ऐसे बसी थी नई दिल्ली, सोभा सिंह की साइकिल पर लाया गया था नींव का पत्थर
दिल्ली भारत की राजधानी है. ये आज का सच है. एक वक्त वो था, जब दिल्ली को भारत की राजधानी बनाए जाने के फैसले से लोग सन्न रह गए थे.
हिमानी दीवान | Updated: Nov 29, 2021, 11:44 AM IST
इससे पहले 1877 और 1903 में भी दिल्ली दरबार आयोजित हो चुके थे. लेकिन 1911 का ये आयोजन इतना भव्य और प्लान के साथ आयोजित हुआ था कि ब्रिटिश सरकार ने इस दरबार पर 1000 पन्नों की एक भव्य किताब प्रकाशित की. दिल्ली दरबार के आयोजन के लिए लगभग 20 हजार श्रमिकों को लगाया गया. आज उस जगह पर कोरोनेशन पार्क बनाया जा चुका है.
जॉर्ज पंचम की घोषणा के बाद 15 दिसंबर 1911 को पुरानी दिल्ली के पास नई दिल्ली की नींव रखी गई. लेकिन बाद में एडविन लुटियंस ने नई दिल्ली बसाने के लिए रायसीना हिल को चुना. इस बारे में यह भी कहा जाता है कि भारतीय ठेकेदार सोभा सिंह ने अपनी साइकिल पर नींव का पत्थर रातों रात रायसीना हिल स्थानांतरित किया था.
जब अंग्रेजों ने दिल्ली में निर्माण कार्य शुरू किया, तो उनका मकसद था आलीशान इमारतों के जरिए अपनी शानो शौकत दिखाना. एडविन लुटियंस ज्यादातर शाही इमारतों के चीफ आर्किटेक्ट रहे. यही वजह है कि आज भी नई दिल्ली को लुटियंस दिल्ली के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा हर्बर्ट बेकर और रॉबर्ट टॉर रसल जैसे वास्तुकारों ने भी नई दिल्ली को सजाया संवारा.