Digital Rupee: RBI का ऐलान, आज से बड़े सौदों में डिजिटल रुपये का इस्तेमाल, पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Nov 01, 2022, 06:37 AM IST

फिलहाल RBI की डिजिटल करेंसी में पेमेंट और सेटलमेंट देश के कुल 9 बैंक ही कर पाएंगे. पढ़िए ब्रजेश कुमार की ये खास रिपोर्ट...

डीएनए हिंदी: देश के अपने डिजिटल रुपये (Digital Rupee) का इंतजार खत्म होने जा रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के मुताबिक, 1 नवंबर यानी आज मंगलवार से बड़े सौदों में इस्तेमाल होने वाला डिजिटल रुपया लॉन्च हो रहा है. इसे फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च किया जा रहा है और देश के कुल 9 बैंक ही फिलहाल इसमें पेमेंट या सेटलमेंट कर पाएंगे. रिजर्व बैंक के मुताबिक, इस डिजिटल रुपये का इस्तेमाल सबसे पहले सरकारी सिक्योरिटीज़ यानि सरकारी बॉन्ड आदि की खरीद बिक्री पर होने वाली निपटारे की रकम के तौर पर होगा. हालांकि RBI ने साथ ही ये भी कहा है कि महीने भर के भीतर रिटेल ट्रांजेक्शन (छोटे लेनदेन) के लिए भी डिजिटल रुपये को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च कर दिया जाएगा.

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अन्य डिजिटल करेंसी बनाम डिजिटल रुपया

क्रिप्टो करेंसी (Crypto Currency) के बढ़ते शोर के बीच सरकार ने इस साल बजट में अपनी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी लाने का ऐलान किया था. इसके बाद रिजर्व बैंक ने डिजिटल रुपये को लॉन्च करने का खाका तैयार किया. बिटकॉइन (Bitcoin) आदि जैसी क्रिप्टो करेंसी की जहां फिलहाल कोई कानूनी मान्यता नहीं है, वहीं, रिजर्व बैंक का डिजिटल रुपया पूरी तरह वैध मुद्रा होगा. क्रिप्टो में जहां करेंसी का भाव घटता बढ़ता रहता है, वहीं, डिजिटल रुपये में ऐसा कुछ नहीं होगा.

क्रिप्टो करेंसी जारी करने के पीछे कोई ठोस आधार नहीं होता, वहीं, फिजिकल नोट की छपाई के बदले में बतौर सिक्योरिटी रखी जाने वाली रकम की तरह ही डिजिटल रुपया जारी करने के बाद भी रिजर्व बैंक अलग से सुरक्षा के लिए रकम रखेगा. इससे हर डिजिटल रुपया रिजर्व बैंक की देनदारी होगा. फिजिकल नोट वाले सारे फीचर डिजिटल रुपये में भी होंगे. लोगों को डिजिटल रुपये को फिजिकल रुपये में बदलवाने की सुविधा भी मिलेगी. अभी तक की योजना के मुताबिक डिजिटल करेंसी के लिए अलग से बैंक खाता खुलवाने की जरूरत नहीं होगी.

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दो तरह का होगा डिजिटल रुपया

डिजिटल रुपया दो तरह का लॉन्च किया जाएगा. एक डिजिटल रुपया बड़ी रकम के लेनदेन के लिए इस्तेमाल होगा, जिसका नाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी होलसेल होगा. सबसे पहले 1 नवंबर से इसी रुपये की शुरुआत हो रही है. इसका इस्तेमाल बड़े वित्तीय संस्थान करेंगे, जिनमें बैंक, बड़ी नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां और दूसरे बड़े सौदे करने वाले संस्थान शामिल हैं. 

इस डिजिटल रुपये के पायलट प्रोजेक्ट के बाद रिटेल ट्रांजेक्शन के लिए सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी रिटेल भी लाई जाएगी. इसका इस्तेमाल लोग रोजमर्रा के लेनदेन के लिए कर सकेंगे. ये भी पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुनिंदा जगहों और बैंकों के साथ ही शुरू होगा. पायलट प्रोजेक्ट में सभी आयुवर्ग के लोगों को शामिल किया जाएगा. फिर उनके अनुभवों के आधार पर जरुरत पड़ने पर फीचर्स में बदलाव किया जाएगा.

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डिजिटल रुपये और डिजिटल पेमेंट में अंतर

आम लोगों के लिए डिजिटल रुपये और डिजिटल पेमेंट में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होगा, लेकिन बैंकों और रिजर्व बैंक के खातों में एंट्री के लिहाज से अंतर होगा. डिजिटल रुपया बैंकों की देनदारी न होकर रिजर्व बैंक की देनदारी होगा. इसे ऐसे समझते हैं कि जिस तरह किसी के बैंक खाते में पैसा जमा करने पर उस पैसे को ग्राहक की जरूरत के समय लौटाना बैंक की देनदारी होती है. उसी तरह डिजिटल रुपया भी जरूरत पड़ने पर ग्राहक को लौटाना होगा, लेकिन इसकी देनदारी बैंक की न होकर सीधे रिजर्व बैंक की होगी. 

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डिजिटल रुपये पर नहीं मिलेगा ब्याज

अभी अगर कोई पैसा बैंक में रखता है तो उसे ब्याज मिलता है, लेकिन डिजिटल रुपये पर ऐसा कोई ब्याज नहीं मिलेगा. ये माना जाएगा कि अगर कोई करेंसी नोट अपने पास रखता है तो उसे ब्याज की कोई कमाई नहीं होती. इसीलिए डिजिटल रुपये पर भी किसी तरह के ब्याज की आमदनी संभव नहीं होगी.

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नोट की तरह ही होगा डिजिटल रुपये

डिजिटल रुपये को डिजिटल पेमेंट सिस्टम की अहम कड़ी UPI से भी जोड़ा जाएगा ताकि लोग पेटीएम, फोन पे जैसे दूसरे अहम वॉलेट से लेन-देन कर सकें. फिजिकल करेंसी की तरह ही डिजिटल रुपये को भी 10, 20, 50, 100, 500 वाली वैल्यू (डिनॉमिनेशन) में ही रखा जाएगा. हालांकि एक व्यक्ति कितना डिजिटल रुपया रख सकेगा, इसकी सीमा तय की जा सकती है. डिजिटल करेंसी से पेमेंट पर गोपनीयता बनाए रखने की कोशिश की जाएगी. मुमकिन है कि चुनिंदा सरकारी एजेंसियों को छोड़कर बाकी किसी को डिजिटल रुपये से हुए सौदों की पूरी सटीक जानकारी नहीं दी जाए. 

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डिजिटल रुपये से क्या फायदा होगा

सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि नोटों की छपाई और उन्हें बैंकों की शाखाओं, ATM तक पहुंचाने का खर्च बचेगा. साथ ही नोट के जलने, कटने, फटने और भीगने जैसी दिक्कतों से भी छुटकारा मिलेगा. बीते कारोबारी साल में रिजर्व बैंक को करीब 5000 करोड़ रुपये का खर्च नोटों को छापने पर ही करना पड़ा था. हर साल जितनी करेंसी छपती है, उसके हिसाब से ये लागत घटती बढ़ती है. डिजिटल रुपये का चलन बढ़ने पर इस खर्च की बचत होने लगेगी. साथ ही सेटलमेंट के जोखिम में भी कमी आएगी. नए जमाने के एंटरप्रिन्योर इस पर आधारित नई टेक्नलॉजी वाले प्रोडक्ट भी ला सकेंगे. पेमेंट सिस्टम में एक तरह से नए प्रोडक्ट लाने को बढ़ावा दिया जाएगा. विदेशों में पैसा भेजने या मंगाने की व्यवस्था भी डिजिटल रुपये से सरल बनाने की कोशिश होगी.

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