डीएनए हिंदी : अर्नेस्ट हेमिंग्वे की कहानी 'दूसरे देश में' की पहली किस्त में आपने पढ़ा कि युद्ध पीड़ित कुछ लोग अस्पताल में भर्ती हैं. उनका इलाज मशीनों के जरिए किया जा रहा है. कहानी के इस हिस्से में अस्पताल और शहर के माहौल का वर्णन बहुत विस्तार से किया गया है. यहां पढ़ें कहानी की दूसरी किस्त
दूसरे देश में (दूसरी किस्त)
मेरा घुटना नहीं मुड़ता था, और पैर घुटने से टखने तक बिना पिंडली के सीधा गिरता था, और मशीन घुटने को मोड़ने और ऐसे चलाने के लिए थी जैसे तिपहिया साइकिल चलानी हो. पर घुटना अब तक नहीं मुड़ता था और इसके बजाय मशीन जब मोड़ने वाले भाग की ओर आती थी तो झटका खाती थी. डॉक्टर ने कहा - "वह सब ठीक हो जाएगा. आप एक भाग्यशाली युवक हैं. आप दोबारा विजेता की तरह फुटबॉल खेलेंगे."
दूसरी मशीन में एक मेजर था जिसका हाथ एक बच्चे की तरह छोटा था. उसका हाथ चमड़े के दो पट्टों के बीच था जो ऊपर-नीचे उछलते थे और उसकी सख्त उंगलियों को थपथपाते थे. जब डॉक्टर ने उसका हाथ जांचा तो उसने मुझे आंख मारी और कहा - "और क्या मैं भी फुटबॉल खेलूंगा, कप्तान-डॉक्टर?" वह एक महान पटेबाज (तलवारबाज) रहा था, और युद्ध से पहले वह इटली का सबसे महान पटेबाज था.
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डॉक्टर पीछे के कमरे में अपने कार्यालय में गया और वहां से एक तस्वीर ले आया. उसमें एक हाथ दिखाया गया था जो मशीनी इलाज लेने से पहले लगभग मेजर के हाथ जितना मुरझाया और छोटा था और बाद में थोड़ा बड़ा था. मेजर ने तस्वीर अपने अच्छे हाथ से उठाई और उसे बड़े ध्यान से देखा. "कोई जख्म?" उसने पूछा.
"एक औद्योगिक दुर्घटना," डॉक्टर ने कहा.
"काफी दिलचस्प है, काफी दिलचस्प है," मेजर बोला और उसे डॉक्टर को वापस दे दिया.
"आपको विश्वास है?"
"नहीं," मेजर ने कहा.
मेरी ही उम्र के तीन और लड़के थे जो रोज वहां आते थे. वे तीनों ही मिलान से थे और उनमें से एक को वकील बनना था, एक को चित्रकार बनना था और एक ने सैनिक बनने का इरादा किया था. जब हम मशीनों से छुट्टी पा लेते तो कभी-कभार हम कोवा कॉफी-हाउस तक साथ-साथ लौटते जो कि स्केला के बगल में था. हम साम्यवादी बस्ती के बीच से होकर यह छोटी दूरी तय करते थे. हम चारों इकट्ठे रहते थे. वहां के लोग हमसे नफरत करते थे क्योंकि हम अफसर थे और जब हम गुजर रहे होते तो किसी शराबखाने से कोई हमें गाली दे देता. एक और लड़का जो कभी-कभी हमारे साथ पैदल आता और हमारी संख्या पांच कर देता, अपने चेहरे पर रेशम का काला रूमाल बांधता था क्योंकि उसकी कोई नाक नहीं थी और उसके चेहरे का पुनर्निर्माण किया जाना था. वह सैनिक अकादमी से सीधा मोर्चे पर गया था और पहली बार मोर्चे पर जाने के एक घंटे के भीतर ही घायल हो गया था. (जारी)
कहानी 'दूसरे देश में' की पहली किस्त
कहानी 'दूसरे देश में' की तीसरी किस्त
कहानी 'दूसरे देश में' की चौथी किस्त
कहानी 'दूसरे देश में' की पांचवीं किस्त
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