डीएनए हिंदीः तीन कृषि कानूनों की अचानक वापसी के बाद मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष का आक्रोश बढ़ गया था. इसकी वजह ये थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के हाथ से पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले एक महत्वपू्र्ण मुद्दा छीन लिया है. कानूनों के रद्द होने के बाद ये संभावनाएं थीं कि सरकार के खिलाफ संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष एकजुटता के साथ आक्रामक हो सकता है किंतु वर्तमान स्थिति इस बात का संकेत दे रही है कि मोदी सरकार और BJP विपक्ष को तोड़ने की प्लानिंग में सफल हो गई है.
बैकफुट पर थी BJP और मोदी सरकार
मोदी सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेना एक बड़ा फैसला था. BJP को संभवतः ये पता था कि इस मुद्दे पर विपक्ष उस बैकफुट पर ले जाने की कोशिश कर सकता है, इसलिए भाजपा ने पहले ही इस मुद्दे पर शीतकालीन सत्र से पहले विपक्ष को लगभग बिखेर कर रख दिया है. विपक्षी पार्टियों की एकता को बिखेरने के लिए संसद में विपक्ष के ही पुराने घटनाक्रमों का सहारा लिया गया है. इसका अंजाम ये है कि विपक्ष सदन के अंदर और बाहर पूर्णतः बिखरा हुआ है.
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राज्यसभा के सांसदों का निलंबन
विपक्ष को घेरने के लिए सबसे बड़ा मुद्दा मानसून सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में सांसदों द्वारा हुआ हंगामा था. शीतकालीन सत्र की शुरुआत के साथ ही राज्यसभा के सभापति वेकैंया नायडू ने मानसून सत्र के दौरान हंगामा मचाने वाले 12 सांसदों को इस पूरे सत्र के लिए ही निलंबित कर दिया. नतीजा ये कि विपक्ष मोदी सरकार को घेरने के बजाय सांसदों के मुद्दे में व्यस्त हो गया. ताजा स्थिति ये है कि शीतकालीन सत्र की शुरुआत से लेकर अब तक विपक्षी सांसद संसद के बाहर महात्मा गांधी की प्रतिमा के आगे सांकेतिक घरने पर बैठे हुए हैं.
दोनों तरफ से टकराव
मोदी सरकार इस मुद्दे पर संसद की मर्यादा तोड़ने का हवाला देकर इन सांसदों से माफी की मांग कर रही है. राज्यसभा के सभापति का स्पष्ट कहना है कि इन सांसदों ने अपनी गलती और माफी मांग ली तो उनका निलंबन रद्द हो सकता है. वहीं दूसरी ओर ये विपक्षी सांसद इस मुद्दे पर माफी मांगने को तनिक भी तैयार नहीं हैं. वहीं ये निलंबित सांसद ही सरकार से माफी की मांग कर रहे हैं. इस पूरे घटनाक्रम पर विपक्ष भी बंटा हुआ है.
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आपस में भी हैं बिखराव
संसद में मोदी सरकार को घेरने में विफल दिख रहा विपक्षी धड़ा दो गुटों में भी बंटता जा रहा है. इसकी एक वजह बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं जो कि कांग्रेस के साथ किसी सहयोग को नकारने लगी हैं. वहीं कांग्रेस के प्रभुत्व वाले गोवा, त्रिपुरा, असम और हरियाणा जैसे राज्यों में विस्तार कर ममता की पार्टी टीएमसी को ही कमजोर करने में लगी है. वहीं विपक्ष का यही बिखराव BJP के लिए एक सहज स्थिति बनता जा रहा है.