Knowledge News: ट्रेन के बीच में ही क्यों लगाए जाते हैं AC कोच?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 23, 2022, 07:37 PM IST

रेलवे के सीनियर अधिकारी बताते हैं कि सेफ्टी और पैसेंजर की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया जाता है.

डीएनए हिंदी: ट्रेन में सफर करते वक्त आपने गौर किया होगा कि आमतौर पर AC कोच ट्रेन के बीच में ही होते हैं. ज्यादातर ट्रेनों में सबसे पहले इंजन, फिर जनरल डिब्बा, फिर कुछ स्लीपर, बीच में एसी डिब्बे, उसके बाद फिर से स्लीपर, जनरल डिब्बे और लास्ट में गार्ड रूम होते हैं. अगर किसी ट्रेन में सभी AC कोच हों तो बात अलग है. वरना अमूमन ऐसा ही होता है. क्या आप इसकी वजह जानते हैं? अगर नहीं तो आज हम आपको इसके जवाब के बारे में बताएंगे. 

रेलवे के सीनियर अधिकारी बताते हैं कि सेफ्टी और पैसेंजर की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया जाता है. ट्रेनों में इस तरह कोच लगाने का यह क्रम अंग्रेज राज से शुरू हो गया था. 

आपने इस बात पर जरूर गौर किया होगा कि ट्रेन स्टेशनों के एग्जिट गेट स्टेशन के बिल्कुल बीच में होते हैं. ऐसे में जब प्लेटफॉर्म पर ट्रेन रुकती है तो एसी कोच इस एग्जिट गेट से काफी पास में होते हैं. इस तरह एसी में यात्रा करने वाले यात्री भीड़ से बचकर कम समय में एग्जिट कर जाते हैं. जबकि जेनरल डिब्बों की भीड़ प्लेटफॉर्म पर दोनों छोर में बंट जाती है.

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अधिकारी ने बताया, आमतौर पर ट्रेनों में जनरल डिब्बे (General Coach) और स्लीपर डिब्बे में अधिक पैसेंजर होते हैं. उनके मुकाबले एसी डिब्बे में कम पैसेंजर होते हैं. जब एसी और स्लीपर डिब्बे का ट्रेन में अलग-अलग जगह प्लेसमेंट होगा तो उसमें चढ़ने वाली यात्रियों की संख्या भी बंट जाएगी. इससे रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन को भीड़ का प्रबंधन करने में मदद मिलती है.

रेलवे में अपर क्लास के डिब्बे बीच में लगाए जाने का चलन कब शुरू हुआ जब भारत में स्टीम इंजन का बोलबाला था. बाद में डीजल इंजन आए. इन दोनों इंजनों में बहुत शोर होता था. जब ट्रेन चल रही हो तो शोर कुछ ज्यादा ही होता है. अपर क्लास के पैसेंजर को कम शोर सुनना पड़े, इसके लिए उनका डिब्बा इंजन से थोड़ा दूर लगाया जाता था. हालांकि अभी ज्यादातर इलेक्ट्रिक इंजन चल रहे हैं जिनके चलने पर शोर कम से कम होता है.

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