Rabindranath Tagore Jayanti : गुरुदेव के लिखे गीतों पर बना Rabindra Sangeet बांग्ला संगीत की जान है

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 06, 2022, 11:15 PM IST

Rabindra Sangeet गुरदेव द्वारा लिखे गए 2000 से अधिक गीतों की शृंखला पर आधारित संगीत है.  आइए जानते हैं रवींद्र संगीत के बारे में थोड़ा विस्तार से.

डीएनए हिंदी : रवींद्रनाथ टैगोर को आधुनिक भारतीय कला और साहित्य का पीठाधीश कहा जाए तो  अतिश्योक्ति नहीं होगी. भारत के राष्ट्रगान जन-गण-मन के रचयिता गुरुदेव केवल एक ख्यातिलब्ध कवि या साहित्य नोबेल के पहले भारतीय विजेता भर नहीं थे, वे भारतीय और बंगाली संगीत को नया रुख देने वाले असीम प्रतिभाशाली संगीतज्ञ भी थे. बंगाल और उसकी पृष्टभूमी को जानने वाले तमाम लोग रवींद्र संगीत(Rabindra Sangeet) से अवश्य परिचित होंगे. यह गुरुदेव द्वारा लिखे गए 2000 से अधिक गीतों की शृंखला पर आधारित संगीत है.  आइए जानते हैं रवींद्र संगीत के बारे में थोड़ा विस्तार से - 

 रवींद्र संगीत की भूमिका और शुरुआत 
रवींद्रनाथ टैगोर का कवि पक्ष बेहद उज्ज्वल रहा है. उनकी रचनाओं में काव्य की शुमारी नैसर्गिकता के साथ रही है चाहे वह कोई किस्सा हो या उपन्यास अथवा कोई नाटक. हिन्दुस्तानी संगीत की ठुमरी विधा से प्रेरित उनके गीत मानवीय चेतना से लेकर उत्कट यौनेच्छा तक को सम्बोधित करते हैं. रवींद्र संगीत(Rabindra Sangeet) की आधारशिला माने जाने वाले गुरुदेव के गीत उनकी सकल पारिवारिक पृष्टभूमि की बयानगी करते हैं. 

अंग्रेजी में जो शेक्सपीयर की जगह है, वही  रवींद्र संगीत की अहमियत बांग्ला में है 
शेक्सपियर के सॉनेट अंग्रेजी भाषा में उनके नाटकों जितना ही मान्य हैं. ठीक यही बात रवींद्र संगीत(Rabindra Sangeet) के बारे में कही जा सकती है. उनके लिखे हुए गीत बंगाली समाज के मूल्यों को तय करते हैं. उनके गीत समाज का हर वर्ग सम प्रेम से गुनगुनाता है. उसमें स्वर भरता है. हालांकि उनके लिखे 2000 से अधिक गीतों में से लगभग 700 गीतों के ही म्यूजिकल नोट्स उपलब्ध हैं, और वे ही सर्वाधिक प्रचलित हैं पर इन गीतों ने बंगाली संगीत स्वर को बेहद मजबूत आधार स्तम्भ दिया है. 

जयदेव के गीत गोविन्द और कालिदास के मेघदूतम की झलकियां मिलती है  रवींद्र संगीत में 
रवींद्रनाथ टैगोर को बिम्बों का बादशाह माना जाता रहा है. उनकी काव्य प्रस्तुतियां प्रेम के उन्मत्त स्वरुप से लेकर भावुक प्रकरण तक खूब दर्ज करती हैं.   पुराण और पौराणिक भारतीय काव्य शास्त्र में उनकी गहरी समझ ने उनके गीतों में भी वैसे ही रंग बरक़रार रखे हैं. स्वामी विवेकानंद उनके गीतों के सबसे शुरूआती प्रशंसकों में थे. आज भी रवींद्र संगीत बंगाल और केरल के मंदिरों में भजन के तौर पर गुनगुनाया जाता है. 
गुरुदेव रचित सभी दो हज़ार से अधिक गीत गीतबितान नामक पुस्तक में संकलित हैं. उनके गीतों को अबतक सैकड़ों नामचीन कलाकार अपनी आवाज़ दे चुके है. 2016 में सारेगामा ने रवींद्र संगीत(Rabindra Sangeet) का डिजिटल वर्जन भी प्रस्तुत कर दिया है जिसे कभी भी ऑनलाइन सुना जा सकता है. 

 

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