Cyber Crime: मुफ्त योजनाओं की लालच कैसे साइबर फ्रॉड की बनती है वजह?

| Updated: Mar 18, 2022, 07:40 AM IST

Cyber Crime (Representative Image)

देश में साइबर फ्रॉड की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. कभी किसी अनजान कंपनी या शख्स को अपने पहचान पत्र और सरकारी दस्तावेज कभी न दें.

डीएनए हिंदी: साइबर ठग हर दिन नए-नए तरीकों से फर्जीवाड़े कर रहे हैं. अपने दस्तावेजों को गलत हाथों में देना आपको बेहद भारी पड़ सकता है.  2018 में, मुंबई में एक बीमा कंपनी ने घोषणा की कि इसके स्वास्थ्य जांच शिविर में भाग लेने वालों को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा दिया जाएगा.यानी अगर लोग बीमार पड़ते हैं तो अस्पताल का सारा खर्च यह कंपनी उठाएगी.

जैसे ही योजना की भनक लोगों को लगी, सैकड़ों की संख्या में लोग इस स्वास्थ्य जांच शिविर में शामिल होने पहुंचे. इस दौरान कंपनी ने लोगों का पैन कार्ड, आधार कार्ड और उनके बैंक से एक कैंसल चेक ले लिया, जिसमें कहा गया था कि भविष्य में कंपनी को अपने बैंक खातों में पैसा जमा करने के लिए इन सभी दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी. लोगों को लगा कि जब उन्हें घर बैठे इतनी अच्छी पॉलिसी फ्री में मिल रही है तो क्यों न दस्तावेज इस कंपनी को दे दिए जाएं.

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'कंपनी ने बीमा नहीं दिया कर्ज का बोझ'

जब इस कंपनी को 287 लोगों के जरूरी दस्तावेज मिले तो उसने सबसे पहले इन सभी लोगों के नाम से मोबाइल फोन के सिम कार्ड लिए. जब ये सिम कार्ड चालू हो गए तो इस कंपनी ने अलग-अलग बैंकों में कंज्यूमर लोन के लिए आवेदन किया. आवेदन पत्र में इन लोगों के नए नंबरों का जिक्र किया गया. जब बैंक ने कर्ज मंजूर किया तो इन लोगों के नंबर पर एक ओटीपी भेजा गया. चूंकि यह ओटीपी उन नए फोन नंबरों पर आया था, इसलिए इन लोगों को पता भी नहीं चला कि यह कंपनी उनके नाम पर कर्ज ले रही है.

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फ्री के चक्कर में लाखों रुपयों का चढ़ा कर्ज

बाद में जब कर्ज की किस्तें बैंक में जमा नहीं हुईं तो बैंक के कर्मचारी इन लोगों के घर पहुंचे और तभी इन लोगों को पता चला कि उन्हें जो 'फ्री' हेल्थ स्कीम मिली थी, उसकी कीमत एक करोड़ 55 रुपये के आस-पास थी. इसलिए हमेशा प्रमाणिक कंपनियों को ही अपने दस्तावेज बेहद जरूरी होने पर सौंपे. किसी भी अनजान व्यक्ति से कभी अपनी व्यक्तिगत जानकारियां और दस्तावेज न शेयर करें, तभी साइबर फ्रॉड से बचा जा सकता है.
 

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