डीएनए हिंदी : इमरोज कौन थे - कलाकार, कवि या प्रेमी? इसका जवाब अगर मुझे देना हो तो कहूंगा कि इमरोज प्रेम में रंगे हुए कलाकार थे, प्रेम में डूबे हए कवि थे. यानी इमरोज इमरोज नहीं थे बल्कि वे सीधे-सीधे प्रेम थे. अमृता के प्रेम ने इमरोज को रचा था और इमरोज के प्रेम ने एक नई अमृता को.
बता दें कि इंद्रजीत उर्फ इमरोज का निधन आज 22 दिसंबर दिन शुक्रवार को मुंबई हो गया. वे 97 साल के थे. बीते कुछ दिनों से वे बीमार चल रहे थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इमरोज का जन्म 1926 में लाहौर से 100 किलोमीटर दूर एक गांव में हुआ था.
इमरोज-अमृता और साहिर
इमरोज की पहली मुलाकात अमृता प्रीतम से एक कलाकार के जरिए हुई थी. दरअसल, अमृता प्रीतम अपनी नई किताब का कवर डिजाइन करवाने के लिए किसी कलाकार की तलाश में थीं. तभी इमरोज को लेकर अमृता के पास वह कलाकार गया था. अमृता प्रीतम से मिलने से पहले इमरोज सिर्फ एक संवेदनशील कलाकार थे. यह इमरोज की संवेदनशीलता ही थी कि साहिर से बिछड़ने के अहसास से बिखरीं अमृता के जीवन का अमृत बन गए इमरोज. हालांकि अमृता के जीवन में आए इमरोज तीसरे प्रेमी थे. कहते हैं कि अमृता को लेकर इमरोज एक बार मुंबई भी गए थे साहिर से मिलने. लेकिन साहिर को ये मुलाकात नागवार गुजरी थी.
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तुम्हें फिर मिलूंगी
बाद के दिनों में बल्कि कहें कि इसके बाद की पूरी जिंदगी अमृता ने इमरोज के साथ गुजारी. सहजीवन (लिव इन रिलेशन) में रहते हुए तकरीबन 40 बरस गुजर गए. इमरोज ने बिना शर्त अमृता प्रीतम से प्यार किया. हालांकि इमरोज से उम्र में 7 साल बड़ी थीं अमृता. अपनी मृत्यु से पहले इमरोज के लिए अमृता ने एक कविता लिखी थी 'मैं तुम्हें फिर मिलूंगी'. 2005 के अक्टूबर में अमृता का निधन हुआ तो अकेले रह गए इमरोज ने कभी नहीं कहा कि वे अकेले रह गए.
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उसने जिस्म छोड़ा है, साथ नहीं
अमृता की मृत्यु के बाद इमरोज कवि बन गए थे. उन्होंने अमृता के लिए एक कविता लिखी - 'उसने जिस्म छोड़ा है, साथ नहीं।' और अक्सर इसे वे दोहराते रहे 'उसने जिस्म छोड़ा है, साथ नहीं. वो अब भी मिलती है. कभी तारों की छांव में, कभी बादलों की छांव में, कभी किरणों की रोशनी में, कभी खयालों के उजाले में. हम उसी तरह मिलकर चलते हैं चुपचाप. हमें चलते देखकर फूल बुला लेते हैं. हम फूलों के घेरे में बैठकर एक-दूसरे को अपना कलाम सुनाते हैं. उसने जिस्म छोड़ा है, साथ नहीं'.
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