ऑनलाइन Sextortion और हनीट्रैप के हो रहे हैं शिकार तो कैसे करें अपना बचाव?

Written By अभिषेक शुक्ल | Updated: Jan 15, 2022, 03:46 PM IST

Online fraud.

ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग के मास्टरमाइंड अब लोगों को सोशल मीडिया के जरिए ठग रहे हैं. जानें कैसे ठगों से बच सकते हैं.

डीएनए हिंदी: सोशल मीडिया (Social Media) पर साइबर ठग अब ऑनलाइन हनी ट्रैप (Honey Trap) का जाल रच रहे हैं. फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ऐसे ठगों की पसंदीदा जगहें हैं. साइबर अपराधी पहले लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं फिर उन्हें ब्लैकमेल करते हैं और लाखों की ठगी की वारदात को अंजाम देते हैं. बदनाम होने के डर से लोग पुलिस तक से अपनी बात नहीं कह पाते हैं. 

सोशल मीडिया पर पहले ठग किसी लड़की के नाम से प्रोफाइल बनाते हैं. कुछ लोगों को फ्रैंड लिस्ट में ऐड करते हैं. कुछ दिन शांत रहने के बाद ठग उस शख्स के बारे में ऑनलाइन ही जानकारी हासिल करते हैं जिसे वे निशाना बनाने जा रहे होते हैं. उसकी सोशल मीडिया एक्टिविटी पर नजर रखते हैं. 

कैसे होती है Sextortion की शुरुआत?

फेक लड़की की प्रोफाइल के जरिए ठग अपने शिकार को मैसेज करते हैं. मैसेज की शुरुआत नॉर्मल बातचीत से होती है. कुछ देर की बातचीत के बाद सीधे मैसेंजर में शख्स से पूछा जाता है, 'क्या मेरे साथ वीडियो सेक्स करोगे?' 

सामान्यतौर पर जिन्हें ऑनलाइन फ्रॉड के बारे में पता है वे ऐसी आईडी को ब्लॉक कर देते हैं. जो ब्लॉक नहीं करते और ऐसे प्रस्तावों को मानकर वीडियो कॉल कर लेते हैं, फंस जाते हैं. ठग बहुत शातिर तरीके से फोन नंबर भी हासिल  कर लेते हैं. 
 

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कैसे ठग बनाते हैं ऑनलाइन सेक्स टेप?

जैसे ही यूजर वीडियो कॉल करता है बहुत शातिराना अंदाज में एक वीडियो प्ले किया जाता है. वीडियो में एक लड़की कपड़े उतारते दिखती है. कई बार ठग पहले से रिकॉर्डेड वीडियो प्ले करते हैं जिसे दूसरे कैमरे से के जरिए उसे दिखाते हैं. कई बार नए वीडियोज तैयार करते हैं जिसमें लड़की का चेहरा ब्लर नजर आता है. ठग इस ताक में रहते हैं कि कैसे शिकार शख्स अपने कपड़े उतारे. अगर कपड़े उतार देता है तो उसे रिकॉर्ड कर लेते हैं. अगर यूजर सिर्फ वीडियो ही देखे तो भी उसे रिकॉर्ड कर लेते हैं. कुछ ही सेकेंड्स अगर वीडियो देखता शख्स नजर आ गया तो भी वीडियो ठग तैयार कर लेते हैं. ठग मॉर्फ्ड वीडियो भी तैयार कर लेते हैं. इसे सेक्सटॉर्शन (Sextortion) भी कहते हैं.

कैसे करते हैं ब्लैकमेल? 

वीडियो में हनी ट्रैप का शिकार हुए शख्स का चेहरा नजर आता है. कई बार उसे न्यूड करके एडिट कर देते हैं. ठग धमकी देते हैं कि इस वीडियो को वायरल कर देंगे, घरवालों को भेज देंगे. कई बार फोन करने वाला शख्स खुद को किसी बड़े पुलिस अधिकारी के तौर पर पेश करता है और शख्स को धमकी देता है, 'आप पोर्न रैकेट में शामिल हैं अगर पैसे नहीं दिए तो आपको जेल भेज दूंगा.'

आमतौर पर ऐसी धमकियों से लोग डर जाते हैं. डर की वजह से लोग पैसे देने को तैयार हो जाते हैं. साइबर ठग इसी डर को भुनाते हैं और कामयाब हो जाते हैं. कई केस ऐसे आए हैं जब ब्लैकमेलिंग के शिकार लोग खुदकुशी कर लेते हैं.

ब्लैकमेलिंग का शिकार हों तो क्या करें?

नजदीकी पुलिस स्टेशन में तत्काल शिकायत दर्ज कराएं. फेक आईडी, फोन नंबर के बारे में जानकारी साइबर सेल से शेयर करें. पूरे मामले को साफ-साफ पुलिस को बताएं. पुलिस साइबर क्राइम के मुद्दों पर काफी एक्टिव होती है और आपको पूरी मदद पहुंचाने की कोशिश करेगी.

ब्लैकमेलिंग का पीड़ित होना अपराध नहीं!

अगर आपका कोई वीडियो बना लेता है तो आप अपराधी नहीं हैं. वीडियो बनाने वाला अपराधी है. भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 292, 293 और 294 की धाराएं अश्लीलता से संबंधित हैं. धारा 292 के मुताबिक किसी भी तरह की अश्लील सामग्री को प्रकाशित करना अपराध है. इस धारा के तहत 2 साल की सजा हो सकती है. यही अपराध दूसरी बार किया जाए तो 5 साल की सजा हो सकती है और आर्थिक दंड भी दिया जा सकता है.

आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत भी एक्शन लिया जाता है. यह धारा अश्लील कंटेंट को इलेक्ट्रॉनिक तौर पब्लिश करने से संबंधित है. यंग पर्सन (हार्मफुल पब्लिकेशन) एक्ट 1956 और दूसरी धाराओं के तहत भी एक्शन हो सकता है.

ऐसे में आपकी वीडियो बनाने वाला शख्स खुद जेल की सलाखों के पीछे पहुंच सकता है आप नहीं. पीड़ित होते ही सबसे पहले शिकायत दर्ज कराएं. दोषियों के खिलाफ शिकायत बड़े अपराधों को रोक सकती है.

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