ये हैं यूपी के बाहुबली नेता जिनका जेल जाकर भी नहीं टूटा सियासी तिलिस्म

| Updated: Dec 06, 2021, 06:07 PM IST

मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद (फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में बाहुलबली नेताओं का कद लगातार घटा है.

उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पार्टियां आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जोर-शोर से जुट गई हैं. यूपी में चुनाव होने वाले हों और बाहुबली नेताओं का जिक्र न हो, ऐसा हो नहीं सकता. यूपी में एक से बढ़कर एक दिग्गज बाहुबली नेता हैं, जिनके खिलाफ पर गैंगस्टर से लेकर हत्या तक के मुकदमे दर्ज हैं लेकिन अपने विधानसभा क्षेत्र में उनकी तूती बोलती है. 

बाहुबली नेताओं की लिस्ट बहुत लंबी है. यूपी की राजनीति में कुछ ऐसे चेहरे रहे हैं जिनकी जमीन पर पकड़ हर सरकार में एक जैसी रही है. सरकारें किसी भी रही हों लेकिन अपने इलाके के सरकार ये ही रहे हैं. हालांकि यह भी सही है 2017 में यूपी की सत्ता में योगी आदित्यनाथ की एंट्री के बाद बाहुबलियों का कद ऐसा घटा कि वे बचते फिर रहे हैं. अतीक अहमद से लेकर मुख्तार अंसारी तक, सब पर सीएम योगी का कानूनी चाबुक चल चुका है.

क्या है कहानी यूपी के बाहुबली नेताओं की?

यूपी के बाहुबली नेताओं को कई सरकारों में सरकारी सरंक्षण मिला. यही वजह है कि उनकी स्थानीय स्तर पर और राज्य की राजनीति में भी पकड़ मजबूत होती गई. रघुराज प्रताप सिंह, अमरमणि त्रिपाठी, हरिशंकर तिवारी से लेकर मुख्तार अंसारी और अमरमणि त्रिपाठी तक, इन बाहुबली नेताओं के पास अपार जनसमर्थन रहा है. आइए जानते हैं कुछ दिग्गज बाहुबली नेताओं के बारे में.

1. मुख्तार अंसारी

मुख्तार अंसारी, मऊ से लगातार 5 बार विधायक चुना जा चुका है. मुख्तार पर गैंग्सटर, माफिया, हत्या के दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं. मुख्तार अंसारी की गिनती कुख्यात नेताओं में होती है. मुख्तार जेल से भी चुनाव जीतता है. 15 वर्षों की जेल भी मुख्तार अंसारी की जमीन पर पकड़ कम नहीं कर पाई है. मुख्तार अंसारी का जन्म एक प्रतिष्ठित परिवार में गाजीपुर में हुआ था. मुख्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी क्रांतिकारी थे. साल 1926 से लेकर 27 के वे कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. मुख्तार अहमद अंसारी महात्मा गांधी के करीबी लोगों में शामिल रहे हैं. माफिया मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर उस्मान थे जिन्हें 1947 की लड़ाई में शाहदत मिली थी. अदम्य शौर्य के लिए उन्हें महावीर चक्र मिला था. मुख्तार अंसारी के पिता सुभानउल्ला अंसारी कम्युनिस्ट नेता रहे हैं. पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी मुख्तार अंसारी के रिश्ते में चाचा लगते हैं. मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी बसपा के बड़े नेता हैं और गाजीपुर से सांसद हैं. वे भी 5 बार सांसद रह चुके हैं. 

मुख्तार अंसारी ऐसे पारिवारिक बैकग्राउंड के बाद भी माफिया बन गया. मुख्तार अंसारी पर विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का आरोप है. 2000 में 1985 से सत्ता में काबिज रहा अंसारी परिवार, चुनाव हार गया था. पारिवारिक सीट गंवाने के बाद मुख्तार अंसारी बौखला गया था. जब कृष्णानंद राय की हत्या हुई तब मुख्तार जेल में था लेकिन हत्याकांड में संलिप्तता के आरोपों से नहीं बच सका. गाजीपुर में परिवार की हनक ऐसी है कि मुख्तार के घर को बड़का फाटक लोग कहते हैं. मुख्तार अंसारी की सियासी पारी इतनी हिट है कि कौमी एकता दल (अब बसपा में विलय है), कांग्रेस से लेकर बसपा तक का सफर तय कर चुका है. कहा जा सकता है कि मुख्तार अंसारी की इलाके में तूती बोलती है. फिलहाल मुख्तार अंसारी यूपी के बांदा जेल में बंद है और जमानत की गुहार अदालत से लगा रहा है. योगी सरकार ने मुख्तार अंसारी की कई अवैध संपत्तियां सील की हैं. 

2. अतीक अहमद

अतीक अहमद का आज भी प्रयागराज में खौफ देखने को मिलता है. मुख्तार अंसारी पर हत्या, अपहरण और लूट जैसे दर्जनों अपराध के आरोप हैं. अतीक अहमद पर आज भी 80 से ज्यादा मुकदमे हैं. 5 बार विधायक रह चुका है. अतीक अहमद सांसद भी रहा है. 1979 में अतीक अहमद डॉन बन गया था. यह एक तांगेवाले का बेटा था. सबसे पहले अतीक ने अपने साथी की हत्या 17 साल की उम्र में की थी. प्रयागराज, फूलपुर और चित्रकूट में अतीक का खौफ बोलता था. यह सूबे के टॉप भू माफियों की लिस्ट में शामिल है. 1989 में इसने राजनीति में कदम रखा. पश्चिमी इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से लगातार 5 बार विधायक चुना गया. 2004 में अतीक सपा में शामिल हो गया. 1999 से लेकर 2003 तक यह अपना दल का अध्यक्ष रह चुका था.

अतीक अहमद पर चांद बाबा, नस्सन, अशरफ और राजू पाल जैसे लोगों की हत्या का आरोप है. ये सभी बीजेपी के दिग्गज नेताओं के करीबी रहे हैं. मायावती ने इसके खिलाफ ऑपरेशन अतीक शुरू किया था. योगी सरकार में अतीक अहमद के बुरे दिन चले. लाखों-करोड़ों की संपत्तियों अवैध संपत्तियों पर योगी सरकार बुल्डोजर चला चुकी है या जब्त कर चुकी है.

3. रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया

रघुराज प्रताप सिंह और राजा भैया प्रतापगढ़ की भदरी रियासत में 31 अक्टूबर 1969 को पैदा हुए.  छह बार से लगातार विधायक हैं. 1993 में 12वीं विधानसभा के लिए पहली बार निर्वाचित हुए थे. कुंडा थाने में राजा भैया और उनके पिता उदय प्रताप सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी से लेकर हत्या के कई मामले दर्ज थे और उनका नाम इलाके के हिस्ट्री शीटरों में शुमार रहा है. कुंडा के आसपास के इलाकों में राजा भैया के नाम की हनक है. मायावती ने अपने शासनकाल में पोटा के तहत केस दर्ज किया था. सपा सरकार के सत्ता में आते ही वे फिर से मुख्यधारा में आए. योगी सरकार पर भी उनके ऊपर से मुकदमे हटाने के आरोप लगते हैं. मायावती के अलावा सभी सरकारों से उनके रिश्ते अच्छे रहे हैं. कई बार मंत्री भी बन चुके हैं. फिलहाल जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के राजा भैया अध्यक्ष हैं.

4. हरिशंकर तिवारी

हरिशंकर तिवारी, पूर्वाचंल के सबसे बड़े छत्रपति रहे हैं. यूपी के सबसे बड़े बाहुबली. ब्राम्हण बनाम ठाकुरों की जंग में हरिशंकर तिवारी का पड़ला भारी रहा है. गोरखपुर शहर के मध्य में हरिशकंर तिवारी का घर 'हाता' नाम से प्रसिद्ध है. प्रदेश की सियासत भी 'तिवारी के हाता' से एक वक्त तक तय होती रही है. हरिशंकर तिवारी चिल्लूपार विधानसभा से 6 बार विधायक रह चुके हैं. कई बार सूबे में मंत्री रहे.

छात्र राजनीति से करियर की शुरुआत करने वाले हरिशंकर तिवारी पर कई संगीन मामले दर्ज हैं.  पुलिस के रजिस्टर में वे एक अरसे तक गैंग्सटर, हिस्ट्री शीटर और माफिया रहे हैं. कई अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगता रहा है. उनकी छवि कई बाहुबलियों को जन्म देने की रही है. हालांकि अब वे बुजुर्ग हो गए हैं और उनके बेटे विनय शंकर तिवारी राजनीति संभालते हैं. योगी सरकार के उदय के बाद पूर्वाचंल की जमीन पर हरिशंकर तिवारी की पकड़ खत्म होती चली गई.

5. अमरमणि त्रिपाठी

अमरमणि त्रिपाठी की गिनती भी पूर्वांचल के माफियाओं में होती थी. यह सियासत और जुर्म, दोनों की दुनिया में प्रासंगिक बना रहा था. हर राजनीतिक पार्टी में अपने जगह बनाने के लिए अमरमणि मशहूर रहा है. अमरमणि कई बार विधायक और मंत्री रह चुका है. साल 2003 में मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में नाम आने के बाद सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. 2007 में पत्नी मधुमणि के साथ अमरमणि को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. तब से लेकर अब तक वह जेल में बंद है. अमरमणि जेल से भी चुनाव जीतता रहा है.