वजह है कि किसी भी देश में प्राथमिक विद्यालयों की संख्या सबसे अधिक होती है. इसी वजह से भारत में इस सेगमेंट में रिक्तियां भी सबसे ज्यादा हैं. लोकसभा के डेटा के अनुसार, बिहार (223,488), उत्तर प्रदेश (194,998), झारखंड (75,527), मध्य प्रदेश (74,355) और पश्चिम बंगाल (59,295) के बड़े और आर्थिक रूप से कमजोर राज्यों में प्राथमिक स्तर पर शिक्षण रिक्तियां सबसे अधिक हैं. ये पांच राज्यों में भारत में कुल प्रारंभिक रिक्तियों का 75 प्रतिशत हिस्सा हैं. इसके विपरीत महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर-पूर्वी के मेघालय, मिजोरम और नागालैंड में इस लेवल पर शून्य रिक्तियां हैं.

माध्यमिक स्तर पर रिक्तियां
बात अगर सेकेंडरी लेवल की करें तो यहां भी बिहार, यूपी, झारखंड, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश सबसे आगे हैं. बिहार के (19,413), यूपी (14,426), झारखंड (13,616), आंध्र प्रदेश (12,279) और मध्य प्रदेश (10,872) में कुल मिलाकर भारत में माध्यमिक स्तर की आधी से ज्यादा रिक्तियां हैं. मेघालय, मिजोरम, सिक्कम में इस मामले में जीरो वैकेंसी हैं. राजस्थान इस मामले में छठे नंबर पर आता है. प्राथमिक स्कूलों में रिक्तियों के मामले में राजस्थान (29,179) सातवें नंबर है.

छात्र-शिक्षक अनुपात (PTR)
पूरे भारत में अगर छात्र-टीचर अनुपात की बात करें तो यह प्राथमिक और उच्च माध्यमिक लेवल पर 27 है जबकि उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्तरों पर यह 19 है. हालांकि अगर राज्यों के हिसाब से बात करें तो कई जगहों से चौंकाने वाले आंकड़े सामने आते हैं. बिहार में प्राइमरी लेवल पर PTR 56 है. यह राष्ट्रीय छात्र-शिक्षक अनुपात का दोगुना है. सिक्किम में PTR 7 है. इस मामले में सबसे खराब राज्यों में ओडिशा (68), बिहार (60), झारखंड (56), यूपी (42) और आंध्र प्रदेश (40) हैं. अगर बात बेस्ट राज्यों की करें तो इनमें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (9), और हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा और लक्षद्वीप (10) शामिल हैं.

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