डीएनए हिंदी : आज़ादी के परवाने शहीद भगत सिंह(Bhagat Singh) की आज 92वीं पुण्यतिथि है. उनकी उम्र कुल 23 बरस थी जब वे फांसी पर झूल गए थे. उस युवा क्रांतिकारी के लोग तब भी दीवाने थे, आज भी दीवाने हैं. उनके उस अमर वाक्य "आज़ादी मेरी दुल्हन है" से कौन नहीं वाक़िफ़ है? क्या बांकी उम्र थी वह! क्या युवता का जोश! कितने ही लोगों की मुहब्बत हासिल थी उन्हें. यहां तक कि बैरिस्टरी छोड़ चुके गांधी ने भी उन्हें बचाने की ख़ातिर वक़ीलों वाला चोगा वापस पहन लिया था. क्या उस क्रांतिकारी का दिल कभी नहीं फ़िसला होगा? उसे कोई लड़की नहीं पसंद आई होगी? आइए जानते हैं क्या थी शहीद भगत सिंह की लव स्टोरी की सच्चाई ?
दुर्गा भाभी से नहीं हुई थी भगत सिंह की शादी - दुर्गा देवी भगत सिंह के साथ हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन की सदस्य थीं. सैंडर्स पर गोली चलाने के बाद पंजाब पुलिस भगत सिंह और सुखदेव के पीछे पड़ी थी, तब दुर्गा देवी ने भगत सिंह(Bhagat Singh) की पत्नी की भूमिका निभाई और उन्हें भागने में मदद दी थी. वे वास्तव में भगत सिंह के साथी क्रांतिकारी भगवतीचरण की पत्नी थीं.
साथी सुखदेव को लगा था भगत सिंह दल में नई शामिल हुई लड़की की वजह से मरने से डर रहे थे - दरअसल असेम्बली पर जब बम फेंकने की तैयारी हो रही थी, शुरुआत में भगत सिंह(Bhagat Singh) ने इसका ज़िम्मा लेने से मना किया था. इस पर उनके साथ ही फांसी के फंदे पर झूलने वाले सुखदेव ने भगत सिंह को ताना दिया था कि वे दल में नई शामिल हुई लड़की की वजह से डर रहे हैं. यह बात भगत सिंह को काफ़ी खली थी. उन्होंने इसका प्रतिरोध किया और बम फेंकने का ज़िम्मा ख़ुद पर लिया. इस बात का ज़िक्र उन्होंने सुखदेव को लिखे अपने ख़त में भी किया है.
प्यार को ख़ूबसूरत मानवीय भावना बताया था उन्होंने - भगत सिंह(Bhagat Singh) ने 5 अप्रैल 1929 को भगत सिंह को एक चिट्ठी लिखी थी जिसमें उन्होंने प्यार को पशुवत वासना से इतर सुन्दर मीठा मानवीय भाव बताया था. लड़की वाली बात पर सुखदेव के ताने का जवाब देते हुए वे कहते हैं, "मैं पुनः कहता हूँ कि मेरी अपनी आकांक्षाएं हैं और ज़िंदगी मुझे भी लुभाती है पर मैं इन्हें किसी भी वक़्त छोड़ सकता हूं और वही सच्ची क़ुर्बानी है. प्यार अगर प्यार हो तो यह इंसान को बेहतर बनाता है, उसे नीचे नहीं गिराता है."