Manohar Lal Khattar: जाट लैंड में गाड़ा लट्ठ, पाकिस्तान से हरियाणा आकर बसा था परिवार

Written By यशवीर सिंह | Updated: May 05, 2022, 09:24 AM IST

Manohar Lal Khattar

Manohar Lal Khattar आरएसएस के प्रचारक रह चुके हैं. उन्होंने नरेंद्र मोदी के साथ भी काम किया है. उनका परिवार विभाजन के बाद पाकिस्तान से हरियाणा आया था.

डीएनए हिंदी: मनोहर लाल खट्टर... हरियाणा के मुख्यमंत्री या यूं कहें कि जाटों के दबदबे वाले हरियाणा के पहले पंजाबी मुख्यमंत्री. एक ऐसा मुख्यमंत्री जिसने जाट लैंड में अपना लट्ठ गाड़ दिया. भजनलाल के बाद हरियाणा की राजनीति के दूसरे ऐसे नेता जिसने न सिर्फ बतौर मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल बल्कि दोबारा भी मुख्यमंत्री बने.

कौन हैं मनोहर लाल खट्टर?
हरियाणा के 10वें मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर 68 साल के हो चुके हैं. वो मूल रूप से पंजाबी खट्टर खत्री जाति से संबंध रखते हैं. मनोहर लाल खट्टर ने लंबे समय तक बतौर प्रचारक RSS में काम किया है. बाद में उन्हें हरियाणा में भाजपा के लिए भी काम किया.

विभाजन के बाद भारत आकर बसा परिवार
मनोहर लाल खट्टर का परिवार साल 1947 में देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान से रोहतक आकर बसा. उनके परिवार ने शुरुआती दिनों में खेती करना शुरू किया. जीवन यापन करने के लिए मनोहर लाल खट्टर ने 10वीं पास करने के बाद दिल्ली में दुकान भी चलाई. इसी दौरान उन्होंने डीयू से ग्रेजुएशन भी किया.

पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी
मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुराने करीबियों में से एक हैं. साल 2014 में जब भाजपा हरियाणा विधानसभा चुनाव जीतकर पहली बार राज्य की सत्ता में आई तो उन्हें अनिल विज, राम विलास शर्मा और कैप्टन अभिमन्यु जैसे नेता होने के बावजूद राज्य का सीएम बनाया गया. इसकी एकमात्र वजह पीएम मोदी के उनके व्यक्तिगत संबंध होना बताया जाता है.

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नरेंद्र मोदी और मनोहर लाल खट्टर ने RSS और भाजपा संगठन में एकसाथ काम किया है. कहा तो यह भी जाता है कि दोनों नेता जब RSS के लिए काम किया करते थे, तब दोनों ने एक कमरा भी शेयर किया है. उसी दौरान दोनों नेताओं की आपसी समझ और नजदीकियां बनीं. इन नजदीकियों को फायदा खट्टर को तब भी मिला जब जाट आंदोलन और राम-रहीम प्रकरण के दौरान उनपर कमजोर सीएम होने का टैग लगाया गया.

हरियाणा में कैसे गाड़ा लट्ठ
मनोहर लाल खट्टर जब 2014 में हरियाणा के सीएम बने तो बहुतों को यह रास न आया. जाटों के दबदबे वाले प्रदेश की कमान एक बहुत लंबे एक गैर जाट नेता के हाथ में आई. खट्टर जब सीएम बने तो कहा जाता था कि उनके पास प्रशानिक अनुभव नहीं है. जाट आंदोलन और राम-रहीम प्रकरण के दौरान उन्हें कमजोर सीएम भी बताया गया. फिर भी वो हरियाणा में भाजपा 10 लोकसभा सीटें जीतने में सफल रही और वो विधानसभा चुनाव जीत दोबारा सीएम भी बने.

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दरअसल हरियाणा की पिछली सरकारों पर नौकरियां देने में जातिवादऔर भ्रष्टाचार के आरोप लगते थे, जो खट्टर सरकार में बेहद कम देखने को मिला. प्रतिभा के आधार पर नौकरी दी गई. पढ़े लिखे नौजवानों को बेरोजगारी भत्ता दिया गया. हरियाणा में जबरन वसूली खत्म हुई. उन्होंने सीएम विंडो जैसे कार्यक्रमों की शुरुआत की. इसके अलावा मनोहर लाल खट्टर की सादगी और सरल उपलब्धता तमाम ऐसी वजहें हैं जिनके कारण उन्होंने हरियाणा के लोगों के दिल में लट्ठ गाड़ दिया.

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