Swami Vivekanand की गेंदबाजी ने जब उड़ा दिए थे सबके होश, Eden Garden में लिए थे अंग्रेजों के 7 विकेट

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jan 12, 2023, 08:20 AM IST

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12 जनवरी 1863 को स्वामी विवेकानंद का जन्म नरेंद्रनाथ दत्ता के रूप में हुआ था. आज उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है.

डीएनए हिंदी:  आज स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस को देश भर में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. सन् 1985 से 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत हुई थी. इस दिन को स्वामी विवेकानंद की सीख और विचारों के एक उत्सव के तौर पर मनाया जाता है.

स्वामी विवेकानंद राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका को बेहद अहम मानते थे.  उन्होंने राष्ट्र निर्माण में खुद भी अहम भूमिका निभाई. सब जानते हैं कि उन्होंने रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की. उनके विचार देश ही नहीं दुनिया में भी मशहूर हुए. फिर भी उनकी जिंदगी से जुड़ी कई ऐसी दिलचस्प बातें हैं, जो बहुत लोग नहीं जानते, लेकिन गाहे-बगाहे कुछ रिपोर्ट्स में उनका जिक्र जरूर मिलता है.

ऐसी ही एक बात स्वामी विवेकानंद के क्रिकेट खेलने को लेकर. द ब्रिज और द न्यू इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट्स बताती हैं कि स्वामी विवेकानंद क्रिकेट भी खेलते थे और उन्होंने एक मैच के दौरान अंग्रेजों के सात विकेट भी लिए थे. 

ईडन गार्डन में छुड़ाए थे अंग्रेजों के पसीने
ये सन् 1880 की बात है. ईडन गार्डन में कोलकाता क्रिकेट क्लब और टाउन क्लब के बीच एक क्रिकेट मैच आयोजित किया गया था. उस दौरान राष्ट्रवादी आंदोलन के नेतृत्वकर्ता हेमचंद्र घोष ने नरेंद्रनाथ दत्ता यानी विवेकानंद से क्रिकेट खेलने के बारे में पूछा था. रिपोर्ट्स बताती हैं कि नरेंद्र ने इस पर खुशी-खुशी हामी भर दी थी. उस वक्त वह बतौर गेंदबाज मैदान पर उतरे और देखते ही देखते अंग्रेजों के 7 विकेट ले लिए. उसके बाद जो हुआ वह हम सब जानते हैं, हालांकि उस वक्त किसी ने नहीं सोचा होगा कि अंग्रेजों के पसीने छुड़ा देने वाला ये युवा क्रिकेट में नहीं बल्कि जीवनज्ञान के क्षेत्र में एक सितारे की तरह चमकेगा. 

खेलों से करते थे प्रेम
नरेंद्रनाथ दत्ता से स्वामी विवेकानंद बनने तक इस सफर में स्वामी विवेकानंद के जो विचार सामने आए उन्होंने कई लोगों को सही राह दिखाई. इस दौरान वह हमेशा खेलों के प्रति अपने विचार जाहिर करते रहे. वह खुद भी एक खेल प्रेमी रहे. क्रिकेट के अलावा फुटबॉल और कुश्ती में भी वह गहरी दिलचस्पी रखते थे. उनका कहना था कि  गीता पढ़ने की बजाय आप फुटबॉल खेलकर स्वर्ग के ज्यादा नजदीक पहुंच सकते हैं. वह खेलों को किसी अध्यात्मिक प्रक्रिया से कम नहीं मानते थे.