50 सालों से जलती रही Amar Jawan Jyoti, जानें क्या है इतिहास और क्यों किया गया नेशनल वॉर मेमोरियल में विलय
नेशनल वॉर मेमोरियल इंडिया गेट से लगभग 400 मीटर की दूरी पर है. इसका उद्घाटन पीएम मोदी ने फरवरी 2019 में किया था.
| Updated: Jan 22, 2022, 04:11 PM IST
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3 दिसंबर से 16 दिसंबर, 1971 तक भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध चला. भारत की जीत हुई और बांग्लादेश अस्तित्व में आया. इस दौरान, भारत के कई वीर जवानों ने प्राणों का बलिदान दिया. जब 1971 युद्ध खत्म हुआ तो 3,843 शहीदों की याद में एक अमर ज्योति जलाने का फैसला हुआ. इसे जलाने के लिए दिल्ली के इंडिया गेट को चुना गया. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को अमर जवान ज्योति का उद्घाटन किया था.
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इसे जलाने के लिए दिल्ली के इंडिया गेट को चुना गया. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को अमर जवान ज्योति का उद्घाटन किया था. पहले इसे जलाने के लिए LPG का इस्तेमाल होता था. सन् 2006 के बाद से इसमें सीएनजी इस्तेमाल होने लगी.
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अमर जवान ज्योति को काले मार्बल से बनाया गया था. इसके चारों ओर स्वर्णाक्षरों में 'अमर जवान' लिखा हुआ है. इसके ऊपर एक L1A1 सेल्फ लोडिंग राइफल रखी है और उस पर एक सैनिक का हेलमेट किसी मुकुट की तरह रखा गया है.
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अब इसे नैशनल वॉर मेमोरियल की लौ के साथ मिला दिया गया है. वहां भी अमर चक्र में अमर जवान ज्योति है. सरकारी सूत्रों के अनुसार, इंडिया गेट पर 1971 के युद्ध में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई है, लेकिन उनके नाम का उल्लेख नहीं किया गया. जबकि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में 1971 और इसके पहले और बाद के युद्धों के शहीदों के नाम लिखे गए हैं. इसलिए वहां शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना ज्यादा बेहतर बताया जा रहा है.
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नेशनल वॉर मेमोरियल इंडिया गेट से लगभग 400 मीटर की दूरी पर है. इसका उद्घाटन पीएम मोदी ने फरवरी 2019 में किया था. ये लगभग 40 एकड़ के क्षेत्र में बना हुआ है. ये उन सभी सैनिकों को याद करने के लिए बनाया गया था जिन्होंने स्वतंत्र भारत की विभिन्न लड़ाइयों, युद्धों, अभियानों और संघर्षों में अपने प्राणों की आहुति दी थी.