डीएनए हिंदी: देश के मुख्य न्यायधीश यूयू ललित ने आज अपने उत्तराधिकारी के तौर पर डी.वाई.चंद्रचूड़ के नाम की सिफारिश सरकार को सौंप दी है. अब जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ देश के 50वें मुख्य न्यायधीश होंगे. जस्टिस यूयू ललित इस साल 8 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. वैसे साल 2022 सुप्रीम कोर्ट के लिए काफी अनोखा साल रहने वाला है. इस साल सिर्फ तीन महीने में तीन न्यायधीश सुप्रीम कोर्ट का नेतृत्व करने वाले हैं. अगस्त में CJI NV Ramana रिटायर हुए थे. उनके बाद जस्टिस Uday Umesh Lalit ने सुप्रीम कोर्ट को संभाला. अब वह नवंबर में रिटायर हो रहे हैं और उनके बाद जस्टिस DY Chandrachud अगले CJI होंगे. जानते हैं कौन हैं DY Chandrachud-
सबसे लंबे समय तक CJI रहे YV Chandrachud के बेटे हैं DY Chandrachud
नवंबर में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ देश के अगले मुख्य न्यायाधीश बन जाएंगे. वह दो साल तक इस पद पर रहेंगे. यह बात कम लोगों को पता होगी कि उनके पिता भी देश के मुख्य न्यायधीश रह चुके हैं. दरअसल डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud ) देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ (YV Chandrachud) के बेटे हैं. खास बात यह है कि उनके पिता YV Chandrachud के नाम सबसे लंबे समय तक देश का मुख्य न्यायाधीश रहने का रिकॉर्ड दर्ज है. वह 7 साल 4 महीने मुख्य न्यायाधीश रहे थे. उन्हें 'आयरन हैंड्स' के नाम से भी जाना जाता है.
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दिल्ली से की है कानून की पढ़ाई
धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (DY Chandrachud ) सुप्रीम कोर्ट के जज हैं. इससे पहले वह इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और बॉम्बे हाई कोर्ट के जज भी रह चुके हैं. वर्तमान में वह नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन भी हैं. डी.वाई चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को हुआ था. उनके पिता जहां भारत के पूर्व मुख्य न्यायधीश हैं. वहीं उनकी मां प्रभा एक शास्त्रीय संगीतज्ञ हैं. डी.वाई.चंद्रचूड़ ने सन् 1979 में दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स और मैथ में ग्रेजुएशन की थी. इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी की लॉ फैकल्टी से लॉ की डिग्री ली और हार्वर्ड लॉ स्कूल से लॉ में मास्टर्स किया. सन् 1986 में हार्वर्ड से ही उन्होंने ज्यूरिडिशयल साइंस में डॉक्टरेट भी की.
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डी.वाई.चंद्रचूड़ ने ही सुनाया था ट्विन टावर ढहाने का फैसला
31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट में भ्रष्टाचार के ट्विन टावर को गिराने का फैसला सुनाया गया था. यह ऐतिहासिक फैसला जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने ही सुनाया था. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने यह साफ कर दिया था कि इन टावरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक के अधिकारियों के बीच मिलीभगत का परिणाम था.
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