डीएनए हिंदी : 2015 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनियाभर में हर साल लगभग 150 मिलियन लोग UTI या यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन से ग्रसित होते हैं. भिन्न कारणों से होने वाली यह बीमारी एक बड़े तबके को प्रभावित कर रही है. इसके बारे में फौरी आंकड़ा देते हुए बीएलके मैक्स हॉस्पिटल में रोबोटिक, यूरोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट के सीनियर कंसलटेंट डॉ यजवेंद्र राणा कहते हैं कि हॉस्पिटल में आने वाले तमाम इन्फेक्शन के केसेज में UTI के केस सबसे अधिक होते हैं. डीएनए टीम ने डॉक्टर राणा से UTI के बारे में विस्तार से बातचीत की. जानिए क्या कहना है उनका.
किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है UTI की समस्या
डॉक्टर राणा का कहना है कि इस बीमारी के लिए कोई उम्र सीमा निर्धारित नहीं है. यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को कभी भी हो सकती है. कई बार यह किसी लाइलाज बीमारी के लक्षण के तौर पर भी उभरती है. मसलन पुरुषों में प्रोस्टेट की समस्या के लक्षणों को UTI के ज़रिये देखा जाता है, वहीं महिलाओं में शॉर्ट यूरेथ्रा की समस्या भी UTI का लक्षण होती है. जेनिटल हाइजीन का न बरतना भी महिलाओं में यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन की समस्या लेकर आ सकता है, जबकि कई बार डायबिटीज़ इसका बड़ा कारण होती है.
कितने तरह की होती है यह बीमारी
इस बीमारी के प्रकारों पर प्रकाश डालते हुए डॉक्टर यजवेंद्र राणा कहते हैं कि यह मूलतः दो तरह की होती है, पहली 'कॉम्प्लिकेटेड UTI(Complicated UTI)' और दूसरी 'अनकॉम्प्लिकेटेड UTI(Uncomplicated UTI).'
कॉम्प्लिकेटेड UTI तब होती है जब मूत्राशय का यह इन्फेक्शन किसी और बीमारी का कारण भी होता है. पुरुषों में होने वाला इन्फेक्शन अधिकतर कॉम्प्लिकेटेड UTI का हिस्सा होता है क्योंकि यह अक्सर प्रोस्टेट, स्टोन, डायबिटीज़ या अन्य इम्म्यूनिटी समस्याओं द्वारा जनित होता है. यहां रिस्क फैक्टर अधिक होता है.
अनकॉम्प्लिकेटेड UTI अक्सर महिलाओं और युवा लड़कियों को अपने घेरे में लेता है. उनमें यह इन्फेक्शन अमूमन हाइजीन बरक़रार नहीं रखने की वजह से होता है. शुरूआती स्तर पर इसमें रिस्क फैक्टर कम होता है पर अगर पेशाब को निरंतर अधिक देर तक रोका गया तो यह इन्फेक्शन ब्लैडर और किडनी की समस्या में भी बदल सकता है.
(डॉ यजवेंद्र राणा, सीनियर कंसलटेंट, बीएलके मैक्स हॉस्पिटल में रोबोटिक, यूरोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट)
क्या हैं UTI से बचाव के उपाय
बचाव के उपाय के बाबत पूछते ही डॉक्टर राणा स्पष्ट कहते हैं कि यह कॉमन बीमारी है, इसका अर्थ यह नहीं है कि यह मामूली इन्फेक्शन है. लोग अक्सर बाजार में मिलने वाली OTC (ओवर द काउंटर ) दवाइयों से इसका इलाज करने की कोशिश करते हैं. इन दवाइयों और एंटीबायोटिक का इस्तेमाल उस वक़्त तो बीमारी ख़त्म कर देता है पर अगली बार अधिक गंभीर इन्फेक्शन की संभावना बढ़ा देता है. ज़रूरी है कि इन्फेक्शन का पता चलते ही इसका समुचित निदान/ डायग्नोसिस करवाया जाए. पंजीकृत डॉक्टर से इलाज प्राप्त किया जाए.
बचाव पर बात करते हुए डॉक्टर राणा ABCD मेथड की बात भी करते हैं. यहां A अवेयरनेस यानी जागरूकता के लिए काम करता है, वहीं B बर्निंग सेंसेशन अर्थात मूत्राशय में किसी भी तरह की जलन होने पर यूरीन कल्चर करवाने की सलाह देता है. तीसरे स्टेप C में डॉक्टर राणा जीवनशैली को शामिल करते हैं. वे कहते हैं कि कई बार कब्ज (constipation ) यूटीआई की वजह बनता है. वे बताते हैं कि यूटीआई का सबसे कॉमन बैक्टीरिया भी आंत में रहता है. आखिरी स्टेप D में वे समय पर पेशाब करने पर ज़ोर डालते हैं और बताते हैं कि महिलाओं में होने वाली UTI बहुत हद तक इसी वजह से होती है. पेशाब रोकना ब्लैडर मसल पर दवाब डालता है जो कई समस्याओं की वजह बनता है.
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