डीएनए हिंदीः उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election Result 2022) में बीजेपी (BJP) को मिले प्रचंड बहुमत के बाद सरकार के गठन की तैयारी तेज हो गई है. होली के बाद 20 या 21 मार्च को शपथ ग्रहण हो सकता है. सूत्रों का कहना है कि इस बार यूपी में दो की जगह तीन डिप्टी सीएम (Deputy Chief Minister) हो सकते हैं. इनमें एक नाम सबसे आगे चल रहा है, वह है आगरा ग्रामीण सीट से चुनाव जीतने वाली बेबी रानी मौर्य (Baby Rani Maurya) का. बेबी रानी मौर्य उत्तराखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं. राज्यपाल के पद पर रहने के बाद सक्रिय राजनीति करने वाली बेबी रानी मौर्य पहली नेता नहीं हैं. इसके पहले भी कई राज्यपाल ऐसा कर चुके हैं.
कल्याण सिंह
कल्याण सिंह (Kalyan Singh) का नाम यूपी की राजनीति के बड़े नेताओं में शामिल किया जाता है. 24 जून 1991 से 6 दिसंबर 1992 तक वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. 4 सितंबर 2014 को उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया. वह 8 सितंबर 2019 तक इस पद पर रहे. इस दौरान 28 जनवरी 2015 से 12 अगस्त 2015 तक उनके पास हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का भी अतिरिक्त कार्यभार रहा. राज्यपाल रहने के बाद वह 2019 में एक बार फिर सक्रिय राजनीति में आए.
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राम नाईक
बीजेपी नेता राम नाईक (Ram Naik) 1999 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में पेट्रोलियम मंत्री रहे. इससे पहले करीब दो महीने के लिए उन्होंने रेल मंत्रालय का प्रभार भी संभाला. जुलाई 2014 को उन्हें उत्तर प्रदेश का 27वां राज्यपाल बनाया गया. गवर्नर के पद पर उन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. इसके बाद राम नाईक ने बीजेपी ज्वाइन की और फिर सक्रिय राजनीति में उतरे.
अर्जुन सिंह
कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह (Arjun Singh) मार्च से नवंबर 1985 तक पंजाब के गवर्नर रहे. इसके बाद वह सक्रिय राजनीति में उतरे और राजीव गांधी की सरकार में वाणिज्य और संचार (commerce and communications) मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले. 1988 में उन्हें मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया. अर्जुन सिंह ने मनमोहन सिंह की सरकार में 2004 से 2009 तक HRD मंत्रालय भी संभाला.
मोतीलाल वोरा
कांग्रेस नेता (Motilal Vora) मई 1993 से मई 1996 तक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रहे. इससे पहले वह मध्य प्रदेश में करीब एक साल तक मुख्यमंत्री भी रहे. वह 1988 में राजीव गांधी की सरकार में स्वास्थ्य और नागरिक उड्डयन (Civil Aviation) मंत्री भी रहे. राज्यपाल बनने के बाद एक फिर सक्रिय राजनीति में आए और लोकसभा का चुनाव लड़े 1998-99 के दौरान वह लोकसभा के सदस्य रहे. इसके बाद मोतीलाल वोरा अप्रैल 2002 से अप्रैल 2020 तक राज्यसभा के सदस्य रहे.
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सुशील कुमार शिंदे
सुशील कुमार शिंदे (Sushilkumar Shinde) 2004 से 2006 आंध्र प्रदेश के गवर्नर रहे. इससे पहले वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे. करीब दो साल राज्यपाल रहने के बाद वह मनमोहन सरकार (यूपीए - 1 और यूपीए-2) में जनवरी 2006 से जुलाई 2012 तक ऊर्जा मंत्री रहे. जुलाई 2012 में वह देश के गृहमंत्री बने.
एसएम कृष्णा
एसएम कृष्णा (S. M. Krishna) 12 दिसंबर 2004 से 5 मार्च 2008 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे. इससे पहले 1999 से 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे. राज्यपाल पद के बाद एक बार फिर राज्यसभा पहुंचे. 2008 से 2014 तक वह राज्यसभा सदस्य रहे. यूपीए-2 में वह देश के 2009 से 2012 तक विदेश मंत्री रहे.
शीला दीक्षित
कांग्रेस नेता शीला दीक्षित (Sheila Dikshit) 11 मार्च 2014 से 4 सितंबर 2014 तक केरल की राज्यपाल रहीं. इससे पहले वह दिसंबर 1998 से दिसंबर 2013 तक करीब 15 साल दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. राज्यपाल के रहते उनका कार्यकाल करीब 6 महीने रहा. उन्होंने 2019 में पूर्वी दिल्ली से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, हालांकि वह बीजेपी के मनोज तिवारी से हार गईं. वह 11 जनवरी 2019 से 20 जुलाई 2019 (देहांत) तक दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष भी रहीं.
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तथागत रॉय
बीजेपी तथागत रॉय (Tathagata Roy) लंबे समय तक कई राज्यों के राज्यपाल रहे. 10 जुलाई 2016 को उन्हें अरुणाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया. वह 12 अगस्त 2016 तक यहां राज्यपाल रहे. इसके बाद उन्हें त्रिपुरा का गवर्नर बनाया गया. अगस्त 2018 तक वह इस पद पर रहे. 27 जनवरी 2020 को वह मेघालय के राज्यपाल बने और 18 अगस्त 2020 तक पद पर रहे. 2021 में वह फिर सक्रिय राजनीति में आए. 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में उन्होंने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की हालांकि उन्हें टिकट नहीं मिल सका.
सी. विद्यासागर राव
सी. विद्यासागर राव (C Vidyasagar Rao) का नाम बीजेपी के वरिष्ठ नेतओं की लिस्ट में आता है. वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में अक्टूबर 1999 से जनवरी 2003 तक केंद्रीय गृह राज्यमंत्री रहे. इसके बाद उन्होंने 2004 तक वाणिज्य मंत्रालय में राज्यमंत्री बने. अगस्त 2014 में उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया. वह 1 सितंबर 2019 तक इस पद पर रहे. उनके पास 2 सितंबर 2016 से 6 अक्टूबर 2017 तक तमिलनाडु के राज्यपाल का भी अतिरिक्त प्रभार रहा. राज्यपाल रहने के बाद वह फिर राजनीति में उतरे और 16 सितंबर 2019 को दोबारा बीजेपी ज्वाइन की.