डीएनए हिंदी: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत (Bipin Rawat) का हेलिकॉप्टर तमिलनाडु के कुन्नूर में क्रैश हो गया. इस हेलिकॉप्टर में कुल 14 लोग सवार थे. सीडीएस बिपिन रावत भारतीय सेना के लिए मजबूत स्तंभ रहे हैं. पाकिस्तान के खिलाफ रणनीतिक युद्ध में उन्होंने बड़ी भूमिकाएं निभाई हैं. सीडीएस रावत के नेतृत्व में भारतीय सेना ने अपने सबसे मुश्किल मिशन को अंजाम दिया है.
यह सीडीएस बिपिन रावत का ही कार्यकाल था जब भारत ने फरवरी 2019 में पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था. उनके कार्यकाल में भारतीय वायुसेना ने बालाकोट एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया था. हाल के दिनों में भारत और पाकिस्तान सीमा पर सीज फायर लागू करवाने में भी सीडीएस बिपिन रावत की अहम भूमिका रही है. हालांकि जब-जब पाकिस्तान ने सीज फायर तोड़ने की कोशिश की तत्कालीन जनरल बिपिन रावत के नेतृत्व में सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया था.
चीन के खिलाफ कैसा था सीडीएस रावत का रुख?
पाकिस्तान के अलावा सीडीएस बिपिन रावत की नजर चीन पर थी. दो महीने से ज्यादा वक्त तक चले डोकलाम विवाद के दौरान भारत-चीन सीमा पर तनाव कम करवाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने एक के बाद एक सीमा पर चीन के साथ बैठकें कीं जिससे दोनों देशों के बीच तनाव कम हुआ. सेना प्रमुख के तौर पर जब डोकलाम विवाद 73 दिनों से ज्यादा 2017 में खिंचा था तब उन्होंने चीनी सेना के साथ अहम बैठकों के बाद विवाद सुलझाया था.
म्यांमार स्ट्राइक को कैसे दिया था अंजाम?
सेना प्रमुख रहने के दौरान पूर्वोत्तर में उग्रवाद को कम करने में सीडीएस रावत ने अहम भूमिका निभाई थी. 2015 में म्यांमार में हुए क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने NSCN-K के उग्रवादियों को म्यांमार में घुसकर मारा था.
यह मिशन सीडीएस बिपिन रावत की देखरेख में दीमापुर स्थित III कोर के ऑपरेशन कमांड से चलाया गया था. 2016 में हुए भारत और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में हुए सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान भी तत्कालीन सेना प्रमुख रावत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. तब जनरल रावत साउथ ब्लॉक से सेना की हर गतिविधि पर नजर रख रहे थे.
जून 2015 में म्यांमार के अंदर सर्जिकल स्ट्राइक को भारतीय सेना के लगभग 70 कमांडो की एक क्रैक टीम ने अंजाम दिया था. सेना ने 40 मिनट के भीतर ऑपरेशन खत्म कर दिया था जिसमें 38 नागा विद्रोही मारे गए और 7 घायल हो गए. दरअसल नागा विद्रोहियों ने 4 जून 2015 को भारत के 18 सैनिकों को मार दिया था. मणिपुर के चंदेल इलाके में छुपकर जवानों पर हमला किया गया था. 7 जून की रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश से लौटने के बाद क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशन को मंजूरी दे दी.
सैन्य प्रमुख के तौर पर कैसा रहा है बिपिन रावत का कार्यकाल?
भारतीय सेना को संगठित करने में बिपिन रावत का अहम रोल रहा है. उन्होंने सेना के ऊपर प्रशासनिक दबाव कम कराया था और सैन्य क्षमता को बढ़ाने पर जोर दिया था. सीडीएस रावत ने सेना पर मानसिक दबाव कम करने पर जोर दिया और कहा कि मशीनों के पीछे इंसानी दिमाग है. उनका जोर हमेशा सेना को आधुनिक बनाने पर रहा है.
किन फैसलों पर हुआ विवाद?
बिपिन रावत के कार्यकाल में कुछ विवाद भी सामने आए. सरकार ने पेंशन उनके कार्यकाल के दौरान, सेना ने विकलांगता पेंशन पर कर लगाने के सरकार के फैसले को स्वीकार कर लिया था जिससे दिव्यांग रिटायर्ड सैनिकों ने नाराजगी जाहिर की थी. उनके सैन्य प्रमुख रहने के दौरान कैंट इलाके को आम जनता के लिए खोल दिया गया था. कैंट से होकर गुजरने वाले इलाकों में सिविलियन की एंट्री पर सेना के अफसरों ने ही सवाल खड़े किए थे.