डीएनए हिंदी: महिला अधिकारों को लेकर भारतीय संविधान ने कुछ विशेष प्रावधान तय किए हैं. दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (CrPC) की एक धारा ऐसी भी है जो गिरफ्तारी के संबंध में महिलाओं को एक विशेष छूट देती है. सीआरपीसी की धारा 46 ने महिलाओं की गिरफ्तारी से संबंधित प्रावधान तय किए हैं. इस धारा के सब क्लॉज 4 के मुताबिक अगर असाधारण परिस्थितियां न हों तो किसी भी महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.
महिलाओं को पूछताछ के लिए थाने भी शाम के बाद नहीं बुलाया जाता.अगर गिरफ्तारी बेहद जरूरी हो और उसे टालना सुरक्षा के मद्देनजर ठीक न हो तो या असाधारण स्थितियां सामने आ जाएं तो महिला पुलिस अधिकारी को लिखित में एक रिपोर्ट लिखनी होगी. यह रिपोर्ट फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट के सामने पेश करनी होगी और उनकी मंजूरी लेनी होगी. अधिकारी केवल अपने क्षेत्राधिकार के भीतर ही मंजूरी दे सकेगा.
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तलाशी के संबंध में क्या हैं नियम?
सीआरपीसी की धारा 47 के मुताबिक अगर किसी पुलिस अधिकारी के पास अरेस्ट वारंट है तो गिरफ्तारी के लिए वह किसी भी संदिग्ध जगह की तलाशी ले सकता है. अगर कोई ऐसा कमरा है जहां एक ऐसी महिला रहती हो जो सामाजिक रूढ़ियों की वजह से लोगों के सामने नहीं आती है और पर्दा करती है उसके कमरे में घुसकर तलाशी लेने से पहले महिला की इजाजत लेनी होगी. पुलिस यह तय करेगी कि महिला सुरक्षित जगह पर्दे की आड़ में जा सके. महिला के हटने के बाद ही पुलिस उस घर में एंट्री कर सकती है.
कब महिला की तलाशी कर सकती है पुलिस?
अगर महिला संदिग्ध है या आरोपी है तो उसकी तलाशी ली जा सकती है. सीआरपीसी की धारा 51 महिला की तलाशी के संबंध में कुछ प्रावधान तय करती है. धारा 51 के सब क्लॉज 2 के मुताबिक महिला की तलाशी अगर जरूरी है तो तलाशी सिर्फ एक महिला कर सकती है. तलाशी पूरी शिष्टता के साथ की जानी चाहिए. महिला से अभद्रता किसी भी हाल में नहीं होनी चाहिए.
अगर महिला का मेडिकल Examination करना हो तो क्या है कानून?
सीआरपीसी की धारा 53 के मुताबिक अगर महिला का मेडिकल एग्जामिनेशन करना हो केवल रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर को ही जांच करने का अधिकार होगा. एग्जामिनेशन के अंतर्गत ब्लड, ब्लड स्टेन, सीमेन, स्वैब, हेयर सैंपल, नेल और दूसरे सैंपल भी आते हैं. रेप या दूसरे यौन अपराधों की जांच भी इसी नियम के तहत होती है.
क्यों मिली है महिलाओं को शाम के बाद गिरफ्तारी से छूट?
महिला अधिकारों से जुड़े मामलों पर नजर रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विशाल अरुण मिश्रा कहते हैं ऐसा सिर्फ महिलाओं को सुरक्षा देने के मकसद से किया जाता है. कई समितियों और मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई है कि महिला की गिरफ्तारी या हिरासत में लेने के बाद उनका यौन शोषण हुआ है या प्रताड़ित किया गया है. यही वजह है कि नियम तय कर दिए गए कि अगर महिला की रात में गिरफ्तारी करनी है तो कुछ प्रावधानों का बेहद ख्याल रखना होगा. मजिस्ट्रेट की दखल के बाद महिला की कस्टडी में सुरक्षा तय हो जाती है. इसी वजह से ऐसे कानून बनाए गए हैं.
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