Hindu Minorities in India: भारत में मुस्लिमों के अलावा कौन-कौन अल्पसंख्यक? इस स्पेशल दर्जे को लेकर क्यों छिड़ा है विवाद

Written By यशवीर सिंह | Updated: Jul 19, 2022, 02:57 PM IST

प्रतीकात्मक तस्वीर

भारत में मुसलमानों की जनसंख्या करीब 14 फीसदी है. यह दुनिया के 7वें सबसे ज्यादा आबादी वाले देश नाइजीरिया की तुलना में थोड़ी कम है. मुस्लिम बहुल देशों में केवल इंडोनेशिया और पाकिस्तान में ही भारत में मुसलमानों से अधिक नागरिक हैं.

डीएनए हिंदी: भारत में कई राज्यों में क्या हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाना चाहिए, इसपर एकबार फिर से बहस छिड़ गई है. सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक ऐसी याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें NCM एक्ट के एक प्रावधान को चुनौती दी गई थी. इस याचिका में केंद्र सरकार को "अल्पसंख्यक" को परिभाषित करने तथा जिला स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था. सुनवाई के दौरान याचिका दायर करने वाले के व्यक्ति  वकील अरविंद दातार ने शीर्ष अदालत में लंबित एक याचिका के बारे में पीठ को बताया जिसमें राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है और कहा गया है कि 10 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं.

भारत में कौन-कौन अल्पसंख्यक?
भारत सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय के अनुसार, नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटी एक्ट 1992 के तहत भारत में मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी धर्म के लोह अल्पसंख्यक समुदाय में गिने जाते हैं. साल 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में अल्पसंख्यकों की जनसंख्या 19.3% है. अल्पसंख्यक लोगों में से मुस्लिम 14.2%, ईसाई 2.3%, सिख 1.7%, बौद्ध 0.7% और पारसी 0.006% हैं. हमारे देश में केंद्र सरकार यह तय करती है कि अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा किसे दिया जाए. यह राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के तहत किया जाता है.

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भारत में मुस्लिमों की जनसंख्या नाइजीरिया के बराबर
भारत में मुसलमानों की जनसंख्या करीब 14 फीसदी है. यह दुनिया के 7वें सबसे ज्यादा आबादी वाले देश नाइजीरिया की तुलना में थोड़ी कम है. मुस्लिम बहुल देशों में केवल इंडोनेशिया और पाकिस्तान में ही भारत में मुसलमानों से अधिक नागरिक हैं. दूसरी तरफ बात अगर भारत में मौजूद पारसी धर्म के लोगों की करें तो यह देश के सबसे छोटे शहर कपूरथला में आराम से बसाई जा सकती है.

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राज्यों के पास क्या है ताकत?
भारत में राज्यों में आमतौर पर अल्पसंख्यक समुदायों की अपनी अलग सूची नहीं होती है लेकिन इसको लेकर अपवाद मौजूद हैं. जैसे महाराष्ट्र ने राज्य में यहूदियों को अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में अधिसूचित किया है. मार्च 2022 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राज्य अपने क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के भीतर पात्र समुदायों की अल्पसंख्यक स्थिति तय कर सकते हैं.

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दरअसल उस याचिका में याचिकाकर्ता ने यह तर्क दिया था कि कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों जैसे जम्मू और कश्मीर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, लक्षद्वीप और पंजाब में बहुसंख्यक समुदायों के लोगों को अल्पसंख्यक नागरिक माना जाता है और इसलिए उन्हें अनुचित लाभ मिलता है. याचिकाकर्ता के तर्क दिया था कि इन राज्यों में हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, यहूदी धर्म और बहावी धर्म के अनुयायी जनसंख्या के अनुसार अल्पसंख्यक हैं, लेकिन लाभ से वंचित हैं.

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क्या है समस्या?
दरअसल लक्षद्वीप, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय, जम्मू और कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और पंजाब में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, लेकिन अल्पसंख्यक समुदायों को मिलने वाले लाभों के हकदार नहीं हैं. दरअसल अल्पसंख्यक दर्जा मिलने पर कई सारी सहूलियतें मिलती हैं. अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन, बैंक से सस्ता लोन, शिक्षण संस्थान में एडमिशन आदि सुविधाएं मिलती हैं. इसके अलावा अल्पसंख्यक के लिए देशभर में स्पेशल स्कूल और कॉलेज भी हैं. उन्हें स्कॉलरशिप भी दी जाती है.

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