Railway ट्रैक के बीच क्यों बिछाए जाते हैं पत्थर? जानें और भी अहम बातें

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 07, 2022, 05:28 PM IST

भारी वजन के चलते कंक्रीट के बने स्लीपर अपनी जगह से न हिले इसलिए ट्रैक पर नुकीले पत्थर बिछाए जाते हैं.

डीएनए हिंदी: क्या कभी आपने सोचा है कि ट्रेन की पटरी के नीचे यानी रेलवे ट्रैक के बीच पत्थर क्यों बिछाए जाते हैं? आपने हर एक रेल की पटरी पर ऐसे नुकीले पत्थर देखे होंगे. आज हम आपको ऐसा करने के पीछे की वजह बताने जा रहे हैं.

उससे पहले बता दें कि रेल की पटरी पर कंक्रीट की प्लेट बिछाई जाती हैं जिन्हें स्लीपर कहा जाता है. इन स्लीपर के नीचे पत्थर यानी गिट्टी होती हैं जिसे बलास्ट कहते हैं. बलास्ट के नीचे दो लेयर में अलग तरह की मिट्टी होती है और इन सबके नीचे होती है जमीन.

अब बात करते हैं ट्रैक पर बिखरे पत्थर यानी बलास्ट की.  दरअसल लोहे से बनी एक ट्रेन का वजन लगभग 10 लाख किलो तक होता है. ऐसे में ट्रेन का भार ट्रैक पर बिछी पटरियों पर ही होता है. भारी वजन के चलते कंक्रीट के बने स्लीपर अपनी जगह से न हिले इसलिए ट्रैक पर नुकीले पत्थर बिछाए जाते हैं.

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यानी जब भी कोई ट्रेन पटरी पर चलती है तो सारा वजन कंक्रीट के बने स्लीपर पर आ जाता है. इस दौरान आस पास मौजूद पत्थरों से कंक्रीट के बने स्लीपर को स्थिर रहने में आसानी होती है. इन पत्थरों की वजह से स्लीपर फिसलते नहीं हैं.

इसके अलावा जब ट्रैक पर ट्रेन चलती है तो कम्पन्न पैदा होता है ऐसे में पटरियों के फैलने की संभावना बढ़ जाती है. इस कंपन्न को कम करने के लिए और पटरियों को फैलने से बचाने के लिए भी पत्थरों का सहारा लिया जाता है. 

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पटरी पर पत्थर बिछाने का एक कारण यह भी होता है कि पटरियों में जल भराव की समस्या न हो. जब बरसात का पानी ट्रैक पर गिरता है तो वो पत्थर से होते हुए जमीन पर चला जाता है इससे पटरियों के बीच में जल भराव की समस्या नहीं होती है. इसके अलावा ट्रैक में बिछे पत्थर पानी से बहते भी नहीं हैं.

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