Flood: बाढ़ में हर साल 'बह' जाते हैं देश के 20,000 करोड़ रुपये, जानिए अपने राज्य का हाल

अभिषेक सांख्यायन | Updated:Aug 25, 2022, 06:24 AM IST

भारत के लिए मानसून एक नेमत भी है तो एक तरीके से यह कुदरत का कहर भी है. जहां अच्छी मानसूनी बारिश के बिना देश के बड़े भूभाग की कृषि सूखे का शिकार हो जाती है, वहीं देश की एक बड़ी आबादी को इसके चलते बाढ़ में अपना सबकुछ गंवाना पड़ता है. पेश है बाढ़ की विभीषिका पर एक रिपोर्ट...

डीएनए हिंदी: हर साल देश मानसून की अच्छी बारिश की उम्मीद करता है. पूरे देश की अर्थव्यवस्था मानसून से प्रभावित होती है, लेकिन जब मानसून के बादल जरा ज्यादा झूम जाएं तो हर साल बाढ़ की चपेट में आकर देश की एक बड़ी आबादी अपना सबकुछ गंवा भी देती है. 

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, साल 2018 से 2020 के बीच के तीन सालों में बाढ़ के कारण देश को लगभग 59,000 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हो चुका है. इससे देश के करीब 11.04 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं. 

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तीन साल में सबसे ज्यादा नुकसान 2018 में

केंद्र सरकार की तरफ से लोकसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार, 2018 से 2020 के बीच तीन सालों में बाढ़ से 59,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसा हुआ है. इस आंकड़े में फसलों, घरों और सार्वजनिक संपत्तियों की क्षति शामिल है. सबसे ज्यादा नुकसान साल 2018 में हुआ था, जब बाढ़ अपने साथ 21,850 करोड़ रुपये की संपत्ति बहा ले गई थी. 

साल 2019 में बाढ़ से प्रभावित लोगों की संख्या में इजाफा हुआ, लेकिन बाढ़ प्रभावित क्षेत्र कम रहा. इस साल कुल नुकसान 15,864 करोड़ का रहा था, जो बाकी सालों से कम था. 

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देश को एक चौथाई नुकसान केवल कर्नाटक से 

बाढ़ की वजह से आर्थिक तौर पर सबसे ज्यादा नुकसान उठाने वाला राज्य कर्नाटक है. देशभर में हुए आर्थिक नुकसान का एक चौथाई केवल कर्नाटक को हुआ है. राज्य में तीन साल के दौरान फसलों, घरों और सार्वजनिक सुविधाओं को पहुंचे नुकसान की कुल कीमत 14,450 करोड़ रुपये है. यह दूसरे राज्यों की तुलना में काफी ज्यादा है. 

कर्नाटक के बाद सबसे ज्यादा नुकसान झेलने वाले राज्य राजस्थान है. यहां तीन सालों में 9,043 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इसमें से अधिकतर नुकसान साल 2018 में हुआ था, जब 8,820 करोड़ रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई. इसके बाद तीन बड़े राज्यों में असम (8.04 हजार करोड़), आंध्र प्रदेश (5.3 हजार करोड़) और तमिलनाडु (3.5 हजार करोड़) शामिल है. 

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बाढ़ से तीन साल में 11.04 करोड़ लोग प्रभावित 

जहां साल 2018 में 3.74 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे और 77 लाख हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ था. वहीं, साल 2019 बहुत भारी गुजरा. इस साल प्रभावित लोगों की संख्या 20 प्रतिशत बढ़कर 4.63 करोड़ हो गई, लेकिन बाढ़ प्रभावित क्षेत्र कम होकर 44.94 लाख हेक्टयर पर पहुंच गया. कोविड से प्रभावित साल 2020 में बाढ़ की चपेट में आए लोगों की संख्या 2.66 करोड़ थी.

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तीन सालों  में 6 हज़ार लोगों की मौत 

पिछले तीन सालों के दौरान बाढ़ के कारण देश में 6000 से ज्यादा लोग जान खो चुके हैं. साल 2018 में बाढ़ ने ज्यादा क्षेत्र को प्रभावित किया था, उस साल मृतकों की संख्या 1,839 थी. वहीं, साल 2019 में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र कम होने पर मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 2,754 हो गई. साल 2020 में मृतकों की संख्या 1,365 रही थी.

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