डीएनए हिंदी: अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र में LAC पर चीनी सैनिकों को भारतीय क्षेत्र में घुसने पर इंडियन आर्मी के जवानों ने सबक सिखाया है. चीन 2020 की शुरुआत से ही LAC पर आक्रामक रुख अपना रहा है लेकिन हर बार भारतीय जवान उसे सबक सिखा रहे हैं. जून 2020 में जहां गलवान में भारतीय सेना और चीनी PLA के बीच झड़प हुई थी तो वहीं इस बार झड़प यांग्त्से इलाके में हुई. आइए आपको बताते हैं आखिर ऐसी क्या वजह है जो चीन की सेना इस इलाके में घुसना चाहती थी.
ऐसा नहीं है कि यांग्त्से इलाके में भारत और चीन के सैनिक पहली बार आमने-सामने आए हों. इस इलाके को चीनी PLA पहले भी टारगेट कर चुकी है. चीन चाहते हैं कि भारत यहां से अपने सैनिकों को पीछे हटा ले. करीब 13 महीने पहले जब भारत और चीन की मिलिट्री 13वें राउंड की बातचीत करने जा रहे थे तब भी यांग्त्से इलाके से गर्मागर्मी की खबरें सामने आई थीं.
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तवांग सेक्टर क्यों महत्वपूर्ण?
LAC पर पूरे तवांग सेक्टर में भारतीय सैनिकों का दबदबा है. यहां से भारतीय जवान चीनी PLA को गश्त करते देख सकते हैं. जब भी चीन के जवान भारतीय क्षेत्र की तरफ बढ़ते हैं तो भारतीय सैनिक उन्हें रोकने के लिए पहले से तैयार हो जाते हैं. यांग्त्से दोनों देशों के बीच 3488 किलोमीटर लंबी LAC के साथ 25 विवादित क्षेत्रों में से एक है.
भारत और चीन दोनों के ज्वांइट वर्किंग ग्रुप ने साल 1990 में यांग्तसे इलाके की पहचान विवादित इलाकों में की थी. इसके बाद साल 2000 में मध्य क्षेत्र के लिए नक्शों के आदान-प्रदान के दौरान और 2002 में पश्चिमी क्षेत्र के नक्शों की तुलना के दौरान भी इस इलाके की पहचान विवादित क्षेत्रों में की गई. यांग्त्से में 108 झरने हैं.
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धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण है यांग्त्से
यांग्त्से ऊंचाई पर है सिर्फ इसलिए ही चीन इसपर कब्जा करना नहीं करना चाहता बल्कि इस इलाके का धार्मिक महत्व भी ड्रैगन की गंदी नजर के पीछे की एक वजह है. LAC पर यह एकमात्र ऐसा इलाका है जो पूरी तरह से भारत के कंट्रोल में है. यह चीन को अक्सर खटकता है. चीन अरुणालच प्रदेश को तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा बताता रहा है. वह चाहता है बौद्ध पहचान से जुड़ी सभी चीजों पर उसका कंट्रोल रहे.
डोकलाम और गलवान की घटनाओं से पहले भारत और चीन इस इलाके में धार्मिक टूरिज्म बढ़ाने को लेकर राजी हुए थे. चीन के तरफ कई धार्मिक गुफाएं हैं, जिन्हें अरुणाचल में बौद्ध धर्म के लोग पवित्र मानते हैं. इन धार्मिक स्थानों को लेकर दोनों तरफ के लोगों की मूवमेंट को लेकर साल 2019 में प्रस्ताव बनाया गया था हालांकि साल LAC पर विवाद के बाद ये ठंडे बस्ते में चले गए.
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