डीएनए हिंदी: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने आज कांग्रेस का साथ छोड़ दिया. उन्होंने कांग्रेस पार्टी की प्राथमकि सदस्यता से लेकर सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. आजाद ने कांग्रस अध्यक्ष सोनिया गांधी को 5 पन्नों का इस्तीफा भेजा और उसमें लिखा, "बड़े अफसोस और बेहद भावुक दिल से मैंने कांग्रेस से अपना आधा सदी का पुराना नाता तोड़ने का फैसला किया है." वह गांधी परिवार के बेहद करीबी नेताओं में से एक माने जाते थे. लेकिन पिछले कुछ समय से कांग्रेस से उनकी तल्खी नजर आ रही थी.
सोनिया गांधी चाहती थीं कि कांग्रेस जम्मू कश्मीर में आजाद के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़े. इसलिए उन्हें चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया था. लेकिन गुलाम नबी ने पद मिलने के कुछ घंटों बाद ही इस्तीफा दे दिया था. वे कांग्रेस के नाराज नेताओं के जी-23 गुट में शामिल थे. G-23 गुट कांग्रेस में लगातार कई बदलाव की मांग करता रहा है.
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2005 में बनाए गए थे जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री
गुलाम नबी आजाद ने 1973 में भलस्वा में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सचिव के रूप में राजनीति की शुरुआत की थी. इसके बाद उनकी सक्रियता को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था. आजाद ने महाराष्ट्र के वाशिम लोकसाभ सीट से 1980 में पहली बार चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी. 1982 में उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में कैबिनेट में शामिल किया गया था. आजाद की राजनीतिक जीवन में स्वर्णिम समय तब आया जब उन्हें 2005 में जम्मू कश्मरी का मुख्यमंत्री बनाया गया. आजाद ने जुलाई 2008 तक मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला था.
मनमोहन सरकार में बने केंद्रीय मंत्री
यूपीए की मनमोहन सरकार में गुलाम नबी आजाद को 2009 में चौथी बार राज्यसभा के लिए चुना गया था और बाद में उन्हें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री बनाया गया. आजाद 2014 केंद्रीय मंत्री रहे थे. इसके बाद 2014 में मोदी सरकार आने के बाद उन्हें विपक्ष का नेता बनाया गया था. इसके बाद 2015 वह फिर से राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे.
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इसी साल मिला पद्म भूषण पुरस्कार
राजनीति में उनके अनुभव और कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जम्मू कश्मीर सहित देश के करीब सभी राज्यों में उनकी सक्रियता रही है. मार्च 2022 में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आजाद को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था.
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