डीएनए हिंदी: कंप्यूटर, स्मार्टफोन, टैबलेट, टेलीविजन और दूसरी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज से निकलने वाली ब्लू लाइट हमारी आंखों के लिए खतरनाक साबित हो रही है. कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जब इसकी वजह से लोगों की आंखों की रोशनी भी असमय और असामान्य रूप से कम होने लगी है. दर्जनों ऐसे शोध सामने आ चुके हैं जो बताते हैं कि ब्लू लाइट की वजह से आंखों को गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर ब्लू लाइट है क्या , कैसे आंखों को नुकसान पहुंचाती है और इससे बचाव के तरीके क्या हैं-
क्या होती है ब्लू लाइट (What is Blue Light)
कंप्यूटर, मोबाइल, लैपटॉप, स्मार्ट टीवी जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की स्क्रीन से निकलने वाली लाइट को ब्लू लाइट कहा जाता है. ब्लू लाइट की वेवलेंथ कम होती है, ऐसे में ये बहुत ज्यादा मात्रा में ऊर्जा पैदा करती है. ये लाइट आंख के सबसे अहम हिस्से यानी रेटिना को सीधे तौर पर प्रभावित करती है. यही वजह है कि ज्यादा स्क्रीन टाइम का असर अक्सर हमारे विजन पर पड़ने लगता है. इसी से आजकल कम उम्र में बच्चों की नजर कमजोर होने लगी हैं.
क्या हैं बढ़ते स्क्रीन टाइम की वजह से होने वाले नुकसान
शोध बताते हैं कि ब्लू लाइट का ज्यादा एक्सपोजर रेटिना की संवेदनशील कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है. इससे आंखों का दर्द बढ़ सकता है जिससे किसी भी काम पर ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल होती है. अक्सर सिर दर्द और धुंधला दिखने की समस्या भी ज्यादा स्क्रीन टाइम की वजह से ही सामने आती है. इसके अलावा ड्राई आई भी बढ़ते स्क्रीन टाइम की वजह से होने वाली एक अहम समस्या बनकर सामने आई है. अक्सर कम उम्र से ही गैजेट्स और कंप्यूटर की आदत की वजह से बच्चों में भी बढ़ते स्क्रीन टाइम के दुष्प्रभाव सामने आने लगे हैं.
ये भी पढ़ें- Knowledge News: छींकते वक्त क्यों बंद हो जाती हैं आंखें, क्यों आती है आवाज?
कैसे रखें आंखों का ख्याल
दिन में लगभग 5-10 घंटे का स्क्रीन टाइम हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन चुका है. ऐसे में इससे निजात पाना आसान नहीं है. मगर आंखों का ख्याल रखना भी जरूरी है. इसके लिए नौ मंत्र बता रहे हैं वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय तेवतिया-
1. कम्प्यूटर या लैपटॉप पर काम करते समय इसे पर्याप्त दूरी पर रखें, स्क्रीन को अपनी आंखों से कम से कम बीस से पच्चीस इंच की दूरी पर रखें.
2. स्क्रीन पर काम करते समय हर आधा घंटे के बाद एक से दो मिनट के लिए स्क्रीन से आंख हटाकर किसी दूर की चीज पर देखना चाहिए. हर एक घण्टे के बाद पांच मिनट के लिए वहां से उठकर टहलना चाहिए.
3. ध्यान रखें एयरकंडीशनर की हवा सीधे आंखों पर नहीं पड़नी चाहिए.
4. कम्प्यूटर या लैपटॉप पर काम करते समय स्क्रीन की ब्राइटनेस ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
ये भी पढ़ें- Eye Care: आंखें बताती हैं Health का पूरा हाल! जानिए क्या कहती हैं आंंखें
5. आंख की पलकों को जल्दी-जल्दी झपकते रहना चाहिए, व्यक्ति आमतौर पर पलकों को एक मिनट में अट्ठारह से बीस बार झपकता है जबकि स्क्रीन पर काम करते समय पलकों का झपकना एक मिनट में सात से आठ बार ही रह जाता है जिससे व्यक्ति ड्राई आई सिन्ड्रोम से पीड़ित हो सकता है.
6. स्क्रीन पर कार्य करते समय एन्टीग्लेयर चश्मे का इस्तेमाल करें, अगर सम्भव हो सके तो स्क्रीन पर एन्टीग्लेयर कोटिंग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
7. जिस कमरे में कम्प्यूटर या लैपटॉप हो उस कमरे का तापमान थोड़ा नम होना चाहिए.
8. स्क्रीन पर कार्य करते समय पानी खूब पीयें, जूस पिएं और खाने में एन्टीऑक्सीडेन्ट युक्त भोजन ज्यादा लें.
9. आंखों में जलन या चुभन होने की स्थिति में आर्टिफिशियल टीयर्स या लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह आंखों को ड्राई होने से बचाती है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.