Pitbull Attack: तीन साल में 1.5 करोड़ भारतीय हुए कुत्तों के शिकार, पिटबुल ही नहीं ये डॉग ब्रीड्स भी हैं खतरनाक
Pitbull Attack: रेबीज़ के कारण होने वाली मौतों के मामले में भारत दुनिया में नंबर वन है. देश में 30-60 फीसदी मौतें 15 साल तक की उम्र वालों की है.
डीएनए हिंदी: हमेशा ही पालतू जानवरों में कुत्ते लोगों की पहली पसंद रहे हैं. आम तौर पर कुत्तों के बारे में लोगो का सोचना है कि वे अपने मालिक के लिए सबसे ज़्यादा वफादार जानवर होते हैं. इसके अलावा बहुत सारे लोग सुरक्षा कारणों से भी कुत्ते पालना सबसे ज़्यादा पसंद करते हैं. वहीं कुछ दुर्लभ नस्ल के कुत्ते शान दिखाने के लिए पाले जाते हैं.
पिछले दिनों कुत्ते इन कारणों के बजाय निगेटिव बातों के चलते ज्यादा चर्चा में रहे हैं. खासतौर पर पिटबुल (Pitbull) नस्ल के कुत्ते तो बेहद खतरनाक साबित हो रहे हैं. क्या आप जानते हैं कि कुत्ता काटने के कारण रेबीज (Rabies) होने से दुनिया में सबसे ज्यादा मौत भारत में ही होती हैं. भारत में पिछले तीन साल के दौरान ही 1.5 करोड़ लोग कुत्तों के काटने का शिकार हुए हैं.
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इस साल सात महीने में ही 14.5 लाख लोगों को कुत्ते ने काटा
सरकार की तरफ से संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, साल 2019 से जुलाई 2022 के बीच करीब 1.5 करोड़ लोग जानवरों के काटने का शिकार हुए हैं. इनमें सबसे ज्यादा मामले साल 2019 में सामने आए, जब करीब 72.77 लाख लोगों को कुत्ते ने काट लिया. वहीं, साल 2020 में 46.33 लाख और 2021 में 17 लाख लोगों को जानवर काटने चुके हैं.
साल 2022 के पहले सात महीनों में 14.50 लाख लोगों को कुत्तों ने काटा है. सरकार के मुताबिक, सबसे ज्यादा आवारा कुत्ते उत्तर प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं. हालांकि जानवरों के काटने के सबसे ज्यादा मामले इस साल अभी तक तमिलनाडु और महाराष्ट्र में सामने आए हैं.
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क्या है WHO का कहना
भारत में कुत्तों से होनी वाली रेबीज बीमारी कितनी भयावह है, इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों से समझा जा सकता है. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में सबसे ज्यादा रेबीज से मौत भारत में होती हैं. हर साल करीब 18000-20000 लोगों की मौत हो जाती है, जो दुनिया की कुल मौतों का करीब 36 फीसदी है. WHO के अनुसार, मनुष्य में 99 फीसदी रेबीज केस कुत्तों के कारण होते हैं.
भारत में रेबीज से होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा
भारत में रेबीज से होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि 30-60 फीसदी मौतें 15 साल तक की उम्र के बच्चों की होती हैं.जहां तक कुत्तों से घायल और मृत्यु होने पर किसी तरह के मुआवजा मिलने के प्रावधान की बात है तो फिलहाल केंद्र के स्तर पर ऐसा कोई कानून नहीं है. देश में केवल केरल एक ऐसा राज्य है, जहां मुआवजा तय करने के लिए एक कमेटी का गठन हुआ है.
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क्या है पिटबुल की History
भारत में आसानी से पाए जाने वाली पालतू कुत्तों की कई नस्लें हैं, जिनमे आजकल 'पिटबुल" सबसे ज्यादा चर्चा में है. क्या आप जानते हैं पिटबुल भारतीय नहीं है. ये एक अमरीकन हाईब्रीड प्रजाति के कुत्तों की नस्ल है. पिटबुल अमेरिका में बुलडॉग और टेरियर्स नस्ल के कुत्तों के hybridization से बनी नस्ल को कहा जाता है. ब्रिटेन जैसे दूसरे देशों में इसे अमेरिकन पिटबुल टेरियर यानि APBT नाम से जाना जाता है. यह ऐसी ब्रीड है, जिसमे टेरियर की फुर्ती ,बुलडॉग की शक्ति और खेलकूद क्षमता सबसे ज़्यादा है.
शुरुआत में इन कुत्तों को इंग्लैंड में ही पैदा किया और पाला जाता था. पहली बार इन्हें 1870 में ब्रिटिश देशों से अमेरिका में आप्रवासी नागरिकों के साथ लाया गया था. पिटबुल नस्ल के कुत्ते सामान्य कुत्तों से मजबूत माने जाते हैं. ये बहुत एक्टिव और मजबूत जबड़े वाले होने के साथ ही साहसी, निडर और लड़ाकू होते हैं. इस कारण दुनिया में कई जगह इन्हें डॉगफाइटिंग खेल के लिए इस्तेमाल में भी लाया जाता है.
भारत सहित दुनिया के कई देशों में पिटबुल को एक खतरनाक, गुस्सैल और आक्रामक डॉग के रूप मैं जाना जाता है. इसका कारण इसकी शारीरिक संरचना और बनावट है, जो एक गार्ड डॉग जैसी है. पिटबुल डॉग को अधिकतर लोग घर और संपत्ति की सुरक्षा के लिए पालना पसंद करते हैं.
पिटबुल ही नहीं और भी ब्रीड के कुत्ते होते हैं खतरनाक
विदेशी ब्रीड के कुत्तों की कई अन्य भी ऐसी नस्लें हैं, जिनमें आक्रामक कुत्ते पाए जाते है, जैसे, जर्मन शेफर्ड, डॉबरमैन, पिन्स्चर्स, वुल्फ हाइब्रिड, बॉक्सर, ग्रेट डेन इत्यादि. आज के समय में आसानी से आपके आसपास दिखने वाली कुत्तों की ये नस्लें भी काफी खतरनाक और आक्रामक होती हैं. ये कुत्ते भी पिटबुल की तरह ही गुस्सैल होते हैं, जो कई बार तो अपने मालिक पर भी हमला कर बैठते हैं. आजकल पैट फ्रेंडली लोग इन्हें अपने घरो में रखने को स्टेटस सिंबल की तरह देखते हैं और अच्छी कीमत देकर भी खरीदते हैं.
पालतू कुत्तों को लेकर क्या कहता है भारतीय कानून
- भारत में कुत्तों या पालतू पशुओं को लेकर कानून बहुत सख्त नहीं है. अगर आप हाउसिंग सोसायटी या रेजिडेंशियल एरिया में रहते हैं तो कुत्ता-बिल्ली या कोई भी पालतू पशु रख सकते हैं. आपकी सोसायटी या अथॉरिटी इस पर रोक नहीं लगा सकती है. साथ ही आप क़ानूनी अपील भी दायर कर सकते हैं.
- एनिमल वेलफ़ेयर बोर्ड ऑफ़ इंडिया के अनुसार, सोसायटी अथॉरिटी किसी भी व्यक्ति को अपने पालतू को हटाने के लिए बाध्य करती है तो उस सोसायटी के अथॉरिटी पर सेक्शन 11 (Pet Laws) के तहत 'जानवरों के ख़िलाफ़ क्रूरता से बचाव' का केस किया जा सकता है.
- भारतीय क़ानून का सेक्शन 51 (A)G कहता है कि सभी नागरिकों का कर्तव्य है वह हर जीवित प्राणी के प्रति अच्छा व्यवहार रखे.
- मत्स्य पालन और पशुपालन मंत्रालय द्वारा दी गई सूचना के मुताबिक, भारतीय कानून में कुत्ते के काटने वाले पीड़ितों को मुआवजा देने का भी कोई प्रावधान नहीं है.
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