एक 'गुठली' ने खोल दी बच्चे के झूठ की पोल, Leo Tolstoy की रोचक कहानी

Written By अनुराग अन्वेषी | Updated: Feb 08, 2024, 10:16 PM IST

लियो टॉल्स्टॉय की कहानी 'गुठली' के आधार पर एआई की परिकल्पना.

DNA Lit Daily Story: बच्चे मासूम होते हैं. वह डर की वजह से हो सकता है कि झूठ बोल दें लेकिन अगले ही पल उनकी मासूमियत की वजह से उनका झूठ सबके सामने आ जाता है. लियो टॉल्स्टॉय की लघुकथा गुठली ऐसे ही एक प्यारे बच्चे की कहानी है.

लियो टॉल्स्टॉय को रूसी साहित्य के दिग्गजों में से एक माना जाता है. उनके लेखन में वॉर एंड पीस और अन्ना कैरेनिना मील के पत्थर हैं. हाजी मुराद और द डेथ ऑफ इवान इलिच जैसे उपन्यास को भी श्रेष्ठ उपन्यास माना जाता है. 
टॉल्स्टॉय की शुरुआती रचनाएं आत्मकथात्मक उपन्यास बचपन, लड़कपन और जवानी (1852-1856), एक अमीर जमींदार के बेटे और उसके और उसके किसानों के बीच की खाई के धीमे एहसास के बारे में बताती हैं. हालांकि बाद में उन्होंने उन्हें भावुक कहकर खारिज कर दिया था. यानी टॉल्स्टॉय खुद की रचनाओं को भी खारिज कर सकने वाले उपन्यासकार रहे.  DNA Lit में पेश है लियो टॉल्स्टॉय की लघुकथा 'गुठली'.

गुठली

मां ने आलूबुखारे खरीदे. सोचा, बच्चों को खाने के बाद दूंगी. आलूबुखारे मेज पर तश्तरी में रखे थे. वान्या ने आलूबुखारे कभी नहीं खाए थे.
उसका मन उन्हें देखकर मचल गया. जब कमरे में कोई न था, वह अपने को रोक न सका और एक आलूबुखारा उठाकर खा लिया. खाने के समय मां ने देखा कि तश्तरी में एक आलूबुखारा कम है. उसने बच्चों के पिता को इस बारे में बताया.
खाते समय पिता ने पूछा, 'बच्चो, तुममें से किसी ने इनमें एक आलूबुखारा तो नहीं लिया?'
सबने एक स्वर में जवाब दिया, 'नहीं.'
वान्या का मुंह लाल हो गया, किंतु फिर भी वह बोला, 'नहीं, मैंने तो नहीं खाया.'
इस पर बच्चों के पिता बोले, 'यदि तुममें से किसी ने आलूबुखारा खाया तो ठीक है, पर एक बात है. मुझे डर है कि तुम्हें आलूबुखारा खाना नहीं आता, आलूबुखारे में एक गुठली होती है. अगर वह गलती से कोई निगल ले तो एक दिन बाद मर जाता है.'
वान्या डर से सफेद पड़ गया. बोला, 'नहीं, मैंने तो गुठली खिड़की के बाहर फेंक दी थी.' सब एक साथ हंस पड़े और वान्या रोने लगा.
(अनुवाद : सुकेश साहनी)

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