Punjab Politics में बड़े बदलाव के संकेत, कांग्रेस असंतुष्ट नेताओं की लिस्ट बढ़ती जा रही

Written By रवींद्र सिंह रॉबिन | Updated: May 15, 2022, 09:22 PM IST

पंजाब की राजनीति में दिख रहे बदलाव के संकेत

असंतुष्ट नेताओं के पार्टी बदलने की परंपरा राजनीति में नई नहीं है लेकिन मतदाताओं को इससे निराशा ज़रूर होती है. पंजाब में दल-बदल के संकेत दिख रहे हैं.

डीएनए हिंदी: पंजाब में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम नए संकेत दे रहे हैं. पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PPCC) के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने हाल ही में पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. पंजाब में जब अप्रत्याशित तरीके से कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटाया गया था तब जाखड़ को भी मुख्यमंत्री का दावेदार माना जा रहा था. कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद उनका समर्थन पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने भी किया है. ये घटनाएं प्रदेश में बदलते राजनीतिक समीकरणों की ओर इशारा कर रहे हैं. हालांकि, अभी तक दोनों ही नेताओं ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. 

जाखड़ और पार्टी हाई कमान के बीच स्थितियां लगातार बिगड़ रही थी और बिगड़ते घटनाक्रम के बीच 11 अप्रैल ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की अनुशासनात्मक कमेटी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था. पार्टी की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस में उनसे पार्टी विरोधी गतिविधियों और प्रदेश चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन पर जवाब मांगा गया था. जाखड़ पर आरोप है कि वह कांग्रेस के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और चरणजीत सिंह चन्नी को लेकर आलोचनात्मक रूख रखते थे.

यह भी पढ़ें: Akali Politics: पंजाब में हाशिए पर अकाली दलों की सियासत, विरोधियों को क्यों लगा रहे हैं गले?

इसी तरह से, पंजाब मामलों के इंचार्ज हरीश चौधरी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर सिद्धू पर एक्शन लेने का अनुरोध किया था. चौधरी ने अपने पत्र में लिखा था कि सिद्धू प्रदेश की राजनीति में खुद को पार्टी से भी बड़ा बताने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही, उस वक्त के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के साथ सिद्धू के जारी विवाद का भी जिक्र किया गया था.  

कुछ महीने पहले नवजोत सिंह सिद्धू विपक्षी आम आदमी पार्टी पर जोरदार जुबानी हमले कर रहे थे. भगवंत सिंह मान के खिलाफ भी सिद्धू ने जमकर बयानबाजी की थी. हालांकि, अब स्थितियां बदल गई हैं और मुख्यमंत्री मान को एक 'सम्मानित' व्यक्ति बताया है. साथ ही, उन्होंने उनके साथ बिताए 50 मिनट को बेहद सार्थक बातचीत वाला समय करार दिया है. 

पंजाब में कांग्रेस के लिए मुश्किलें पहले से कहीं ज्यादा हैं. खास तौर पर हालिया चुनाव में आम आदमी पार्टी से हारकर सत्ता गंवाने के बाद चुनौतियां बढ़ गई हैं. साथ ही, पार्टी के पुराने वफादार चेहरे और सेकेंड-लाइन लीडरशिप भी पार्टी का साथ छोड़ रही है. इस वक्त कांग्रेस के नेताओं के मिलकर संगठन मजबूत करने के लिए काम करने की जरूरत है.  

 

यह भी पढ़ें: Punjab Politics: क्या सिद्धू नई पारी के आगाज़ के लिए नए रास्ते तलाश रहे हैं?

जाखड़ तो पहले ही “गुड लक और गुडबाय कांग्रेस” कह चुकी है लेकिन सिद्धू जिन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की तलवार लटकी है फिलहाल पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं. आने वाले दिनों में कई और कांग्रेस नेताओं को एक-एक कर पार्टी छोड़कर जाते देख सकते हैं और इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है.

सूत्रों का कहना है, आप की ओर से कांग्रेस के अंसतुष्ट नेताओं को पैगाम भेजने का काम शुरू हो चुका है ताकि अगर वह पार्टी बदलने का फैसला करें तो उन्हें जोड़ने में ज्यादा अड़चन न आए. 

(लेखक रवींद्र सिंह रॉबिन वरिष्ठ पत्रकार हैं. यह जी मीडिया से जुड़े हैं. राजनीतिक विषयों पर यह विचार रखते हैं.)  

(यहां प्रकाशित विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)

गूगल पर हमारे पेज को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें. हमसे जुड़ने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर आएं और डीएनए हिंदी को ट्विटर पर फॉलो करें.