Gujarat: विदेश जाने के लिए इस गांव में मिलता है 0% पर लोन, वापस भी नहीं मांगा जाता पैसा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 05, 2022, 01:15 PM IST

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विदेश जाकर पढ़ने या बसने का सपना देखे वाले लोग अक्सर या तो संसाधन ना होने के चलते मायूस होकर रह जाते हैं या गलत लोगों के जाल में फंस जाते हैं. मगर गुजरात में एक ऐसी जगह है जो खासतौर पर विदेश जाने का सपना देखने वाले लोगों की मदद के लिए ही जानी जाती है. इस जगह का नाम है डॉलारियो प्रदेश. जानते हैं इस जगह की पूरी कहानी क्या है-

डीएनए हिंदी: विदेश जाकर पढ़ने या बसने का सपना देखे वाले लोग अक्सर या तो संसाधन ना होने के चलते मायूस होकर रह जाते हैं या गलत लोगों के जाल में फंस जाते हैं. मगर गुजरात में एक ऐसी जगह है जो खासतौर पर विदेश जाने का सपना देखने वाले लोगों की मदद के लिए ही जानी जाती है. इस जगह का नाम है डॉलारियो प्रदेश. जानते हैं इस जगह की पूरी कहानी क्या है-

क्या है 'डॉलारियो प्रदेश'
उत्तर और मध्य गुजरात में 'डॉलारियो प्रदेश' नामक क्षेत्र में ऐसे कई ट्रस्ट हैं जो विदेश में बसने की इच्छा को आगे बढ़ाने के लिए युवा पुरुषों और महिलाओं की आर्थिक रूप से मदद करते हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार, ये ट्रस्ट अनौपचारिक हैं और मुख्य रूप से स्थानीय समुदायों द्वारा चलाए जाते हैं. जब भी किसी को विदेश जाने का सपना पूरा करने के लिए पैसों की जरूरत होती है यह ट्रस्ट स्थानीय समुदायों से पैसे इक्टठे कर मदद के लिए आगे आती हैं.

कैसे मिलती है मदद
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस क्षेत्र में बनीं ट्रस्ट के जरिए विदेश में प्रवास करने की योजना बना रहे लोगों को न केवल 0% ब्याज पर लाखों का ऋण मिल जाता है, बल्कि पैसे वापस करने के लिए भी उन्हें बाध्य नहीं किया जाता है. यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब एक गुजराती परिवार के चार सदस्यों की अवैध रूप से अमेरिका में बसने की कोशिश के चलते मौत हो गई. गांधीनगर जिले के कलोल तालुक के डिंगुचा गांव के रहने वाले ये चार लोग कनाडा के एमर्सन शहर के पास 19 जनवरी को अमेरिका में अवैध रूप से पार करने की कोशिश कर रहे थे. माइनस 35 डिग्री तापमान में ठंड से उनकी मौत हो गई. 

दोगुने पैसे करते हैं वापस
ट्रस्ट की तरफ से किसी से पैसे वापस नहीं मांगे जाते, लेकिन जानकारी के मुताबिक जब लोग विदेश में बस जाते हैं तो वे स्थानीय समुदाय से मिलने वाली राशि से दोगुनी राशि वापस कर देते हैं. यहां के स्थानीय निवासी भाविन पटेल के मुताबिक यहां हर परिवार में कम से कम एक सदस्य अमेरिका, कनाडा या ऑस्ट्रेलिया में बसा है. इसका मतलब यह नहीं है कि हर किसी के पास अपने परिवार के सदस्यों को विदेश भेजने के लिए पैसे हैं. हमें गांव पर भरोसा है जो सिर्फ लोगों को विदेश भेजने के मकसद से पैसा इकट्ठा करता है.

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विदेश जाने के बाद वापस करते हैं दोगुने पैसे
गांधीनगर जिले के कलोल कस्बे का रहने वाला 21 वर्षीय अंकित पटेल अमेरिका जाना चाहता था, लेकिन उसके पास बैंक से कर्ज लेने के लिए आर्थिक साधन नहीं थे. उन्होंने डॉलारियो प्रदेश की ट्रस्ट से संपर्क किया, जिसने विदेशों में पढ़ाई के सपने देखने वाले युवाओं को वित्तपोषित करने के लिए समुदाय से पैसा जमा किया. एक हफ्ते के अंदर पैसे का इंतजाम हो गया और अंकित ने अपना सपना पूरा कर लिया. एक बार जब वह अमेरिकी राज्य पेन्सिलवेनिया में बस गए, तो उन्होंने ट्रस्ट को वापस ऋण के रूप में ली गई राशि का दोगुना वापस कर दिया.

15-30 लाख रुपये की होती है जरूरत
एक व्यक्ति को विभिन्न माध्यमों से प्रवास करने के लिए लगभग 15 लाख रुपये से 30 लाख रुपये की आवश्यकता होती है. भाविन ने कहा, 'ट्रस्ट शून्य प्रतिशत ब्याज पर विदेश जाने वाले पुरुष या महिला को पैसा देता है. उनके पास ईएमआई सिस्टम भी नहीं है. फिर भी, एक बार जब व्यक्ति विदेशी भूमि में बस जाता है, तो वह स्वेच्छा से ट्रस्ट से जितना मिला है, उससे कहीं अधिक लौटाता है.' ट्रस्ट से मदद मिलने के बाद उनके परिवार के चार सदस्य अमेरिका में बस गए हैं.

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