डीएनए हिंदीः आप अगर एक महीना का बजट (Budget) बनाते हैं तब भी आपको खासी मशक्कत करनी पड़ती है. आपने कभी सोचा है कि आखिर सरकार पूरे साल का बजट (Union Budget) कैसे तैयार करती है? देश के हर राज्य और हर मंत्रालय की जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इससे पहले कि आप बजट के इतिहास के बारे में जानें, आपको यह बता दें कि बजट बनाने की एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है. राजधानी के दिल में बना नॉर्थ ब्लॉक 1929 में तैयार हुआ था. कत्थई रंग की इमारत के साथ अजीब संयोग जुड़ा है. इसका डिजाइन महान आर्किटेक्ट हरबर्ट बेकर ने तैयार किया था लेकिन बाद में कहा जाने लगा कि ऐसा एडवर्ट लुटियंस ने तैयार किया. इसी इमारत में भारत का वित्त मंत्रालय काम करता है. इस मंत्रालय का काम देश को सालाना बजट देना होता है. देश का बजट तैयार करने वालों में अर्थशास्त्रियों, वित्त मामलों के जानकारों और तमाम दूसरे विशेषज्ञों की अहम भूमिका रहती है. हालांकि इसका पूरा श्रेय वित्त मंत्री को ही मिलता है.
ये ही है पूरी प्रक्रिया
बजट के निर्माण की प्रक्रिया वित्त वर्ष शुरू होने से करीब तीन महीने पहले दिसंबर अंत से शुरू हो जाती है. बजट के निर्माण में वित्त सचिव, राजस्व सचिव और सचिव व्यय की भूमिका सबसे अहम होती है. यह सबसे पहले विभिन्न मंत्रालयों, राज्यों और संस्थाओं से बातचीत करते हैं. इनकी हर रोज कई बार वित्त मंत्री से इस बजट पर बातचीत होती है. बैठकों का दौर देर रात तक चलता रहता है. बैठक या तो नॉर्थ ब्लॉक में होती है या वित्त मंत्री के निवास पर. उपर्युक्त सभी सचिवों के नेतृत्व में बजट की तैयारी चलती है लेकिन वित्त सचिव का स्थान खास होता है. उन्हें प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री बार-बार अपने दफ्तर में बजट की तैयारी के लिए तलब करते रहते हैं. पिछले कुछ सालों में इसमें बदलाव भी देखने को मिले हैं. अब वित्त मंत्री अपने खास सलाहकारों को भी बजट की टीम में रखने लगे हैं. बजट से पहले तमाम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों को अंतिम रूप दिया जाता है. इसके अलावा बजट बनाने के लिए विभिन्न चैंबरों, संस्थाओं और संगठनों से बातचीत की जाती है और उनकी राय ली जाती है. इनके अलावा अतिरिक्त सचिव व्यय, नीति आयोग के सदस्य सचिव और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद भी बजट बनाने में मदद करती है. इस दौरान पूरी टीम को प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, नीति आयोग और आर्थिक सहालकार परिषद का सहयोग मिलता रहता है.
दफ्तर में ही गुजरती है अधिकारियों की रात
दरअसल बजट बनाने की पूरी प्रक्रिया को काफी गोपनीय रखा जाता है. बजट प्रक्रिया को गोपनीय रखने के लिए उनका संपर्क पूरी दुनिया से कटा रहता है. बजट के अंतिम समय में तो उनके मोबाइल रखने पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाता है. ऐसे में इस दौरान नॉर्थ ब्लॉक के आसपास बिना कारण घूमना भी खतरे से खाली नहीं होता है. बजट बनाने के लिए वित्त मंत्रालय के अधिकारी दिन रात मेहनत करते हैं. यह काम इतना बड़ा होता है कि उनके लिए परिवार के लिए समय निकालना भी मुश्किल होता है. फरवरी के तीसरे सप्ताह तक बजट बन कर लगभग पूरा हो जाता है. इसे नॉर्थ ब्लॉक के उस कमरे में रखा जाता है जहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता है. पहले बजट 28 फरवरी को पेश किया जाता था हालांकि अब बजट 1 फरवरी को पेश किया जाता है.
बजट का समय
पहले आम बजट को फरवरी के अंतिम संसदीय कार्यकारी दिन को पेश किया जाता था. बजट पेश करने का समय वर्ष 2000 तक शाम 5 बजे का होता था. ब्रिटिश शासन काल में भारत का बजट ब्रिटेन में दोपहर को पास होता था. इसके बाद शाम 5 बजे इसे भारतीय संसद में पेश किया जाता था. 2001 में एनडीए के शासन काल में बीजेपी के वित्त मंत्री यशवंत सिंह ने सालों से चली आ रही इस परंपरा को तोड़ बजट का समय सुबह 11 बजे का किया. तब से बजट सुबह 11 बजे पेश किया जाता है. अब मोदी सरकार ने आम बजट पेश किए जाने का समय 1 फरवरी को तय कर दिया है.
बजट से जुड़े कुछ तथ्य
- आम बजट में देश के सभी मंत्रालयों और विभागों में साल भर में खर्च किए जाने वाली मदों और राजस्व प्राप्ति का ब्यौरा रहता है.
- किन-किन योजनाओं पर साल भर में कितना खर्च करना है इसकी सभी जानकारी इस बजट में होती है.
- आम बजट में एक वित्तीय वर्ष यानि 1 अप्रैल से 31 मार्च का लेखा जोखा होता है.
- रेल बजट पहले आम बजट का ही हिस्सा होता था लेकिन जब रेल बजट, आम बजट के लगभग 70 प्रतिशत तक पहुंच गया तो इस पर व्यापक ध्यान देने के लिए रेल बजट को आम बजट से अलग कर दिया गया.
- 1 अप्रैल 2017 को एक फिर रेल बजट को आम बजट में शामिल कर दिया गया. रेल बजट को रेल मंत्री अलग से पेश नहीं करते हैं. इससे पहले रेल बजट को आम बजट से पहले पेश किया जाता है. अमूमन यह 25 फरवरी को पेश होता था.