World Post Day: हर साल दुनिया के 150 देश क्यों मनाते हैं डाक दिवस, जानें इसका महत्व और इतिहास

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 09, 2022, 09:01 AM IST

world Post Day 2022

अगर आपको लगता है कि चिट्ठी-पत्री का अब जमाना नहीं रहा तो यह दिन क्यों मनाना!! फिर तो आपको डाक सेवा से जुड़ी कई बातें जरूर जाननी चाहिए.

डीएनए हिंदी: हर साल 9 अक्टूबर को दुनिया भर में वर्ल्ड पोस्ट डे (World Post Day) मनाया जाता है. भारत में इसे डाक सप्ताह के रूप में 9 से 15 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. अगर आप सोच रहे हैं कि अब इस दिन का वैसा महत्व नहीं है जैसा उन दिनों में था जब चिट्ठियों का इंतजार होता था तो आपके लिए कई बातें जानना जरूरी है. डाकघरों  के जरिए आज भी ऐसे दुर्गम स्थानों तक संदेश पहुंचाना संभव हो रहा है जहां ना इंटरनेट पहुंच पाता है और ना ही अन्य कोई सेवा. यह जानकर भी आपको हैरानी हो सकती है कि डाक सेवा ने वैश्विक, सामाजिक और आर्थिक विकास में भी अहम योगदान दिया है. जानते हैं विश्व डाक दिवस का इतिहास, महत्व और इससे जुड़ी अन्य जरूरी बातें-

क्यों मनाया जाता है डाक दिवस
डाक दिवस मनाए जाने के पीछे उद्देश्य है लोगों को डाक सेवा के महत्व के प्रति जागरुक करना. यह बताना कि किस तरह डाक सेवा ने एक व्यक्ति से लेकर समाज और देश-दुनिया तक हर स्तर पर विकास में अहम योगदान दिया है. 

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क्यों 9 अक्टूबर को ही मनाया जाता है डाक दिवस 
9 अक्टूबर सन् 1874 को ही स्विट्जरलैंड में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) की स्थापना हुई थी. इसी की याद में हर साल 9 अक्टूबर को ही विश्व डाक दिवस मनाया जाता है. सन् 1876 में भारत यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बना था. भारत यह सदस्यता लेने वाला पहली एशियाई देश था. तभी से लेकर अब तक पूरी दुनिया में 150 देश हर साल 9 अक्टूबर को ही डाक दिवस मनाते हैं.

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भारत का पहला पोस्ट ऑफिस
भारतीय डाक सेवा 1.55 लाख से भी अधिक डाकघरों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी डाक प्रणाली में से एक बताई जाती है. ऐसे में यह जानना और भी दिलचस्प है कि भारत में पहला पोस्ट ऑफिस कोलकाता में 1774 में  खोला गया था. तब से अब तक डाक सेवा ने देश में कई मील के पत्थर स्थापित किए हैं.

यह तब भी अपने महत्व को स्थापित करती रही है जब इंटरनेट के जरिए पलक झपकते ही हम अपनी बात दूसरे व्यक्ति तक पहुंचा सकते हैं. कोरोना के समय में भी डाक सेवा जीवनदायिनी बनकर सामने आई. कोविड के दौरान एक जगह से दूसरी जगह तक दवाएं पहुंचाने में डाक सेवा की मदद ली गई. 

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