Online से सस्ती मिलती हैं Book Fair में किताबें, लेखकों से मिलने का भी मिलता है मौका

अनुराग अन्वेषी | Updated:Feb 19, 2024, 03:48 PM IST

पुस्तक मेले में खरीदारों की भीड़.

Online Shopping Vs Book Fair Shopping: मेले में आए पुस्तक प्रेमियों का कहना था कि यहां कई किताबें ऑनलाइन के मुकाबले सस्ती मिल जाती हैं, साथ ही साथ अपने प्रिय लेखकों से मुलाकात की भी संभावना रहती है. अगर वे मिल जाएं तो किताबों पर उनके साइन भी मिल जाते हैं. यह एक बड़ा आकर्षण होता है.

नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला खत्म हो गया. आखिरी दिन पुस्तक प्रेमियों की अथाह भीड़ उमड़ी. लेकिन यह भीड़ सिर्फ पुस्तकें खरीदने के लिए नहीं थी, बल्कि अपने पसंदीदा लेखकों से मुलाकात की संभावनाओं के लिए भी उमड़ी थी. यह बात पुस्तक मेले में पहुंचे कई पुस्तक प्रेमियों ने कही.

मेले में आए पुस्तक प्रेमियों का कहना था कि यहां कई किताबें ऑनलाइन के मुकाबले सस्ती मिल जाती हैं, साथ ही साथ अपने प्रिय लेखकों से मुलाकात की भी संभावना रहती है. अगर वे मिल जाएं तो किताबों पर उनके साइन भी मिल जाते हैं. यह एक बड़ा आकर्षण होता है कि लोग पुस्तक मेले में आना ज्यादा पसंद करते हैं.

ऑनलाइन बनाम ऑफलाइन खरीदारी

इस बीच डीएनए ने प्रगति मैदान पहुंचे कई युवा पुस्तक प्रेमियों से जानना चाहा कि ऑनलाइन खरीदारी बेहतर है या इस तरह पुस्तक मेले में आकर. कुछ ने कहा कि यहां भी पुस्तकों की कीमतें हमारी जेब से बाहर हैं, तो कुछ ने कहा कि इतनी छूट ऑनलाइन नहीं मिल पाती है. दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीएससी कर रहीं यशिका लोहिया, बीए कर रहीं मेघा तेवतिया, बीकॉम कर रहीं नेहा लोहिया और रिया यादव एक साथ पुस्तक मेला घूमने आई थीं. उन्हें कोर्स से अलग हटकर अंग्रेजी साहित्य पढ़ना प्रिय है. लेकिन इन चारों ने कहा कि हमने कोई खरीदारी नहीं की क्योंकि जो किताबें पसंद थीं, तमाम छूट के बावजूद उनकी कीमत बहुत ज्यादा थी. हम सबने सोचा कि ये किताबें वे लाइब्रेरी से लेकर पढ़ लेंगी.


अदिति दहिया ने कहा 'मेले में बंपर छूट'

मेले में आईं अदिति दहिया अपने माता-पिता के साथ बुक फेयर में आई थीं. वे एमिटी इंटरनेशनल नोएडा के क्लास नाइंथ की स्टूडेंट हैं. वे कहती हैं कि ऑनलाइन खरीदारी में कई बार कूपन लग जाते हैं तो किताबें थोड़ी सस्ती हो जाती हैं. लेकिन आज बुक फेयर के अंतिम दिन कई स्टॉल्स पर बंपर छूट मिल रही है तो वह ऑनलाइन से सस्ती पड़ रही है. दूसरी बात ये है कि इस तरह मेले में आकर खरीदारी करने का अपना अलग सुख है.

लेखक अजय रावत की राय

पुस्तक मेले में आए एक लेखक अजय रावत ने बताया कि उन्होंने सेल्फ-हेल्फ पर एक किताब लिखी है. किताब का रेस्पॉन्स ठीक मिल रहा है. पुस्तक मेले में इतनी भीड़ देखकर संतोष होता है कि पुस्तक पढ़ने वालों की संख्या बढ़ रही है. ऑनलाइन और ऑफलाइन खरीदारी को लेकर उन्होंने कहा कि ऑनलाइन में तो छूट मिलती ही है, लेकिन जब पाठक इतनी दूर चलकर मेले में आता है तो लगता है कि उन्हें ऑनलाइन के मुकाबले ज्यादा छूट दी जाए. मेले में ज्यादा छूट देने के बावजूद प्रकाशकों को घाटा नहीं होता है क्योंकि उनका डिलेवरी चार्ज तो बच ही जाता है.

बच्ची पृषा की बात

पुस्तक मेले में हमारी बातचीत पृषा नाम की एक बच्ची से हुई. उसने बताया कि वह इस मेले से अपनी पसंद की 3 किताबें खरीद चुकी है. उसे ऑनलाइन या ऑफलाइन किताब खरीदारी के कॉस्ट से रिलेटेड फायदे का पता नहीं है. लेकिन उसने जो कुछ कहा उससे हम यह अनुमान सहजता से लगा सकते हैं कि ऑनलाइन खरीदारी सस्ती तो पड़ती है लेकिन जब पुस्तक मेले का अवसर होता है, तो यहां से खरीदारी करना ज्यादा फायदेमंद होता है.

पत्रकारिता के छात्रों की राय

पत्रकारिता के छात्र अंकित सिंह और रामगोपाल का कहना था कि ऑनलाइन के मुकाबले हिंदी किताबें इस तरह के पुस्तक मेले में सस्ती मिल जाती हैं. दूसरा फायदा यह होता है कि आप कई लेखकों से रू-ब-रू हो लेते हो. अक्सर हमने पाया है कि किताबों से जो छवि लेखक की बनती है, अमूमन आमने-सामने सुनते हुए वे टूट जाती हैं.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

New Delhi World Book Fair 2024 World Book fair 2024 DNA LIT