सदियों पहले इंसान का खून नहीं पीते थे मच्छर, ऐसे हुई थी ये शुरुआत

दुनिया का सबसे खतरनाक जीव घोषित किया जा चुका है छोटा सा मच्छर.

मच्छर कितना छोटा सा जीव है. इस तरह से मच्छर के बारे में सोचें तो लगता है कि इतने छोटे से जीव के बारे में हम यहां बात ही क्यों कर रहे हैं? मगर जब मच्छर से जुड़े तथ्यों पर नजर पड़ती है, तब मालूम होता है कि ये छोटा सा जीव दुनिया के सबसे खतरनाक जीवों में से एक है. इसका एक बार काट लेना शायद आपको मुश्किल में डाल सकता है. ऐसे ही कई और भी तथ्य हैं, जो हैरान करते हैं. 

3500 प्रजातियां

मच्छरों की दुनिया भर में 3500 प्रजातियां पाई जाती हैं . इनमें से सिर्फ कुछ सौ प्रजातियां ही ऐसी हैं, जो इंसानों का खून पीती हैं.अगर कभी आपको किसी मच्छर ने काटा है तो ये जान लीजिए कि वो जरूर मादा मच्छर ही होगी. नर मच्छर इंसानों का खून नहीं पीते, उन्हें उनका भोजन पौधों के रस से मिल जाता है. जबकि मादा मच्छर को अपने अंडों के विकास के लिए खून की जरूरत होती है. 

बीमारियां

मच्छरों की वजह से जो बीमारियां इंसानों में सबसे खतरनाक साबित होती हैं, उनमें - मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, ज़ीका और पीला बुखार शामिल हैं. मादा मच्छर अपने अंडे ऐसी जगह पर देती है,जहां नमी हो या पानी इकट्ठा हो. ऐसे में ये जरूर सुनिश्चित करें कि आपके घर के आसपास कहीं पानी जमा ना हो. 

विश्व मच्छर दिवस

साल 1897 में 20 अगस्त के ही दिन ब्रिटिश डॉक्टर सर रोनाल्ड रॉस ने खोज की थी कि मलेरिया की वजह मादा मच्छर ही है. इसलिए इस दिन को विश्व मच्छर दिवस के तौर पर मनाया जाता है.
 

मच्छर का जीवनकाल

अब मच्छर को दुनिया का सबसे खतरनाक जीव घोषित किया जा चुका है. इसकी वजह ये है कि छोटा सा मच्छर साल भर में दुनिया के 7 से 10 लाख लोगों की मौत का ज़िम्मेदार बनता है. हालांकि ये जानकर आपको हैरानी हो सकती है कि इस खतरनाक जीव का जीवनकाल सिर्फ दो महीने या उससे भी कम समय का होता है. 
 

पानी में पनपते हैं मच्छर

मच्छरों के लिए पानी बहुत जरूरी होता है. जन्म के बाद वह अपने जीवन के शुरुआती दस दिन का समय पानी में ही बिताते हैं. इन दस दिनों के बाद ही उन्हें उड़ने का अभ्यास होता है. रिसर्च बताती हैं कि मच्छरों ने इंसानों और अन्य जानवरों का खून पीना इसलिए शुरू किया क्योंकि वो सूखे प्रदेशों में रहते थे. जब भी मौसम सूखा होता है और मच्छरों को अपने प्रजनन के लिए पानी नहीं मिलता वे इंसानों का खून चूसना शुरू कर देते हैं.

रात को पैदा होते हैं मच्छर

दोपहर के समय मच्छर नहीं होते. इस समय तापमान ज्यादा होता है और इस समय मच्छर ठंडी जगह पर आराम कर रहे होते हैं. शाम के समय से मच्छर सक्रिय होना शुरू हो जाते हैं. मादा मच्छर ज्यादातर रात के समय ही अंडे देती हैं. 

ऐसे करते हैं इंसानों की पहचान

इंसान कार्बन डाइ ऑक्साइड छोड़ते हैं और ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं. इंसान की सांसों से निकलने वाली ये कार्बन डाइ ऑक्साइड ही मच्छरों को सिग्नल देती है कि उनका शिकार आसपास है. मच्छर 75 फीट दूर से ही कार्बन डाइ ऑक्साइड को सूंघ लेते हैं.

इंसानी खून से मिलता है मच्छर को प्रोटीन

जब मच्छर आपको काटते हैं तो ये आपके शरीर से खून चूस लेते हैं. इसके बाद मच्छरों का सलाइवा आपके शरीर पर छूट जाता है. इस सलाइवा की वजह से आपको एक लाल रंग का दाना हो जाता है, जहां खुजलाहट भी महसूस होती है. सिर्फ मादा मच्छर ही काटती है, क्योंकि मादा मच्छर को आपके खून में मौजूद प्रोटीन चाहिए होता है, जिससे वे अपने अंडों का निर्माण करती हैं.