DNA Lit में पढ़ें अमेरिकी कहानी 'दूसरे देश में' की चौथी किस्त

अनुराग अन्वेषी | Updated:Feb 02, 2024, 02:23 PM IST

अर्नेस्ट हेमिंग्वे की कहानी 'दूसरे देश में' की चौथी किस्त.

Ernest Hemingway Story dusare Desh Mein: ओ, वाकई, मेजर ने कहा. "तो फिर तुम व्याकरण के इस्तेमाल में हाथ क्यों नहीं लगाते?" अतः हमने व्याकरण के इस्तेमाल में हाथ डाला और जल्दी ही इतालवी इतनी कठिन भाषा हो गई कि मैं तब तक उससे बात करने से डरता था जब तक कि मेरे दिमाग में व्याकरण की तस्वीर साफ नहीं आ जाती.

डीएनए हिंदी : अमेरिकी कथाकार अर्नेस्ट हेमिंग्वे की कहानी 'दूसरे देश में' की तीसरी किस्त तक में आप पढ़ चुके हैं कि युद्ध की विभीषिका ने इन पीड़ितों को जीवन और मौत से निर्लिप्त कर दिया है. मशीनों के जरिए इन सबका इलाज किया जा रहा है. पर कहानी से गुजरते हुए लगता है कि इन पात्रों की जिंदगी बिल्कुल मशीनी हो चुकी है. लेकिन जब ये पात्र अपने में डूबे होते हैं तो वे सिर्फ विषाद में जी रहे होते हैं. पढ़ें, कहानी का अगला हिस्सा. 

दूसरे शहर में (चौथी किस्त)

तमगे वाले वे तीनों शिकारी बाज-से थे और मैं बाज नहीं था, हालांकि मैं उन्हें बाज लग सकता था जिन्होंने कभी शिकार नहीं किया था. वे तीनों बेहतर जानते थे इसलिए हम अलग हो गए. पर मैं उस लड़के का अच्छा मित्र बना रहा जो अपने पहले दिन ही मोर्चे पर घायल हो गया था क्योंकि अब वह कभी नहीं जान सकता था कि वह कैसा बन जाता. मैं उसे चाहता था क्योंकि मेरा मानना था कि शायद वह बाज नहीं बनता.

मेजर, जो महान पटेबाज रहा था, वीरता में विश्वास नहीं रखता था और जब हम मशीनों में बैठे होते तो वह अपना काफी समय मेरा व्याकरण ठीक करने में गुजारता था. मैं जैसी इतालवी बोलता था उसके लिए उसने मेरी प्रशंसा की थी और हम आपस में काफी आसानी से बातें करते थे. एक दिन मैंने कहा था कि मुझे इतालवी इतनी सरल भाषा लगती थी कि मैं उस में ज्यादा रुचि नहीं ले पाता था. सब कुछ कहने में बेहद आसान था. "ओ, वाकई," मेजर ने कहा. "तो फिर तुम व्याकरण के इस्तेमाल में हाथ क्यों नहीं लगाते?" अतः हमने व्याकरण के इस्तेमाल में हाथ डाला और जल्दी ही इतालवी इतनी कठिन भाषा हो गई कि मैं तब तक उससे बात करने से डरता था जब तक कि मेरे दिमाग में व्याकरण की तस्वीर साफ नहीं आ जाती.

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मेजर काफी नियमित रूप से अस्पताल आता था. मुझे नहीं लगता कि वह एक दिन भी चूका होगा, हालांकि मुझे पक्का यकीन है कि वह मशीनों में विश्वास नहीं रखता था. एक समय था जब हममें से किसी को भी मशीनों पर भरोसा नहीं था और एक दिन मेजर ने कहा था कि यह सब मूर्खतापूर्ण था. तब मशीनें नई थीं और हमने ही उनकी उपयोगिता को सिद्ध करना था. यह एक मूर्खतापूर्ण विचार था, मेजर ने कहा था, "एक परिकल्पना, किसी दूसरी की तरह." मैंने अपना व्याकरण नहीं सीखा था और उसने कहा कि मैं एक न सुधरने वाला मूर्ख और कलंक था और वह स्वयं भी एक मूर्ख था कि उसने मेरे लिए परेशानी उठाई. वह एक छोटे कद का व्यक्ति था और वह अपना दायां हाथ मशीन में घुसा कर अपनी कुर्सी पर सीधा बैठ जाता और सीधा आगे दीवार को देखता जबकि पट्टे बीच में पड़ी उसकी उंगलियों पर ऊपर-नीचे प्रहार करते.

"यदि युद्ध समाप्त हो गया तो तुम क्या करोगे?"
"मैं अमेरिका चला जाऊंगा."
"क्या तुम शादीशुदा हो?"
"नहीं, पर मुझे ऐसा होने की उम्मीद है."
"तुम बहुत बड़े मूर्ख हो," उसने कहा. वह बहुत नाराज लगा. "आदमी को कभी शादी नहीं करनी चाहिए."
"क्यों श्री मैगियोर?"
"मुझे 'श्री मैगियोर' मत कहो."
"आदमी को कभी शादी क्यों नहीं करनी चाहिए?"
"वह शादी नहीं कर सकता. वह शादी नहीं कर सकता," उसने गुस्से से कहा. "यदि उसे सब कुछ खोना है तो उसे खुद को सब कुछ खो देने की स्थिति में नहीं लाना चाहिए. उसे खुद को खोने की स्थिति में कतई नहीं लाना चाहिए. उसे वे चीजें ढूंढ़नी चाहिए जो वह नहीं खो सकता."
वह बहुत गुस्से में था, कड़वाहट से भर कर बोल रहा था और बोलते समय सीधा आगे देख रहा था.
"पर यह क्यों जरूरी है कि वह उन्हें खो ही दे?"
"वह उन्हें खो देगा," मेजर ने कहा. वह दीवार को देख रहा था. फिर उसने नीचे मशीन की ओर देखा और झटके से अपना छोटा-सा हाथ पट्टों के बीच से निकाल लिया और उसे अपनी जांघ पर जोर से दे मारा. "वह उन्हें खो देगा," वह लगभग चिल्लाया. "मुझसे बहस मत करो!" फिर उसने परिचारक को आवाज दी जो मशीनों को चलाता था. "आओ और इस नारकीय चीज को बंद करो." (जारी)

कहानी 'दूसरे देश में' की पहली किस्त
कहानी 'दूसरे देश में' की दूसरी किस्त
कहानी 'दूसरे देश में' की तीसरी किस्त
कहानी 'दूसरे देश में' की पांचवीं किस्त

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