Independence day 2022: चीन-पाक से लड़ाई के बीच स्पेस पॉवर बने हम, जानिए आजादी के बाद 1959 से 1968 तक का हाल

कुलदीप पंवार | Updated:Aug 14, 2022, 05:41 PM IST

आजादी के बाद देश ने तरक्की की पायदानों को कैसे छुआ, यह हम आपको 10-10 साल की सीरीज के तौर पर बता रहे हैं. इस सीरीज की दूसरी किस्त में पढ़िए साल 1959 से 1968 तक का सफर...

डीएनए हिंदी: आजादी के बाद भारत दोबारा सोने की चिड़िया बनने की राह पर था. पंचवर्षीय योजनाओं से विकास के दरवाजे खुले थे. गुटनिरपेक्ष आंदोलन ने देश की छवि दुनिया में शांतिदूत की बनाई थी, लेकिन यह तरक्की पड़ोसी देशों की आंखों में खटक रही थी. पंचशील समझौता कर 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' के नारे लगाने वाले चीन और हमारा ही एक अंग रहे पाकिस्तान के कारण अगले 10 साल युद्ध की विभिषकाओं से होकर गुजरे. इसके बावजूद भारत आगे बढ़ता रहा.

1959- दलाई लामा को शरण देकर चीन को बना लिया दुश्मन

चीन के साथ 1962 की लड़ाई के बारे में हर किसी ने सुना होगा लेकिन इस लड़ाई की नींव पड़ी थी साल 1959 में. 31 मार्च 1959 को तिब्बत पर चीनी आक्रमण के कारण भारत पहुंचे दलाई लामा (Dalai Lama) को जवाहरलाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) ने शरण दी. दलाई लामा अपने कुछ साथियों के साथ भारत-चीन की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के तवांग (Tawang) पहुंचे.

बॉर्डर पर मौजूद भारतीय फौज (Indian Army) और स्थानीय प्रशासन ने उन्हें तुरंत सुरक्षा दी और अरुणाचल से असम (Assam) लेकर आ गए. इसके बाद उन्हें हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के धर्मशाला (Dharamshala) में जगह दी गई. आज भी वहीं से निर्वासित तिब्बत सरकार दलाई लामा के नेतृत्व में काम कर रही है. दलाई लामा को शरण देने की वजह से ही चीन भारत से खासा नाराज हो गया.

Video: Independence Day 2022- 1959 में कैसे रख दी गई थी चीन-भारत युद्ध की नींव

1960- भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ सिंधु जल समझौता

1947 में आजादी मिलने के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच कई मुद्दों पर विवाद शुरू हो गया था. इनमें से एक मुद्दा दोनों देशों के बीच नदियों के पानी का बंटवारा भी था. यह विवाद जब ज्यादा बढ़ गया, तब 1949 में अमेरिकी विशेषज्ञ और टेनसी वैली अथॉरिटी के पूर्व प्रमुख डेविड लिलियंथल ने इसे तकनीकी रूप से हल करने का सुझाव दिया.

उनकी राय पर सितंबर 1951 में विश्व बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष यूजीन रॉबर्ट ब्लेक भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थ बने. लंबी बातचीत के बाद 19 सितंबर, 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता हुआ. इसी समझौते के तहत भारत से पाकिस्तान जाने वाली और वहां से भारत आने वाली सभी नदियों के पानी का बंटवारा होता है. 

वही साल की दूसरी बड़ी घटना महाराष्ट्र और गुजरात का अलग राज्य के तौर पर गठन होना है. गुजराती और मराठी लोगों के अलग-अलग राज्यके लिए आंदोलन की बदौलत पृथक राज्य अधिनियम 1956 के तहत 1 मई 1960 को महाराष्ट्र और गुजरात नाम से दो नए राज्य अस्तित्व में आए.

Video: Independence Day 2022- जब 1960 में महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों का हुआ बंटवारा

1961- 450 साल की गुलामी के बाद गोवा बना भारतीय हिस्सा

यह साल भारत की विजय का साल है. इसी साल 450 साल से पुर्तगाली शासन की गुलामी में दबे गोवा, दमन और दीव को आजादी मिली और उनका विलय भारत में हुआ. दरअसल ब्रिटिश और फ्रांस के सभी colonial rule खत्म होने के बाद भी भारतीय उपमहाद्वीप के गोवा, दमन और दीव में पुर्तगालियों का शासन था. समय-समय पर भारत सरकार गोवा को आजाद करने की मांग कर रही थी, लेकिन यह मांग पुर्तगाली ठुकरा दे रहे थे.

इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय के तहत 18 दिसंबर 1961 के दिन सैन्य अभियान शुरू किया. 36 घंटे से भी कम वक्त में पुर्तगाली सेना ने बिना किसी शर्त के भारतीय सेना के समक्ष 19 दिसंबर को आत्मसमर्पण कर दिया और गोवा भारत का हो गया.

Video: Independence Day 2022- जब 1961 में आजादी के 14 साल बाद आजाद हुआ गोवा

1962- चीन के विश्वासघात का साल, भारत के अंतरिक्ष शक्ति बनने की शुरुआत

ये वो साल था जब चीन ने भारत के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात किया. चीनी सेना ने धोखा देते हुए 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा पर एक साथ हमले शुरू कर दिए. उस वक्त भारतीय सेना इस युद्ध के लिए तैयार नहीं थी. फिर भी चीन के 80 हज़ार सैनिकों के सामने भारत के 10-20 हज़ार जवान डटकर सामना करते रहे. ये युद्ध 1 महीने चला और आखिरकार 21 नवंबर 1962 को चीन ने युद्ध विराम की घोषणा की. युद्ध विराम के बावजूद चीन ने आज तक उस दौरान कब्जाए बहुत बड़े हिस्से पर कब्जा नहीं छोड़ा है.

इस साल चीन ने भले ही भारत के साथ धोखा किया, लेकिन स्पेस की दुनिया में 1962 भारत के लिए एक बड़ा साल था. इसी साल मशहूर वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की अगुवाई में इंडियन नेशनल कमिटी फॉर स्पेस रिसर्च की शुरुआत हुई, जिसके बाद दुनियाभर में स्पेस रिसर्च में भारत की गूंज सुनाई दी. 

Video: Independence Day 2022- क्यों 1962 में चीन ने कर दिया था भारत पर अचानक हमला?

1963- संसद में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव पेश

ये साल स्पेस प्रोग्राम के लिहाज से भारत के लिए बेहद अच्छा था, लेकिन राजनीतिक तौर पर खराब भी रहा. अच्छा इसलिए था कि भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में एक ऊंची छलांग लगाई और अमेरिका की मदद से एक अहम रॉकेट लॉन्च किया. ये कदम भारत के लिए स्पेस प्रोग्राम में मील का पत्थर साबित हुआ.

इसके उलट 1963 में देश की संसद में आजादी के बाद पहली बार सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया. देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू साल 1947 से भारत पर एकछत्र राज्य करते आ रहे थे, लेकिन चीन के हाथों मिली हार से नेहरू का राजनीतिक कद बेहद छोटा हो गया था. खुद उनकी कैबिनेट के अंदर विरोधी आवाजें उठ रहीं थीं. इन्हें दबाने के लिए छह मंत्रियों के इस्तीफे भी ले लिए गए, लेकिन देश और पार्टी का उबाल शांत नहीं हुआ. नतीजा अविश्वास प्रस्ताव आया. नेहरू ने जैसे-तैसे सरकार तो बचा ली, लेकिन उनकी तबीयत खराब रहने लगी और उन्होंने काम में दिलचस्पी दिखानी बंद कर दी. 

Video: Independence Day 2022- चीन से हारकर जिंदगी से जंग हारने लगे थे नेहरू

1964- देश ने खो दिया सबसे बड़ा लाल

26 मई 1964 को जवाहर लाल नेहरु गर्मी की छुट्टियां मना कर दिल्ली लौटे थे. 27 मई को आज़ाद भारत के पहले प्रधानमंत्री का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. आधुनिक भारत के संस्थापक नेहरू की अंतिम यात्रा में तब बच्चों, महिलाओं समेत ढाई लाख लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. 

सब इतना अचानक हुआ कि उनके उत्तराधिकार के नाम पर विचारविमर्श करने का समय तक नहीं था. तब गुलज़ारीलाल नंदा ने भारत के अंतरिम पीएम के रूप में शपथ ली. इसके बाद अगले प्रधानमंत्री के रूप में नेहरु के नजदीकी लाल बहादुर शास्त्री का नाम दावेदारों के रूप में सामने आया. 

वहीं, खेल जगत की बात करें तो, 1964 में हॉकी प्लेयर चरणजीत सिंह को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

Video: Independence Day 2022- 1964 में जवाहर लाल नेहरू का दिल का दौरा पड़ने से निधन

1965- पाकिस्तान ने थोपी जंग, देश को मिले BSF और FCI

इस साल पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया और भारत को वहां जंग में घेरना चाहा, लेकिन भारत ने पंजाब का फ्रंट खोल दिया. पाकिस्तान के लाहौर तक भारतीय सेना पहुंच गई. इसके चलते पाकिस्तानी फौज के हाथ-पांव फूल गए और उसे अपनी फौज कश्मीर से हटानी पड़ी. आखिरकार संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों की मध्यस्थता के बाद 5 अगस्त को शुरू हुई लड़ाई 23 सितंबर को खत्म हो गई.

इस साल की सबसे बड़ी बात देश में हर गरीब तक अनाज उपलब्ध कराने और उसे खराब होने से बचाने के लिए सरकार की तरफ से food corporation of india की स्थापना रही, जो आज भी भारत के गरीबों को मिलने वाले सस्ते राशन की जिम्मेदार है. साथ ही सीमा की सुरक्षा के लिए भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद सीमा सुरक्षा बल की स्थापना हुई, जिसे हम BSF के नाम से जानते हैं. 

इसी साल हिंदी को अधिकारिक भाषा घोषित किया गया. हालांकि सरकार इसे राष्ट्रभाषा भी घोषित करना चाहती थी, लेकिन देश में हुए विरोध के बाद हिंदी को अन्य 23 भाषाओं के साथ अधिकारिक राज्य भाषा का सम्मान मिला.

Video: Independence Day 2022: जब 1965 में लाहौर के दरवाजे पर पहुंच गई थी भारतीय सेना

1966- लाल बहादुर शास्त्री और भाभा की रहस्यमयी मौत

ये साल भारत के लिए दुख का साल रहा. सामान्य कद काठी के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shashtri) के नेतृत्व में पाकिस्तान पर फतह से हिंदुस्तान का रुतबा दुनिया भर में बढ़ा था. युद्ध में सोवियत संघ ने मध्यस्थता की कमान संभाली और ये तय किया गया कि शांति ही एकमात्र रास्ता है. लिहाजा पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान और भारत के प्रधानमंत्री ताशकंद पहुंचे, जहां 10 जनवरी 1966 को समझौता किया गया. 

उसी रात एक ऐसी अनहोनी हो गई कि जिससे देश हिल गया. लाल बहादुर शास्त्री की मौत रहस्यमय तरीके से हो गई, सोवियत संघ ने जहां हार्ट अटैक को कारण माना जबकि उनके परिजनों ने षड्यंत्र को. आज तक यह रहस्य नहीं खुल सका है. आनन फानन में देश की बागडोर पंडित नेहरू की बेटी और कांग्रेस की दिग्गज नेता इंदिरा  गांधी (Indira Gandhi) को दी गई और वे प्रधानमंत्री बनीं. 

शास्त्री के निधन से देश उबरा भी नहीं था कि भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक न्यूक्लियर साइंटिस्ट होमी जहांगीर भाभा का निधन भी 24 जनवरी को हो गया. उनके निधन को लेकर भी शक की सुई उठती रही हैं.

Video: Independence Day 2022- 1966 में लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मौत

1967- देश को मिला पहला मुस्लिम राष्ट्रपति, नाथू ला में चीन को चटाई धूल

ये वो ऐतिहासिक साल है, जब देश को पहला मुस्लिम राष्ट्रपति मिला था. जी हां, हम बात कर रहे हैं जाकिर हुसैन की. जाकिर हुसैन के राष्ट्रपति बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है. 1967 में उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया. 6 मई, 1967 को देश के तीसरे राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने थे. तभी शाम को ऑल इंडिया रेडियो का प्रसारण रोक दिया गया और जाकिर हुसैन जीत गए. और इस तरह साल 1967 में देश को पहला मुस्लिम राष्ट्रपति मिला. अपने भाषण में, उन्होंने कहा था, 'पूरा भारत मेरा घर है और यहां के सभी लोग मेरा परिवार'. 

इस साल एक बार फिर भारत और चीन के बीच गोलियां चलीं, लेकिन इस बार भारत ने दिखा दिया कि अब वो 1962 के दौर में नहीं है. दरअसल उस वक्त सिक्किम का विलय भारत में नहीं हुआ था, तो ऐसे में चीन को वहां भारतीय सेना की मौजूदगी पर आपत्ति थी. चीनी सैनिकों ने 13 अगस्त, 1967 को नाथू ला में भारतीय सीमा से सटे इलाके में गड्ढे खोदने शुरू कर दिए थे. इसके विरोध में भारतीय सैनिकों ने भी जवाब दिया और दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प हुई. भारत के 90 सैनिकों की शहादत हुई, जबकि चीन के 400 से ज्यादा सैनिक मारे गए. इसके बाद साल 2020 तक चीन ने भारत के साथ कभी हिंसक झड़प नहीं की.

Video: Independence Day 2022- 1967 में मिला भारत को अपना पहला मुस्लिम राष्ट्रपति

1968- देश में जन्मा नक्सलबाड़ी उग्रवाद, कम्युनिस्ट पार्टी का हुआ गठन

ये वो साल था जब देश में दीपेन्द्र भट्टाचार्य की अगुआई में Communist Party of Marxism और Leninism का गठन किया गया.  यहीं से चारु मजूमदार और कानू सान्याल ने भूमि अधिग्रहण को लेकर पूरे देश में सत्ता के खिलाफ एक व्यापक लड़ाई शुरू की, जो 1967 में चारू मजूमदार की तरफ से शुरू हुए नक्सलबाड़ी उग्रवाद का ही बड़ा रूप थी. इसके बाद देश में नक्सलवाद फैलता ही गया है. 

Video: Independence Day 2022- 1968 में हुई नक्सलबाड़ी आंदोलन की शुरुआत

तो वहीं, क्रिकेट की दुनिया में 1968 एक महत्वपूर्ण साल रहा. भारत ने पहली बार एक दूसरे मुल्क में टेस्ट क्रिकेट में जीत दर्ज की. भारत ने मंसूर अली खान पटौदी की कप्तानी में न्यूज़ीलैंड को उसी की धरती पर हराकर टेस्ट सीरीज़ जीती और इतिहास रच दिया.

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