यूपी: ये हैं बीजेपी के 5 दिग्गज नेता, विधानसभा चुनावों में जिन पर रहेगी नजर
सीएम योगी, स्वतंत्र देव सिंह और केशव प्रसाद मौर्य (फाइल फोटो)
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव बेहद नजदीक हैं. सत्ताधारी पार्टी के 5 दिग्गज नेताओं की चुनावों में अहम भूमिका होने वाली है.
डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों की बिसात बिछ चुकी है. भारतीय जनता पार्टी(BJP) और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के रणनीतिकारों ने तय कर लिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के अलावा कितने चेहरे विधानसभा चुनावों में बीजेपी की बागडोर संभालेंगे. पार्टी ने यह भी साफ कर दिया है कि राज्य में विधानसभा चुनाव के चेहरे के तौर पर योगी आदित्यनाथ ही पेश किए जाएंगे.
सूबे में योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मैजिक को बीजेपी भुनाने की कोशिश में है. पीएम मोदी और सीएम योगी के अलावा स्वतंत्र देव सिंह, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और केशव मौर्य भी सूबे की सियासत में अहम भूमिका निभाएंगे. इसके अलावा राज्य के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह भी पूर्वांचल की सीटों पर अपनी पकड़ को और मजबूत करने की कोशिश करेंगे. वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य भी एक प्रमुख चेहरा हैं. जानें बीजेपी के सूबे के कौन से नेता अपनी भूमिका निभाने वाले हैं.
1. स्वतंत्र देव सिंह
स्वतंत्र देव सिंह उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के मुखिया हैं. स्वतंत्र देव सिंह की गिनती राज्य के दिग्गज नेताओं में होती है. स्वतंत्र देव सिंह मिर्जापुर से आते हैं. साल 1988-89 के बीच उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में संपर्क मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल की शुरुआत की. संगठन में धीरे-धीरे उनकी पकड़ मजबूत हुई तो 1994 में बीजेपी की युवा शाखा के मोर्चा प्रभारी बनाकर इन्हें बुंदेलखंड भेजा गया. 1996 में बीजेपी युवा मोर्चा के महमंत्री बने. 2001 में युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने और संगठन के लिए काम करते रहे. 2004 में विधानसभा परिषद के सदस्य चुने गए. इसी साल बीजेपी यूपी के प्रदेश महामंत्री के तौर पर इन्हें चुना गया. स्वतंत्र देव सिंह यूपी कैबिनेट में परिवहन और प्रोटोकल मंत्री (राज्य मंत्री, स्वंतत्र प्रभार) के तौर पर अपनी सेवाएं भी दे चुके हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में बीजेपी की मजबूती के लिए इन्होंने अहम रणनीति तैयार की थी, जिसके बाद से ही लगातार इनका कद बढ़ता चला गया. अब इनकी गिनती सूबे के दिग्गज नेताओं में होती है. विधानसभा चुनाव भी यूपी में इन्हीं की अध्यक्षता में लड़ा जाना है.
2. योगी आदित्यनाथ
यूपी में विधानसभा चुनाव सीएम योगी के ही नेतृत्व में ही लड़ा जा रहा है. केंद्रीय और राज्य के नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि यूपी में चुनावी चेहरा सीएम योगी आदित्यनाथ ही होंगे. सीएम योगी सिर्फ यूपी में ही नहीं बल्कि पूरे देश में बीजेपी के अहम नेता के तौर पर देखे जाते हैं. बीजेपी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में वे पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के बाद तीसरे नंबर पर आते हैं. उनकी छवि 2017 में मुख्यमंत्री बनने से पूर्व हिंदुत्ववादी नेता के तौर पर रही है. पश्चिम बंगाल से लेकर पूर्वोत्तर के राज्यों तक, उनकी चुनावी कैंपेनिंग को लोग पसंद करते हैं. सीएम योगी पहली बार 12वीं लोकसभा के दौरान गोरखपुर लोकभा सीट से संसद पहुंचे थे. 1998 में पहली बार योगी आदित्यनाथ सांसद चुने गए. फिर 1999, 2004, 2009 और 2014 में सांसद चुने गए. लगातार 5 बार सांसद रहे योगी आदित्यनाथ ने 2017 में पहली बार राज्य की कमान संभाली. सांसद के तौर पर उनका आखिरी दिन 13 सितंबर 2017 था. सीएम योगी को एक सख्त प्रशासक के तौर पर जाना जाता है. राज्य में बेहतर कानून व्यवस्था के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों की तारीफ होती है. उन्होंने यूपी में माफिया राज के खिलाफ लिए गए एक्शन के तहत कई गैंग्सटर्स की करोड़ों की संपत्ति जब्त करवाई थी. सीएम योगी की इसी छवि को बीजेपी भुनाने की कोशिश करेगी. दोबारा सत्ता में वापसी का सारा दारोमदार इन्हीं के कंधों पर है. सीएम योगी ने अपने पास गृह, आवास एवं शहरी नियोजन, राजस्व, खाद्य सुरक्षा और वित्त जैसे कई विभाग रखे हैं. इनकी गिनती राज्य के लोकप्रिय नेताओं में होती है.
3. दिनेश शर्मा
दिनेश शर्मा के पास योगी कैबिनेट में माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रानिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी जैसे मंत्रालय हैं. इनकी गिनती राज्य में तीसरे सबसे बड़े नेता के तौर पर होती है. इनके पास डिप्टी सीएम का भी पदाभार है. दिनेश शर्मा जन नेता भले ही न रहे हों लेकिन सरकार और संगठन में इनका कद बड़ा है. दिनेश शर्मा लखनऊ से आते हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रह चुके दिनेश शर्मा ने 1987 में राजनीति में एंट्री ली. 1987 में ही दिनेश शर्मालखनऊ विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष चुने गए. 1991 में इन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का उपाध्यक्ष बनाया गया. 1993 में ये युवा मोर्चा के अध्यक्ष चुने गए. 1998 तक दिनेश शर्मा भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे. बीजेपी सरकरा बनने पर इन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया और उत्तर प्रदेश पर्यटन विकास निगम का उपाध्यक्ष बनाया गया. 2006 में पहली बार लखनऊ के मेयर चुने गए. साल 2012 में फिर मेयर चुने गए. 2014 के लोकसभा चुनावों में दिनेश शर्मा ने अहम भूमिका निभाई. 16 अगस्त 2014 को बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चुने गए और गुजरात प्रदेश के प्रभारी बनाए गए. 2017 में यूपी में बीजेपी सरकार बनने के बाद दिनेश शर्मा को डिप्टी सीएम चुना गया. अब 2022 में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में भी दिनेश शर्मा की कैंपेनिंग पर देशभर की नजरें टिकी हुई हैं.
4. केशव मौर्य
केशव मौर्य योगी कैबिनेट में लोक निर्माण, खाद्य प्रसंस्करण, मनोरंजन कर, सार्वजनिक उद्यम विभाग संभाल रहे हैं. इनकी भी गिनती हिंदुत्ववादी नेताओं में होती है. केशव मौर्य यूपी के डिप्टी सीएम हैं. इन्होंने 2000 में पहली बार सक्रिय राजनीति में हिस्सा लिया. केशव मौर्य, बीजेपी के दिग्गज नेता रहे अशोक सिंघल के बेहद करीबी रहे हैं. 2004 में पहली बार इलाहाबाद (अब प्रयागराज) पश्चिमी से विधानसभा प्रत्याशी के तौर पर चुनावी समर में उतरे. साल 2012 में बीजेपी ने सिराथू विधानसभा क्षेत्र से इन्हें प्रत्याशी बनाया. इस साल चुनाव में इन्हें जीत मिली और विधायक बने. 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद केशव प्रसाद मौर्य का भी कद बढ़ता गया. फूलपुर लोकसभा सीट से केशव प्रसाद मौर्य को टिकट दिया गया, जिसमें ये सफल रहे. इन्हें 3 लाख वोटों से जीत मिली. यहां से पहली बार बीजेपी को जीत मिली थी. 2014 से 2016 तक केशव मौर्य सांसद रहे. फिर 16 अप्रैल 2016 को इन्हें बीजेपी यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. विधानसभा चुनाव 2017 में होने वाले थे. संयोग से 11 मार्च 2017 को यूपी के चुनावी नतीजे सामने आए जिसमें एनडीए को कुल 325 सीटों पर जीत मिली. यह ऐतिहासिक जीत थी. केशव प्रसाद मौर्य की 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों में अहम भूमिका होने वाली है. देशभर की नजरें इनके चुनावी कैंपनिंग पर है.
5. स्वामी प्रसाद मौर्य
स्वामी प्रसाद मौर्य योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. इनके पास श्रम, सेवायोजन, समन्वय, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, मातृ एवं शिशु कल्याण मंत्रालय है. स्वामी प्रसाद मौर्य भी बीजेपी की बड़े नेताओं में आते हैं. वे बहुजन समाज पार्टी में भी रह चुके हैं. वे लगातार 4 बार विधायक भी रहे हैं. मंत्री के अलावा वे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं. प्रयागराज और आसपास के अन्य जिलों में स्वामी मौर्य की पकड़ बेहद मजबूत है. फिलहाल स्वामी प्रसाद मौर्य पड़रौना विधानसभा सीट से विधायक हैं. स्वामी मौर्य ने 22 जून 2016 को मायावती पर पैसे लेकर टिकट बांटने का आरोप लगाते हुए बसपा छोड़ दिया था. 1997 में पहली बार मायावती सरकार में इन्होंने मंत्रिपद संभाला था. 2003 में फिर मायावती सरकार में मंत्री बने. 2007 में फिर एक बार ये मंत्री बने. कभी बसपा के दिग्गज नेताओं में शुमार स्वामी प्रसाद मौर्य फिलहाल बीजेपी के बड़े नेताओं में शुमार हैं. माना जा रहा है कि प्रयागराज के आसपास के विधानसभा क्षेत्रों और ओबीसी वोटबैंक को भुनाने में इनकी अहम भूमिका होने वाली है.