क्या है मोरैलिटी पुलिस? जिसे भंग करने पर विचार कर रही है ईरान सरकार

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Dec 04, 2022, 03:32 PM IST

Iran Morality Police

Iran Hijab Row: ईरान सरकार ने कहा कि हम हिजाब कानून (Iran Hijab Row) की समीक्षा कर रहे हैं और इसमें बदलाव पर विचार किया जा रहा है.

डीएनए हिंदी: ईरान (Iran) में हिजाब को लेकर बीते तीन महीनों से चल रहा विवाद अब थमता नजर आ रहा है. ईरान सरकार ने पुराने हिजाब कानून (Iran Hijab Row) की समीक्षा करने का फैसला किया है. इस कानून के तहत यहां महिलाओं को सिर ढकना अनिवार्य होता है. इसके साथ ही ईरान सरकर देश की धार्मिक पुलिस यानी मोरैलिटी पुलिस को भी भंग करने पर विचार कर रही है. 

गौरतलब है कि 22 साल की महसा अमिनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद 16 सितंबर से ईरान में हिजाब के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. महसा को कथित शरिया-आधारित हिजाब कानून के उल्लंघन के आरोप में मोरैलिटी पुलिस ने गिरफ्तार किया था. ईरान के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंटाजेरी ने कहा कि सरकार देश में लागू किए गए ड्रेस-कोड कानून की समीक्षा कर रही है और इसमें बदलाव पर विचार किया जा रहा है. मोंटाजेरी ने कहा कि संसद और न्यायपालिका दोनों ही इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं. 

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300 से ज्यादा लोगों की हो चुकी है मौत
महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शनों में अब तक 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें महिलाओं की संख्या ज्यादा बताई जा रही है. ईरान के शीर्ष सुरक्षा निकाय, सर्वोच्च राष्ट्रीय परिषद ने शनिवार को कहा कि विरोध प्रदर्शनों के चलते मारे गए लोगों की संख्या 200 से अधिक है. इस आंकड़े में सुरक्षा अधिकारी, नागरिक और अलगाववादियों के साथ-साथ दंगाई भी शामिल हैं.

क्या है मोरैलिटी पुलिस?
1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से ईरान में सामाजिक मुद्दों से निपटने के लिए मोरैलिटी पुलिस एक्टिव हो गई. 1983 में ईरान में सभी महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया था. इस कानून का उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान किया गया. इतना ही नहीं पुरुष और महिलाओं के मिलने को लेकर भी कुछ पाबंदियां लगाई गई थी. इसके लिए ईरान सरकार मोरैलिटी पुलिस को यह जिम्मेदारी सौंपी कि अगर शरिया-आधारित हिजाब कानून का किसी ने उल्लंघन किया तो उसके खिलाफ वह सख्त कार्रवाई करे.

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सरकारी एजेंसी 'गश्त-ए-इरशाद' यानी मोरैलिटी पुलिस का काम ईरान में सार्वजनिक तौर पर इस्लामी आचार संहिता को लागू करना है. 'गश्त-ए-इरशाद' का गठन साल 2006 में हुआ था. ये न्यायपालिका और इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स से जुड़े पैरामिलिट्री फोर्स 'बासिज' के साथ मिलकर काम करता है.

16 सितंबर को महसा अमीनी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. अमीनी ने अपना सिर नहीं ढका था इसलिए पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया था. पुलिस पर आरोप है कि उसने हिरासत के दौरान अमीनी को प्रताड़ित किया था जिससे उसकी मौत हो गई. इसके बाद पूरे ईरान में हिजाब के खिलाफ विरोध लोग सड़कों पर उतर आए. राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने शनिवार को कहा कि ईरान की गणतंत्रात्मक और इस्लामी नींव संवैधानिक रूप से मजबूत है. लेकिन संविधान को लागू करने के तरीके लचीले हो सकते हैं.

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