गुमनामी की नींद सो गए प्यार से लबरेज कलाकार इमरोज, 97 की उम्र में हुआ निधन

Written By अनुराग अन्वेषी | Updated: Dec 22, 2023, 12:46 PM IST

इमरोज का निधन.

Imroz Dies at 97: इमरोज का निधन आज 22 दिसंबर दिन शुक्रवार को मुंबई हो गया. वे 97 साल के थे. बीते कुछ दिनों से वे बीमार चल रहे थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनके निधन की पुष्टि करते हुए उनकी करीबी परिचित और कवयित्री अमिया कुंवर ने की है.

डीएनए हिंदी : लोकप्रिय कलाकार इंद्रजीत उर्फ इमरोज का निधन आज 22 दिसंबर दिन शुक्रवार को मुंबई हो गया. वे 97 साल के थे. बीते कुछ दिनों से वे बीमार चल रहे थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
उनके निधन की पुष्टि करते हुए उनकी करीबी परिचित और कवयित्री अमिया कुंवर ने इंडियन एक्स्प्रेस से कहा कि इमरोज कुछ दिनों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्हें पाइप के सहारे भोजन दिया जा रहा था. लेकिन अपनी बीमारी के दिनों में भी वे अमृता को एक दिन के लिए भी नहीं भूले. वे कहते थे 'अमृता है, यहीं है'. इमरोज ने भले ही आज यह दुनिया छोड़ दी है, लेकिन वे केवल अमृता के पास दूसरी दुनिया में गए हैं. उनकी प्रेम कहानी ऐसी नहीं है जो उनके निधन से खत्म हो जाएगी.

चर्चा में प्रेम कहानी

बता दें कि इमरोज और अमृता प्रीतम ने शादी नहीं रचाई थी लेकिन 40 साल तक सहजीवन (लिव-इन-रिलेशन) में रहे. इमरोज की चर्चा जब भी होती है तो उनके साथ अमृता प्रीतम का नाम भी जुड़ जाता है. इन दोनों की प्रेम कहानी हमेशा चर्चा में रही. अमृता प्रीतम ने अपनी आत्मकथा 'रसीदी टिकट' में साहिर लुधियानवी के अलावा अपने और इमरोज़ के बीच के आत्मिक रिश्तों को भी  कलमबंद किया है. इस पुस्तक में अमृता ने रिश्तों की कई परतें खोलने की कोशिश की हैं.

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गुमनामी का जीवन

अमृता के निधन के बाद इमरोज लगभग गुमनामी का जीवन गुजारते रहे. अमृता का निधन 31 अक्टूबर 2005 को हुआ था. सूत्र बताते हैं कि इमरोज ने अपने आखिरी वर्षों में लोगों से मिलना जुलना बंद कर दिया था. एक वेबसाइट के अनुसार कनाडा में रहनेवाले इकबाल महल ने इमरोज के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि वह उन्हें 1978 से व्यक्तिगत रूप से जानते थे. उन्होंने यह भी कहा कि अमृता उन्हें 'जीत' बुलाया करती थीं. 

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कलाकार के रूप में इमरोज

बता दें कि इमरोज ने जगजीत सिंह की 'बिरहा दा सुल्तान' और बीबी नूरन की 'कुली रह विच' सहित कई प्रसिद्ध एलपी के कवर डिजाइन किए थे. 'रसीदी टिकट' में अमृता बताती हैं कि इमरोज उनकी जिंदगी में आए तीसरे पुरुष थे. अमृता कई बार इमरोज से कहतीं - 'अजनबी तुम मुझे जिंदगी की शाम में क्यों मिले, मिलना था तो दोपहर में मिलते।'

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