Tenzing Norgay Birth Anniversary: तेनजिंग ने माउंट एवरेस्ट पर क्यों छुपाई थी मिठाई?

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 28, 2022, 07:57 PM IST

29 मई को अपना सपना पूरा करने वाले तेनजिंग नोर्गे का जन्म भी उसी तारीख (29 मई 1914) को हुआ था.

डीएनए हिंदी: माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है. यही वजह है कि इस चोटी को फतह करने के लिए दुनियाभर के पर्वतरोही हर साल नेपाल पहुंचते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि माउंट एवरेस्ट को पहली बार फतह करने का कारनामा किसने किया था? अगर नहीं तो बता दें कि न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी (Edmund Hillary) और नेपाल के शेरपा तेनजिंग नोर्गे (Tenzing Norgay) ने इस कीर्तिमान को हासिल किया था.  सन 1953 में आज ही के दिन यानी 29 मई 1953 को सुबह 11:30 बजे हिलेरी और नोर्गे माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने वाले पहले पर्वतरोही बने.

कैसे आया एवरेस्ट चढ़ने का ख्याल?
जानकारी के अनुसार, सन 1953 में ब्रिटेन ने कर्नल जॉन हंट की अगुवाई में माउंट एवरेस्ट फतह करने के लिए एक दल तैयार किया था. तेनजिंग नोर्गे और एडमंड हिलेरी भी इसी दल का हिस्सा थे. अप्रैल महीने में तैयारी पूरी होने के बाद दल ने एवरेस्ट चढ़ना शुरू किया. इस दौरान 26 मई को 26 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंचने के बाद को दल के दो सदस्यों चार्ल्स इवांस और टोम बोर्डिलन ने आगे का सफर जारी किया. हालांकि चोटी की 300 फीट दूरी पर ही उनका ऑक्सीजन मास्क खराब हो गया जिससे उन्हें उसी समय वापस लौटना पड़ा.

इसके बाद 28 मई को एडमंड और तेनजिंग ने अपनी चढ़ाई शुरू की लेकिन बर्फीले तूफान और रात हो जाने की वजह से दोनों को अपनी चढ़ाई 27,900 फीट पर ही रोकनी पड़ी. इसके बाद अगली सुबह करीब 9 बजे दोनों ने एक बार फिर अपना सफर शुरू किया और 11 बजते ही दोनों ने शिखर पर पहुंचकर इतिहास रच दिया. 

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एवरेस्ट को खिलाई मिठाई
अपनी इस सफलता से खुश होकर तेनजिंग ने एवरेस्ट को मिठाई खिलाई. एवरेस्ट पर पहुंचने के बाद उन्होंने जेब में रखी मिठाई और अपनी बेटी नीमा की पेंसिल निकालकर बर्फ में दबा दी. इसके पीछे तेनजिंग का तर्क था, 'घर पर हम सभी अपने प्रियजन को मिठाई देते हैं. एवरेस्ट भी मुझे हमेशा प्रिय रहा है और आज तो बेहद पास भी है. यही वजह है कि मैंने भेंट चढ़ाकर बर्फ से उन्हें ढक दिया.'

इधर, पर्वत के निचले हिस्से पर हिलेरी और तेनजिंग का इंतजार कर रहे उनके साथियों ने जैसे ही घने कोहरे के बीच से दोनों को नीचे आते देखा तो उन्हें लगा कि शायद वे दोनों पर्वत फतह करने में सफल नहीं हो पाए हैं और अब उन्हें एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए दूसरा प्रयास करना होगा. यही वजह रही कि लोगों को दोनों के इस कीर्तिमान का पता 4 दिन बाद यानी 2 जून को जाकर लगा. इसके बाद दुनिया भर में इसे अविश्वसनीय उपलब्धि के तौर पर देखा गया.

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खास है 29 मई का दिन
बता दें कि 29 मई को अपना सपना पूरा करने वाले तेनजिंग नोर्गे का जन्म भी उसी तारीख (29 मई 1914) को हुआ था. 29 मई को हिलेरी और नोर्गे माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने वाले पहले पर्वतरोही बने. यही कारण है कि इस दिन को प्रत्येक वर्ष अंतरराष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस के रूप में भी मनाया जाता है.

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